फैक्ट्रियां व कारखाने बंद लेकिन नहीं बदला सतलुज दरिया का रंग

हरिके पत्तन, 8 अप्रैल (रितू कुन्द्रा): कोरोना वायरस की महामारी ने इंसानी जिंदगी लगभग रोक दी है। इंसान ने आपने लाभ लिए पर्यावरण को बुरी तरह गंदला कर दिया था लेकिन इंसानी जिंदगी पर ब्रेक लगने के बाद प्रकृति ने भी आपना रंग दिखाना शुरू कर दिया है। कर्फ्यू कारन ठ्प हुई यातायात व व्यपारक इकाईयों के बंद होने के बाद पंजाब का पर्यवरण शुद्व हो गया है यहां इसके साफ हुए पर्यवरण कारन कां, चिडियां जैसे पक्षी भी दुबारा आपना राग गा रहे है वहीं ही आसमान का रंग भी पूरी तरह साफ दिखाई देना शुद्व पर्यवरण का प्रतीक है। बदाव इस प्रकार दिख रहा है कि पंजाब से हिमाचल के सुन्दर परबत का नजारा भी लोग देख रहे है लेकिन सतलुज दरिया में आज भी काले रंग का बहाव लगातार जारी रहा है। फैक्टरियां, कारखाने को बंद हुए आज 18 दिन गुजर जाने के बावयूद इस जहरी पानी के रंग में कोई बदलाव नजर नही आया जिसकी मूंह बोलती तस्वीर गत कल हरिके झील पर स्थित ब्यास सतलुज दहिरया के संगम से देखने को मिली है यहां पहले की तरह ही सतलुज का काला पानी ब्यास के मिट्टी रंग का पानी आपनी चपेट में लेकर उसको भी आपना काला रंग दे रहा है। समय-समय पर सरकारों पर भी अरोप लगते रहे है कि फैक्ट्रयिं को रोकने लिए कोई कदम नही उठाए गए लेकिन आज जब सभ कुझ रुक जाने कारन पर्यवरण शुद्व हर तरफ दिखाई दे रहा है लेकिन सतलुज का पानी काला कयों है। लुधियाणा, फगवाड़ा, जालन्धर जैसे बडे शहरों की फैक्ट्रयिं का कैमीकल युकत पानी सतलुज को प्रदूषित कर रहा है लेकिन आज तो फैक्ट्रियां, कारखाने भी बंद पडे हे और सरकार को भी चाहिए कि वह इस बह रहे काले पानी संबंधी जांच करवाए। इस संबंधी जब जंगली जीव व वण विभाग के रेंज अधिकारी हरिके कमलजीत सिंह ने कहा कि कल ब्यास सतलुज दरिया के संगम पर जाकर टीम ने देखा तो सतलुज का पानी काला था। अगर पहले के मुकाबले देखे तों मामूली अंत्र है लेकिन काले पानी का बहाव लगातार हो रहा है।