अब टोक्यो ओलम्पिक 2021 में थोड़ी निराशा, बड़ी राहत

सन् 1948 के बाद से ओलंपिक ने बायकाट, आतंकी हमले व प्रदर्शनों का सामना किया है, लेकिन फिर भी वह हर चार साल बाद नियमित रूप से आयोजित होते रहे। लेकिन यह पहला अवसर है जब शांति के समय ओलंपिक को स्थगित करना पड़ा,वह भी एक वायरस के कारण। एक ऐसा वायरस जिसने दुनियाभर में हजारों लोगों को मार दिया है,जिस कारण तमाम  खेल प्रतियोगिताएं स्थगित हो गईं। इन स्थगित हुई प्रतियोगिताओं में अब टोक्यो ओलंपिक भी शामिल हो गया है। टोक्यो 2020 अब 2021 में आयोजित किया जाएगा। टोक्यो ओलंपिक खेल 24 जुलाई 2020 से आरंभ होने थे। इनके स्थगन से भारत में एक तरफ  जहां राहत की सांस ली गई है, वहीं थोड़ी निराशा भी हुई है, खासकर उन एथलीट्स को जिनकी तैयारी पदक पाने की आशा की हद तक पूर्ण थी। हालांकि अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) के अध्यक्ष थॉमस बाश काफी अड़ियल व जिद्दी किस्म के व्यक्ति हैं, लेकिन उन पर हाल के दिनों में खेलों को स्थगित करने के लिए जबरदस्त दबाव पड़ रहा था,खासकर इसलिए कि पृथ्वी ग्रह पर 1.7 बिलियन लोग लॉकडाऊन में हैं। कोरोना  वायरस से सैकड़ों लोग रोज दम तोड़ रहे हैं,विदेशी दौरे बंद हैं और भय के इस माहौल में एथलीट्स के लिए प्रैक्टिस व तैयारी करना संभव नहीं हो पा रहा था।कुछ देशों जैसे कनाडा व ऑस्ट्रेलिया ने टोक्यो ओलंपिक में अपने खिलाड़ी न भेजने का निर्णय ले लिया था। ऐसे में बाश के लिए इसके अतिरिक्त कोई विकल्प न था कि जापान के प्रधानमंत्री शिंजो एबे के साथ मिलकर खेलों को स्थगित कर देते । जापान के लिए यह दूसरा अवसर है ,जब खेलों की इस सबसे बड़ी प्रतियोगिता को स्थगित करना पड़ा है। 1940 में जापान को ओलंपिक आयोजित करने वाला पहला एशियाई देश बनना था, लेकिन चीन से हो रहे उसके युद्ध के कारण उस पर अंतर्राष्ट्रीय दबाव बना और उसे खेलों का आयोजन छोड़ना पड़ा। वर्तमान में इन खेलों के आयोजन पर टोक्यो लगभग 12.6 बिलियन डॉलर खर्च कर रहा था, लेकिन अनुमान यह है कि अब उसे अल्प-काल में तकरीबन 6 बिलियन डॉलर का नुकसान होगा। प्रायोजकों व प्रमुख ब्रॉडकास्टरों के लिए भी यह बहुत बड़ा धक्का है कि वह ओलंपिक के दौरान विज्ञापनों से काफी पैसा कमा लेते हैं। टोक्यो शहर के लिए भी यह स्थगन जबरदस्त धक्का है कि उसने सभी वेन्यू को समय से पहले पूर्ण कर लिया था और टिकट जबरदस्त रूप से ओवर सब्सक्राइब हो गये थे। 7 वर्ष की तैयारी के बाद अचानक यह खबर मिलना कि खेल स्थगित हो गये हैं, बड़े दु:ख व नुकसान की बात होती है। यह स्पष्ट नहीं है कि बाद में वेन्यू उपलब्ध रहेंगे या नहीं और हजारों होटल रूम्स की बुकिंग कैंसिल करके उन्हें फिर से बुक करना होगा। सबसे बड़ी सिरदर्दी यह है कि 16 दिन के खेलों को पहले से ही भरे हुए 2021 के कैलेंडर में किस तरह से ठूंसा जायेगा,खासकर इसलिए कि दो बड़े स्पोर्ट्स- तैराकी व एथलैटिक्स- अगले वर्ष गर्मियों में अपनी विश्व चैंपियनशिपस का आयोजन करेंगे । वैसे वर्ल्ड एथलैटिक्स ने कहा है कि वह ऑरेगोन (6-15 अगस्त, 2021) में निर्धारित अपनी विश्व चैंपियनशिपस को शिफ्ट करने के लिए तैयार है। बहरहाल, आईओसी के एथलीट्स कमीशन के सदस्य अभिनव बिंद्रा का कहना है कि ओलंपिक स्थगित करने का निर्णय आसान नहीं था,लेकिन लाजमी हो गया था और वर्तमान स्थिति में यह सबसे अच्छा समाधान था । हालांकि अधिकतर भारतीय खिलाड़ियों ने स्थगन पर राहत की सांस ली है,लेकिन कुछ को थोड़ी निराशा भी हुई है क्योंकि उन्हें लगता है कि उनकी तैयारी व फार्म पदक पाने के लायक थी, ज़रूरी नहीं कि इन्हें अगले वर्ष तक ऐसे ही बरकरार रखा जा सके ।दुतीचंद का कहना है, भारतीय व दुनियाभर के एथलीट्स के लिए यह (स्थगन) अच्छा निर्णय है। निर्धारित समय पर ओलंपिक का आयोजन अनेक खिलाड़ियों को प्रभावित करता जिन्हें कोरोना वायरस के समय क्वालीफाई करने या हिस्सा लेने के लिए काफी खतरा उठाना पड़ता। जहां तक मेरी बात है तो मैं अब तनाव-मुक्त हूं। यह समझदारी भरा निर्णय है, इससे प्रैक्टिस करने के लिए अच्छा समय मिल जायेगा। वर्तमान स्थिति में तो वे एथलीट भी तैयारी के लिए समय नहीं निकाल पा रहे थे जिन्होंने क्वालीफाई कर लिया था। इसी बात को आगे बढ़ाते हुए पहलवान बजरंग पुनिया ने कहा, संसार का हर एथलीट बहुत परेशान था; क्योंकि कोई भी ओलंपिक पर कंसन्ट्रेट नहीं कर पा रहा था और न ही अपनी ट्रेनिंग को जारी रख पा रहा था। यह अच्छा हुआ कि ओलंपिक स्थगित हो गये। मुक्केबाज मैरी कोम व बैडमिंटन खिलाड़ी साईना नेहवाल भी स्थगन को सही निर्णय मानती हैं। हालांकि जिसके लिए आप वर्षों से तैयारी कर रहे हों उसका आखिरी समय में आकर स्थगित हो जाना निराशा का कारण तो बनता है, लेकिन जब हर तरफ  खतरा मंडरा रहा हो तो ध्यान खेल में नहीं जान बचाने में लगता है, इसलिए नुकसान को बर्दाश्त करते हुए भी आईओसी व जापान ने ओलंपिक को स्थगित करने का सही निर्णय लिया है।

  —इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर
सारिम अन्ना