कोरोना के समय अर्थ-व्यवस्था को भी सुधारना ज़रूरी

देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कोरोना वायरस पर जो रुपये राज्य सरकारों को दे रहे हैं और राज्य सरकारें आगे उसे जनता तक ठीक से पहुंचा रही हैं या नहीं, इस पर सख्ती रखने की ज़रूरत थी, जो ढंग से हुई नहीं। मोदी जी हर घोषणा टी.वी. पर आकर करते हैं और यह भूल जाते हैं कि हमारे देश में 50 प्रतिशत जनता ऐसी है जिसके पास खाने तक का पैसा नहीं। वह टी.वी. कैसे रखेगी। राज्यों में गरीब परिवारों को बहुत कम राशन मिल रहा है। अभी दो-तीन दिन पुरानी बात है कि भूख से परेशान होकर एक मां ने अपने पांच बच्चों को नदी में फैंक दिया। ऐसे बहुत सारे उदाहरण हैं। कोरोना वायरस ने देश को घुटनों पर लाकर खड़ा कर दिया है। नरेन्द्र मोदी इवेन्ट बनाकर अपना प्रचार करना भूलते नहीं है। जानबूझ कर उन्होंने 14 अप्रैल को राष्ट्र को सम्बोधित किया, क्योंकि 14 अप्रैल को ही अम्बेडकर जयंती थी और मोदी ने अपने भाषण की शुरुआत में अम्बेडकर जी का नाम लिया और लोगों से अपील की कि भूखों को खाना, राशन आदि दें। कोरोना के लिए लोगों ने चंदे के रूप में काफी पैसा दिया है। 

-डा. एम.एल. सिन्हा