सरकार ने पीड़ितों को उनके हाल पर छोड़ा

जालन्धर, 18 मई  ( मेजर सिंह ): केन्द्र सरकार द्वारा कोरोना पीड़ित मरीज़ों के दाखिले व टैस्टों की नई अपनाई नीति के तहत लगता है कि सरकारों ने लोगों को अपने रहम पर ही जीने के लिए छोड़ दिया है। नई नीति के तहत सिविल अस्पतालों में पॉज़िटिव पीड़ितों को बिना टैस्ट द्वारा कोरोना मुक्त होने की पुष्टि किए छुट्टी देकर घरों को भेजा जा रहा है। वहां पॉज़िटिव आए पीड़ित के संपर्क में आए लोगों की तलाश कर पहले सभी के टैस्ट किए जाते थे, परंतु नई नीति के तहत सिर्फ कोरोना के लक्षणों वाले और अन्य बीमारी कारण गंभीर स्थिति वाले मरीज़ों के ही टैस्ट लिए जाने शुरू कर दिए सवाल यह उठ रहा है कि अस्पतालों से छुट्टी देकर घर भेजे जा रहे पीड़ित की जो कोरोना मुक्त होने बारे पुष्टि नहीं की जाती फिर इस तरह बड़ी संख्या में घरों को भेजे यह लोग कोरोना वायरस को फैलाने का बड़ा साधन तो नहीं बन जाएंगे? सरकारी अस्पतालों के डाक्टर व स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी यह दावा करते हैं कि अब अस्पताल से छुट्टी देकर घरों को भेजे जा रहे पीड़ित कोरोना मुक्त नहीं हैं और उनका कोरोना मुक्त उसका टैस्ट भी नहीं लिया जा रहा। नई नीति के अनुसार पॉज़िटिव आए पीड़ित को यदि लगातार तीन दिन बुखार न हो और कोरोना का कोई लक्षण उजागर न हो तो छुट्टी देकर घर एकांतवास में भेजा जा रहा है। जालन्धर के स्वास्थ्य विभाग के प्रवक्ता डा. पी.पी. सिंह ने बताया कि यह मरीज़ को एक शर्त पर घर भेजा जाता है कि वह एक सप्ताह में अलग रहेंगे और दिए निर्देशों का पालन करेंगें परंतु कई विशेषज्ञ डाक्टरों का कहना है कि सप्ताह के बाद ही फिर कौन का टैस्ट करते हैं, फिर यह कैसे कहा जा सकता है कि पीड़ित कोरोना मुक्त हो गया? संपर्क में आए लोगों का भी यदि सभी का टैस्ट न लिया तो क्या उसके बाहर रहने से वायरस फैलने का डर नहीं बना रहेगा?
विजयी करार क्या देकर भेजे पीड़ित
पिछले तीन-चार दिनों में पंजाब में ही 1300 के लगभग पॉज़िटिव पीड़ित व्यक्तियों को छुट्टी देकर घरों को भेजा गया है। सिविल अस्पतालों के डाक्टरों का कहना है कि हमने इनको कोरोना मुक्त होने की पुष्टि कर घरों में भेजा, बल्कि सरकार द्वारा अपनाई नई नीति के तहत घरों में एकांतवास के लिए भेजा है, परंतु गत दिवस अस्पतालों से जाते समय अस्पतालों के स्टाफ द्वारा जैसे उनके  गलों में हार पहनाकर फूलों की वर्षा कर कोरोना विजेताओं को घरों के लिए भेजा गया, इससे अंदाज़ा ही लगाया जा सकता है कि वह घरों में जाकर कड़े निर्देशों व सावधानियों का कितना पालन कर रहे होंगे? बड़ी संख्या में पीड़ितों को छुट्टी देते एक बार तो अस्पताल खाली हो गए परंतु छूट व टैस्ट घटाने का यह मामला उस समय शुरू किया जा रहा है जब लाग से प्रभावित व्यक्तियों की संख्या में कहीं अधिक कमी नहीं। बताया जाता है कि प्रशासन ने पूरे पंजाब में 40 हज़ार के लगभग बैडों का कोविड सैंटर के रूप में प्रबंध कर लिया है। बड़ीसंख्या वाले एकांतवास वाले वार्ड बनाए गए थे। स्वास्थ्य विभाग के क्षेत्रों में यह प्रभाव है कि सरकार कोविड पीड़ितों की सांभ-संभाल के काम से लगातार पीछा छुड़ा रही है।