लॉकडाउन बनाम सिंघा : महामारी के  निदान की ज़रूरत, न कि धरने की

पूरा विश्व कोरोना नामक महामारी से जूझ रहा है और कोरोना से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने भारत में लॉकडाउन लागू किया है। हिमाचल सरकार ने संपूर्ण प्रदेश में कर्फ्यू लागू किया हुआ है। कर्फ्यू के चलते हर आदमी को परेशानी तो हो रही है, लेकिन कोरोना का एकमात्र इलाज ही सोशल डिस्टेंसिंग है, जिसके लिए लॉकडाउन का पालन करना जरूरी है। लॉकडाउन के बीच सरकार के आदेशानुसार सभी जिलों के प्रशासनिक अधिकारी जनता को परेशानी न हो, इसके प्रयास में रात-दिन जुटे हुए हैं। लॉकडाउन में सबसे बड़ी समस्या दिहाड़ीदार मजदूरों और गरीबों के सामने आई है, जिनके पास खाने के लिए राशन उपलब्ध नहीं था और न ही खरीदने के लिए पैसे। इनके लिए पूरे प्रदेश में विभिन्न जिलों के उपायुक्त गरीबों को राशन उपलब्ध करवा रहे हैं। प्रशासन के साथ-साथ राजनीतिक पार्टियों के  एवं स्वयं- सेवी संस्थाओं के सदस्य भी राशन मुहैया करवा रहे हैं। जिला शिमला में प्रशासन ने अभी तक 36672 तथा शिमला शहर में 14501 प्रवासी मजदूरों को राशन मुहैया करवाया है। लेकिन इस संकट के समय माकपा के विधायक राकेश सिंघा ने शिमला जिला प्रशासन के खिलाफ धरने पर बैठ गए। सिंघा का आरोप है कि जिला प्रशासन शहर के मजदूरों को राशन उपलब्ध करवाने में नाकाम रहा है। सिंघा प्रमुख रूप से शिमला की मस्जिद में ठहरे कश्मीरी मजदूरों को राशन उपलब्ध करवाने की मांग कर रहे थे। वहीं प्रशासन का दावा है कि प्रशासन कश्मीरी मजदूरों के पास गया था और राशन भी प्रदान किया था, लेकिन उन्होंने राशन लेने से मना कर दिया और अधिकारियों से कहा कि उन्हें राशन नहीं चाहिए। उनके कश्मीर जाने की व्यवस्था करें, जिससे वे अपने घर पहुंच सकें। इसके साथ ही सिंघा दावा कर रहे थे कि उनके पास 12 सौ मजदूरों की सूची है, जिनको अभी तक प्रशासन की ओर से राशन उपलब्ध नहीं करवाया गया। मजदूरों को राशन उपलब्ध करवाने की मांग को लेकर लॉकडाउन के दौरान ही सिंघा जिला प्रशासन के कार्यालय परिसर में एसडीएम ऑफिस के समक्ष धरने पर बैठ गए। सिंघा के निशाने पर जिला प्रशासन के अधिकारी थे। बात करने पहुंचे एसडीएम और तहसीलदार से भी सिंघा की बहस हुई। जिला प्रशासन दावा कर रहा था कि वह सभी को राशन प्रदान कर रहा है और सिंघा जहां बताएंगे, वहां भी राशन प्रदान किया जाएगा। सिंघा की मांग उचित हो सकती है, लेकिन प्रशासन के खिलाफ धरने का समय ठीक नहीं था। जब पूरा देश कोरोना से जूझ रहा है तो सबको साथ मिलकर काम करने की जरूरत है, जिससे देश को इस संकट से बचाया जा सके। लेकिन सिंघा ने प्रशासन से सहयोग किए बिना धरने का रास्ता अपनाया, जिसे उचित नहीं ठहराया जा सकता। सिंघा के इस बेवजह धरने से प्रशासन के  मनोबल पर भी असर पड़ेगा, क्योंकि प्रशासन दिन रात लोगों को राहत प्रदान करने में लगा है तथा सिंघा ने  यह धरना उनके लिए किया जिन्होंने प्रशासन से राशन व खाना लेने से मना कर दिया था। 
बाहर से लोग आएं लेकिन सुरक्षित आएं
लॉकडाउन के कारण हिमाचल के बाहर फंसे हजारों लोगों को घर वापसी के लिए प्रदेश का दरवाजा प्रदेश सरकार खोलने जा रही है, जिससे सरकार ने सबसे पहले राजस्थान के कोटा में फंसे छात्रों को हिमाचल लाने का फैसला किया। इसके साथ ही चंडीगढ़, पंजाब, हरियाणा और दिल्ली सहित अन्य प्रदेशों में फंसे लोगों को भी अपने घर वापसी का निर्णय लिया जाएगा। सरकार का कहना है कि प्रदेश के बाहर फंसे लोग पास लेकर हिमाचल में अपने घर आ सकते हैं। बाहर फंसे लोगों को हिमाचल वापस लाने का फैसला तो सही है, लेकिन सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई अपने साथ कोरोना को लेकर हिमाचल न आए। प्रदेश में आने वाले सभी लोगों की निर्धारित मापदंड के अनुसार प्रदेश की सीमा पर स्क्रीनिंग होनी चाहिए और आवश्यकता हो तो 14 दिन के क्वारंटाइन के बाद ही घर भेजना चाहिए। हिमाचल के बाहर फंसे सभी लोगों को हिमाचल लाने में सरकार को बहुत सावधानी से काम करना होगा। चंडीगढ़, पंजाब, दिल्ली और हरियाणा में अभी कोरोना वायरस तेजी से फैल रहा है।  हिमाचल आने वाले किसी आदमी के साथ कोरोना आ गया तो फिर मुसीबत हो सकती है। इसलिए सरकार को हर आदमी की पूरी जांच के बाद ही हिमाचल में प्रवेश की अनुमति देनी चाहिए।
सरकार के निर्णय पर विपक्ष के सवाल
संकट काल में समय पर  सही निर्णय की आवश्यकता होती है। ऐसे में ही सही प्रशासन की पहचान होती है। हिमाचल सरकार पर निर्णय लेने में देरी पर सवाल उठ रहे हैं। जब देश के अन्य प्रदेश निर्णय ले लेते हैं, तब उनकी देखा देखी अंत में हिमाचल सरकार निर्णय लेती है। पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और राजस्थान की सरकारों ने किसानों, छोटे दुकानदारों, टैक्सी-रिक्शा चालकों आदि को राहत पहुंचाने के निर्णय लिए लेकिन हिमाचल सरकार ने अभी तक किसी भी वर्ग को आर्थिक रूप से राहत पैकेज नहीं दिया है। केंद्र सरकार की ओर से जो राहत दी गई, वही प्रदेश सरकार ने आगे बढ़ा दी है।