कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में राहुल गांधी की हो सकती है वापसी

आर्थिक विशेषज्ञ रघुराम राजन तथा अभिजीत बैनर्जी के साथ कोविड-19 पर राष्ट्रीय प्रतिक्रम संबंधी पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा आनलाईन बातचीत के बाद राहुल ने कहा था कि केन्द्र सरकार को साहूकारों की तरह व्यवहार करना छोड़ देना चाहिए तथा कोरोना संकट से निपटने के लिए कर्ज देने का समर्थन करने के बजाय लोगों को आर्थिक मदद देनी चाहिए। राहुल का कहना है कि जब किसी बच्चे को चोट लगती है तो उसकी मां कर्ज की पेशकश नहीं करती। उनका कहना है कि उनको इस बात का दुख है कि सरकार कर्ज की पेशकश कर रही है तथा ज़रूरतमंदों तक सीधी धन राशि नहीं पहुंचा रही। इसके अतिरिक्त राहुल ने दिल्ली के सुखदेव विहार क्षेत्र में प्रवासी मज़दूरों के एक समूह से भी बातचीत की, वह हरियाणा के अम्बाला से उत्तर प्रदेश के झांसी तक जा रहे थे और यहां आराम करने के लिए रुके थे। मज़दूरों के पास रुक कर करीब 1 घंटा बातचीत कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में उनकी संभावित वापसी की प्रक्रिया का हिस्सा हो सकती है। राहुल गांधी द्वारा किये गए वार्तालाप, चाहे फिर वे प्रसिद्ध अर्थशास्त्रियों के साथ हों या फिर प्रवासी मज़दूरों के साथ, इसकी चारों ओर प्रशंसा की जा रही है और इस बातचीत को अपना राजनीतिक संदेश लोगों तक पहुंचाने के औज़ार के रूप में देखा जा रहा है, और इस तरह सरकार की प्रत्यक्ष रूप में आलोचना के बिना किया जा सकता है। 
मध्य प्रदेश की राजनीति
कोरोना वायरस के भारी फैलाव तथा मध्य प्रदेश में प्रवासी मज़दूरों की वापसी के दौरान कांग्रेस तथा भाजपा के बीच तीखी राजनीतिक लड़ाई अपनी चर्म सीमा पर है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का कहना है कि वह भाजपा के विधायकों के सम्पर्क में हैं और उप-चुनाव का इंतज़ार कर रहे हैं। दूसरी तरफ ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्म में कांग्रेस सरकार से दूर होने  वाले 22 विधायक कैबिनेट विस्तार के बाद चिंता में हैं और एक-दूसरे को मिल रहे हैं। दरअसल, कैबिनेट विस्तार में सिर्फ दो विधायकों गोविंदर सिंह राजपूत तथा तुलसी राम सीलावत को ही जगह ंिमली है। 2018 में विधानसभा चुनाव में हारने वाले भाजपा नेता दीपक जोशी ने चेतावनी दी है कि वह दोनों में से किसी भी पार्टी के साथ जा सकते हैं। वर्णनीय है कि जोशी पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी के पुत्र हैं और कांग्रेस इस स्थिति का लाभ उठाने का यत्न कर रही है। इस के अतिरिक्त ज्योतिरादित्य सिंधिया भी चिंता में हैं और अपने गुट के 22 विधायकों पर अपनी पकड़ बना कर रखना चाहते हैं क्योंकि कोरोना संकट के कारण न ही राज्यसभा चुनाव और न ही विधानसभा उप-चुनाव जल्द होने की उम्मीद है। यह भी ध्यान में रखने योग्य बात है कि भाजपा ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ आए सभी 22 विधायकों  को टिकट नहीं दे सकती क्योंकि उन्होंने अपने पुराने नेताओं का भी ध्यान रखना है। मध्य प्रदेश में एक तरफ कोरोना संकट और गहरा हो रहा है एवं दूसरी तरफ दोनों पार्टियों ने अपनी राजनीति को अधिक समय देना शुरू कर दिया है। 
नर्म पड़े नीतिश
जनता दल (यू) तथा भाजपा गठबंधन के नेतृत्व वाली बिहार सरकार कोरोना वायरस संकट में किये अपने प्रबंधों के लिए आलोचना का सामना कर रही है, परंतु मुख्यमंत्री नीतिश कुमार दो कारणों से सुख की सांस ले सकते हैं। पहला तो यह कि राज्य में उसके  मुकाबले कोई भी अन्य बड़ा राजनीतिक विकल्प नहीं है और दूसरा राज्य के लोगों का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी में विश्वास अभी बरकरार है। हालांकि राजनीतिक गुट राज्य सरकार पर प्रश्न उठा रहे हैं और कोरोना संकट प्रति सरकार के घटिया प्रबंधों को मुद्दा बनाने की कोशिश में हैं। वर्णनीय है कि बिहार में इसी वर्ष के अक्तूबर-नवम्बर में विधानसभा चुनाव हैं। बहुत सारी पार्टियां राज्य में अपने घरों को वापस आ रहे विद्यार्थियों तथा प्रवासी मज़दूरों का मुद्दा बनाने की तैयारी कर रही हैं। राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख तेजस्वी यादव प्रवासी मज़दूरों के पलायन के मुद्दे को उठाने हेतु कड़ी मेहनत कर रहे हैं। दूसरी तरफ मुख्यमंत्री नीतिश कुमार भी इस मुद्दे पर अपनी नीति को बदलने के मूड में हैं, जैसे पहले उन्होंने प्रवासी मज़दूरों की वापसी का कड़ा विरोध किया था परंतु अब वह इस संबंधी नर्म हुए लगते हैं। इसके साथ ही पप्पू यादव अन्य राज्यों में फंसे विद्यार्थियों को वापस लाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं और विद्यार्थियों के माता-पिता में प्रशंसा प्राप्त कर रहे हैं। इस मुद्दे पर नीतिश कुमार को भी घेर रहे हैं। इसी तरह राज्य के उप-मुख्यमंत्री सुशील मोदी कोरोना संकट के कारण पैदा हुई स्थिति को केन्द्र सरकार की सहायता से काबू में करने की कोशिश कर रहे हैं।