कठिन समय की दस्तक

अंतर्राष्ट्रीय मंच पर कोरोना वायरस की ओर से दिये जा रहे बड़े-बड़े झटकों के बाद किसी भी क्षेत्र में किसी भी प्रकार की स्थिरता आते हुए दिखाई नहीं दे रही। लगभग सभी देशों का आपसी व्यापारिक आदान-प्रदान ठप्प होकर रह गया है जिसने अधिकतर देशों को आर्थिक रूप से उखाड़ कर रख दिया है। यदि ऐसी स्थिति बनी रही तो पूरी दुनिया की आर्थिकता विनाश के पथ पर चल सकती है। दक्षिण एशिया में भी इस महामारी ने दस्तक दे दी है।  इसकी दस्तक का शोर ऊंचा होता जा रहा है। इसकी चाल भी तेज़ होते दिखाई दे रही है। भारत में भी इसका बड़ा प्रभाव देखने को मिल रहा है। खास तौर पर अब तालाबंदी के समय में तो सभी वर्ग के लोगाें की चिंताओं में वृद्धि हो रही है।
बड़ी कम्पनियाें को अरबों-खरबों रुपये का घाटा पड़ गया है। मध्यम दर्जे की औद्योगिक इकाइयां एवं कम्पनियां लड़खड़ा रही हैं। हर प्रकार की लघु इकाइयों का खत्म होना शुरू हो गया है। ऐसी स्थिति ने बड़ी बेरोज़गारी को जन्म देना शुरू कर दिया है। एक अनुमान के अनुसार औद्योगिक एवं व्यवसायिक क्षेत्र में अब तक 50 प्रतिशत तक रोज़गार के साधनों पर  असर पड़ चुका है। कर्मचारियों एवं श्रमिकों की छांटी एक भारी संताप को उत्पन्न कर सकती है। पिछले दिनों भारतीय औद्योगिक संगठन (सी.आई.आई) ने एक विस्तृत सर्वेक्षण करवाया है जिसमें उसने बताया है कि घरेलू कम्पनियों की आय एवं मुनाफे में भारी गिरावट आई है। अधिकतर कम्पनियों ने यह बताया है कि उनके उत्पादन का बही-खाता खराब हो चुका है। इन कम्पनियों को यह भी चिंता है कि तालाबंदी के बाद उनके उत्पादन की मांग में कमी हो जायेगी। आवागमन के साधन सामान की ढुलाई में बाधा बन गये हैं। काम करने वाले कर्मचारियाें की कमी हो गई है। आवश्यक वस्तुओं के निर्माण, उनके भंडारण एवं उनकी परचून बिक्री पर भारी प्रभाव पड़ा है। चाहे सरकार ने आवश्यक वस्तुएं बनाने की छूट दी हुई है, पंरतु ज़मीन की वास्तविकता के कारण भारी समस्याएं सामने आ खड़ी हुई हैं।
उत्पन्न हुए इस संकट ने आयात एवं निर्यात को भी बड़ी सीमा तक रोक दिया है। इस सर्वेक्षण के अनुसार कुछ महीनों में ही 30 प्रतिशत से भी अधिक बाहर से आने वाले ऑर्र्डर रद्द कर दिये गये हैं। बाहरी खरीददार इस संकट को देखते हुए नये सौदे कर रहे हैं तथा कीमतों में भी भारी कटौती करने पर बल दे रहे हैं। यूरोप के साथ होने वाला चमड़े का 70 प्रतिशत व्यापार बंद हो चुका है। निर्यात करने वाले व्यापारियों की जनवरी-फरवरी की बाहरी अदायगी रुक गई है। मार्च में भेजा गया सामान अधर में ही लटक रहा है। खाद्यान्न पदार्थों का व्यापार बुरी तरह से प्रभावित हो चुका है। देश के चावल, प्याज़, अंगूर, रबड़, चाय, काजू आदि का व्यापार एकदम बंद हो गया है,  जिससे व्यापारियों को अरबों रुपये का घाटा पड़ गया है। ऐसा कुछ सभी देशों में ही देखने को मिल रहा है, जिससे कारोबार के पांव उखड़ गये प्रतीत होते हैं। एक बार उत्पन्न हुई ऐसी स्थिति का पुन: अपने स्थान पर आना अत्यधिक कठिन होगा, क्याेंकि अभी यह भी पता नहीं है कि इस महामारी पर काबू कैसे पाया जा सकेगा। यह स्थिति प्रत्येक मोर्चे पर बन रही है। आने वाला समय अत्यधिक अनिश्चित प्रतीत होने लगा है। इस अंधकारपूर्ण एवं कठिन रास्ते को पूरी दृढ़ता एवं हिम्मत से ही पार किया जा सकेगा।
            -बरजिन्दर सिंह हमदर्द