हालात सुधरने की सम्भावना

पिछले कुछ महीनों से देश को जिस महामारी का सामना करना पड़ रहा है, उससे निपटते हुये बहुत उतार-चढ़ाव देखने को मिले हैं। नि:सन्देह इसका मुकाबला देश, समाज, केन्द्र एवं स्थानीय सरकारों की ओर से बड़ी दृढ़ता के साथ किया जा रहा है। भारी जन-संख्या वाले इस विकासशील देश में पहले ही गरीबी एवं कमियां खटकती रहती हैं। साधनों की भारी कमी रही है, परन्तु इसके बावजूद कई सीमाओं के होते हुये भी देश की ओर से इस महामारी का मुकाबला करने के लिए दृढ़ता को प्रकट किया गया है। चाहे सभी वर्गों के लोगों  तथा खास तौर पर अन्य राज्यों में जा कर काम करने वाले करोड़ों प्रवासी लोगों को इस संबंध में दुश्वारियों में से गुज़रना पड़ा, तथा आज भी वे अपने गृह राज्यों को जाते हुए भारी संताप भोगते दिखाई देते हैं, परन्तु इसके साथ-साथ हज़ारों स्वयं-सेवी संस्थाओं की ओर से अपने-अपने ढंग से बड़ी सेवा भी की जाती रही है। आज भी यह सेवा जारी है। केन्द्र एवं राज्यों की सरकारें भी इस त्रासदी के ताप को घटाने के लिए जी-तोड़ यत्न करती रही हैं। देश की ओर से अनेक कमियों के बावजूद स्थितियों का सामना किया जा रहा है, जिसके कारण देश की दुनिया भर में प्रशंसा भी हुई है। बहुत से देशों की नज़रें इस संबंध में भारत की ओर लगी रही हैं। लाख यत्नों के बावजूद इस महामारी से बचने के लिए जितनी सावधानी प्रदर्शित किये जाने की आवश्यकता थी, उसे तो पूरा नहीं किया जा सका क्योंकि अनेक स्थानों पर अपने-अपने कारणों के दृष्टिगत लम्बी तालाबन्दी के दौरान लोगों की भारी भीड़ें देखने को मिलीं, परन्तु अब लम्बी अवधि व्यतीत होने के बाद आम लोगों ने इस बीमारी के होते हुये भी जीवन जीना शुरू कर दिया है तथा यह भी सोच लिया है कि इसके होते हुये अपने-अपने कारोबार तो करने ही पड़ेंगे। इस कारण इस बीमारी के प्रति भय एवं सहम भी काफी सीमा तक कम होते दिखाई दे रहा है। यह भी उम्मीद की जा रही है कि इस संबंध में कोई प्रभावशाली औषधि भी तैयार हो जाएगी। अब एक बार पुन: ब्रिटेन में आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की ओर से इस संबंध में तैयार किये गये टीके के सफल होने के संकेत दिये गये हैं। इससे वैज्ञानिक काफी उत्साहित दिखाई दे रहे हैं। भिन्न-भिन्न देशों में भी इस महामारी को लेकर परीक्षण जारी हैं। चाहे अमरीका एवं यूरोप के कुछ देशों में अभी भी यह बीमारी बढ़ते हुये दिखाई दे रही है, परन्तु बहुत-से देशों में इसके कम होने के समाचार भी आ रहे हैं। भारत में महाराष्ट्र तथा कुछ अन्य प्रांतों में इस महामारी के मामले अवश्य बढ़ रहे हैं, परन्तु अन्य भागों से ऐसे मामलों के कम होने के समाचार भी मिल रहे हैं। पंजाब में भी इसके निरन्तर बढ़ रहे मरीज़ों की संख्या में कमी आई है। इसके साथ ही बहुत-से मरीज़ ठीक होना भी शुरू हुये हैं। लगभग 2000 मामलों में से 750 मरीज़ स्वस्थ हो गये हैं। विगत शुक्रवार एक ही दिन में 500 मरीज़ों के स्वस्थ होने की खबर ने भारी राहत पैदा की है। इनमें तख्त श्री हजूर साहिब से वापिस आये श्रद्धालु भी बड़ी संख्या में शामिल हैं। उनमें से बहुत-से स्वस्थ होकर अपने-अपने घरों को लौट गये हैं। इसके साथ-साथ मरीज़ों की पहचान के लिए परीक्षणों में भी वृद्धि की जा रही है। राहत के ऐसे समाचार मिलने के समाचारों ने लोगों के भीतर इस बीमारी का दृढ़ता के साथ मुकाबला करने की भावना में और वृद्धि की है। इससे यह उम्मीद भी पैदा हुई है कि आगामी दिनों में हालात और भी सुधर जाएंगे, जिससे जन-जीवन के पुन: पूरी तरह से धड़कने की आशा बंध गई है। 

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द