बिक्री बेहद कम होने से शराब टेकेदार चिंता में डूबे

जालन्धर, 21 मई (मेजर सिंह): कर्फ्यू के कारण पौने दो माह के लगभग शराब के ठेके बंद रहने के कारण पहले ही शराब ठेकेदारों को रियायतें देने के मामले पर राजनीतिक संकट का सामना कर रही कैप्टन सरकार को अब खोले गए शराब ठेकों पर शराब की बिक्री बेहद कम होने के संकट ने आ घेरा है। पंजाब भर में ही शराब कारोबारियों का कहना है कि इस समय ठेकों पर पिछले वर्ष के मुकाबले 35 से 40 प्रतिशत के लगभग ही शराब की बिक्री हो रही है परन्तु सरकारी अधिकारियों का कहना है कि बिक्री दिनों-दिन बढ़ रही है तथा इस समय पिछले वर्ष के मुकाबले 55 प्रतिशत के लगभग शराब की बिक्री हो रही है। लगातार 56 दिन कर्फ्यू रहने के कारण सारा जनजीवन ठप्प रहा तथा समूचे कारोबार व आवाजाही भी रुकी रही जिसका परिणाम बहुत से लोगों का रोज़गार छिन गया तथा बहुत लोगों की आय ही समाप्त हो गई, अब भी एक सप्ताह से कर्फ्यू समाप्त हो गया है परन्तु लाकडाऊन के कारण कारोबार व आवाजाही सीमित व पाबंदियां साथ ही खुली हैं। लाखों प्रवासी मज़दूर घरों को चले गए हैं, इस सारे का परिणाम यह है कि शराब की बिक्री में भारी कमी आई है, परन्तु आर्थिक तंगी का शिकार कैप्टन सरकार शराब से आय पहले वाली ही तलाश रही है। जालन्धर में सबसे अधिक ग्रुप चला रहे कारोबारी ने बताया कि सरकारी अधिकारी ऊंची बिक्री वाले ठेके को आधार बनाकर बिक्री बढ़ रही बता देते हैं जबकि औसतन शराब की बिक्री 35 से 40 प्रतिशत के बीच ही चल रही है। अमृतसर क्षेत्र के एक शराब कारोबारी का भी कहना है कि इस क्षेत्र में कहीं भी पिछले वर्ष के हिसाब से 40 प्रतिशत से अधिक बिक्री नहीं है। उप कर व आबकारी कमिश्नर जालन्धर शालिन वालिया का कहना है कि उनके क्षेत्र में बिक्री 55 से 60 प्रतिशत तक है तथा यह बढ़ रही है। दोआबे के ग्रामीण क्षेत्रों में शराब कारोबारियों का कहना है कि उनके ठेकों पर पिछले वर्ष से शराब की बिक्री 35 प्रतिशत से भी कम हो रही है। शराब कारोबारियों का कहना है कि दुनिया में मंदी छाई हुई है तथा आय बेहद कम हुई है, फिर भला पंजाब में शराब कारोबारी इससे कैसे रह सकेंगे। उनका कहना है कि हिमाचल प्रदेश ने एक माह की छूट दे दी है तथा हरियाणा ने राजस्व में बड़ी छूट दी है परन्तु पंजाब सरकार 6 से 13 मई तक बंद ठेकों की भी पूरी फीस मांग रही है। उनका यह भी कहना है कि सरकार स्वयं भी मान रही है कि शराब की बिक्री आधे से भी नीचे है, फिर ठेकेदारों पर पूरा कोटा उठाने व कोरोना वायरस से पहले वाली फीस क्यों मांगी जा रही है। पता चला है कि आज चंडीगढ़ में दोआबा क्षेत्र के ठेकेदारों की मंत्रियों व आबकारी विभाग के प्रिंसीपल सचिव से बैठक भी हुई है। ठेकेदारों का कहना है कि यदि पंजाब सरकार ने आबकारी नीति में बड़ी तबदीलियां करते कारोबारियों को राहत न दी तो वह एक-एक कर डिफाल्टर हो जाएंगे जिससे ठेकेदार भी डूबेंगे तथा सरकार को राजस्व भी नहीं मिलेगा।