बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ नारा असफल रहा

बेशक सरकार द्वारा ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान के तहत बेटी को बोझ न समझते हुए उन्हें पढ़ा-लिखा कर उनका उज्जवल भविष्य बनाने का प्रयास किया जा रहा है। लेकिन चार बेटियों का पिता आर्थिक तंगी के कारण आत्महत्या करने के लिए मजबूर हो गया। प्रतिदिन बढ़ रही महंगाई के कारण गरीब पिता अपनी बेटियों को बोझ समझने के लिए मजबूर है। दूसरी तरफ मां-बाप को बेटियों की शादी की चिंता भी सता रही है। क्या समाजसेवी संस्थाएं बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान को सफल बनाने के लिए अपना योगदान डाल सकेंगी, ताकि बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान को सफल बनाया जा सके।

   -डा. सुभाष पुरी राही
      मो. -81969-72992