कई दशक बाद पंजाबी मज़दूरों का मुंह देखा पंजाबी मंडियों ने

जालन्धर, 17 अप्रैल (मेजर सिंह): पंजाब में गेहूं की खरीद के लिए पंजाब की मंडियों को कई दशकों के बाद पंजाबी मज़दूरों का मुंह देखने को मिला है। हर इन्कलाब के शिखर पर पहुंचने पर 1970-80 के दशक से पंजाब की खेत मज़दूरी पर ही नहीं बल्कि शहरों की मज़दूरी पर भी प्रवासी मज़दूरों की सरदारी कायम हो गई थी। सस्ती मज़दूरी के कारण उद्योगों की तरह कृषि से अनाज मंडियों में भी प्रवासी मज़दूरों को प्राथमिकता मिलने के कारण पंजाबी मज़दूर पिछड़ गया था परन्तु कोरोना वायरस की आपदा ने सभी आर्थिक व सामाजिक स्थितियां बदल दी हैं। चाहे कुछ लोग इसको समय का बर्ताव बता रहे हैं परन्तु कई अर्थशास्त्री व सामाजिक वैज्ञानिकों का कहना है कि इसके प्रभाव काफी देर स्थाई होंगे। इस समय सच्चाई यह है कि गेहूं की कटाई व खरीद में काम करने वाला बड़ी संख्या में प्रवासी मज़दूर कोरोना के कारण इस बार आ ही नहीं सका तथा गांवों में तंगी की हालत में फंसे पंजाबी मज़दूर खरीद मंडियों में आ डटे हैं। विभिन्न क्षेत्रों के आढ़तियों व अधिकारियों के साथ की बातचीत से यह पता चलता है कि प्रवासी मज़दूर की कमी पंजाबी मज़दूर पूरी कर रहे हैं। शहरों में रेहड़ी फड़ी लगाने व दुकानों पर काम करने वाले प्रवासी मज़दूर भी मंडियों की कड़ी मेहनत वाली मज़दूरी की ओर मुंह नहीं कर रहे, परन्तु निर्माण के काम से बेकार हुए कुछ प्रवासी व पंजाबी मज़दूर मंडियों में आ गए हैं। लगभग साढ़े तीन दशक से खन्ना मंडी में लेबर ठेकेदारी करते आ रहे दर्शन लाल का कहना है कि उसने पहले बड़ी संख्या में पंजाबी मज़दूर काम करते देखे हैं। पहले तो प्रवासी मज़दूरों पर ही खरीद का काम होता था। इसी तरह खन्ना मंडी के ही एक आढ़तिये स. कुलजीत सिंह नागरा ने बताया कि इस बार मज़दूर बाहर से न आने के कारण मंडी के निकटवर्ती गांवों से ही लाए जा रहे हैं। मुक्तसर मंडी के आढ़तिये स. पिप्पल सिंह ने बताया कि उनकी मंडी में इस समय कोई-कोई ही प्रवासी मज़दूर होगा। काम करने वाले सभी पंजाबी हैं तथा निकटवर्ती गांवों से आ रहे हैं। उसने बताया कि मेरी अपनी दुकान पर सभी मज़दूर पंजाबी हैं। उन्होंने कहा कि पंजाबी मज़दूर खरीद से जुड़े कार्यों से बहुत समय पहले टूट गए थे, अब नई पीढ़ी को काम सीखने में कुछ मुश्किल तो आएगी।
पंजाब के लिए सुख की सांस
कोरोना वायरस की आपदा के कारण जब आर्थिक मंदी पांव फैला रही है तथा बेरोज़गारी बढ़ रही है, उस मौके पंजाबी मज़दूरों के लिए रोज़गार के रास्ते खुलने  व पहले से तंगी का शिकार ग्रामीण गरीब जनता के लिए आय के स्रोत बढ़ना पंजाब के लिए सुख की सांस लेने वाली बात है। 135 लाख टन के लगभग गेहूं की 26 हज़ार करोड़ रुपए से अधिक राशि से किए जाने के अमल में 15 लाख के लगभग मज़दूर शामिल होते हैं। इस बार खरीद समय बढ़ने व शर्तों से खरीद के कारण मज़दूरों की यह गिनती 10 लाख तक होने की सम्भावना है। समझा जाता है कि मोटे अनुमान अनुसार खाने पीने के खर्च निकाल कर हर मज़दूर कम से कम खरीद सीज़न में से 20-25 हज़ार रुपए कमाकर ले जाएगा।