दुनिया का एक अनोखा गांव ‘एरोविले ’

भारत के दक्षिण राज्य तमिलनाडू के एक किनारे पर बसा दुनिया का अनोखा गांव एरोविले देखने वालों के लिए किसी अजूबे से कम नहीं है। तमिलनाडू की राजधानी चेन्नई से 160 किलोमीटर दूर और समुद्र के किनारे पर स्थित दुनिया के बेहद सुंदर द्वीप पुडूचेरी से महज़ 20 किलोमीटर के करीब दूर पड़ते इस गांव की विलक्षणता यह है कि इस धरती पर दुनिया के भिन्न-भिन्न क्षेत्रों से लोग आकर एक संयुक्त गांव के रूप में बसे हुए हैं। देखने और सुनने वालों को शायद हैरानी होगी कि वैराग्य से मोह रखने वाली मीरा नामक महिला यहां आई और श्री अरबिन्दो को मिली। गुरबत के मारे लोगों को जात-पात, ऊंच-नीच में से बाहर निकालने के लिए निर्माण किये इस पांच हज़ार एकड़ में फैले गांव के भीतर भारत सहित लगभग 50 से अधिक देशों के लोगों ने आकर इसको एक गांव के रूप में दुनिया के नक्शे पर लेकर आए हैं। हरियाली और प्राकृतिक नज़ारों से भरपूर इस विलक्षण स्थान पर जाते हर इन्सान के मन के भीतर सुकून का ज्वालामुखी उठने लगता है। क्योंकि प्रकृति के नज़दीक माने जाने वाले एरोविले गांव में 2800 के लगभग वह इन्सानी आत्माएं बसती हैं जो इस दुनिया से दूर अपने मन को प्राकृति भाव कायनात से जोड़ कर आनंद भरे सागरों में डुबकी लगाने की इच्छा रखते हैं। संत अरबिन्दो और उनके साथियों की ओर से 28 फरवरी, 1968 को तमिलनाडू के जंगल रूपी क्षेत्र को गांव के रूप में बदल कर अस्तित्व में लाया गया। चाहे इस गांव की उम्र महज़ 52 वर्ष के करीब है, लेकिन इस गांव ने जिन मंज़िलों को पाया है, वह शायद आम इन्सान के बस की बात नहीं हैं। ज़िन्दगी के रोज़ाना जोड़-तोड़ और तनाव मुक्त जीवन के एक बड़े फलसफे को सम्भाले बैठे एरोविले गांव के भीतर प्रत्येक इन्सान के लिए आवश्यकता के अनुसार सभी सुविधाओं को गांव वालों ने एक ऐसे सांचे में डाल कर लोगों के समक्ष पेश किया है कि देखने वालों की आंखें चकाचौंध से भर जाती हैं। बच्चों की पढ़ाई के लिए स्कूल, बैंक, डिस्पैंसरियां और आवागमन के लिए सड़कों का विस्तार इतने शानदार ढंग से किया गया है इस गांव को बसाने वाले उन लोगों ने सोचा होगा कि इसको दुनिया एक अनोखे मॉडल के तौर पर पेश करेंगे। नक्शे के अनुसार सड़कें, जंगल और इमारतों का अस्तित्व किसी नमूने से कम नहीं लगता। अपनी मेहनत की कमाई से जमा की राशि बाहरी बैंकों में जमा करने के बाद बैंक की तरफ से इन लोगों को खर्च के लिए सिर्फ एक टोकन उपलब्ध करवाने की नीति भी अधिकतर लोगों के मन को छूती है। जिसके द्वारा वह अपने प्रयोग करने वाला सामान खरीद सकते हैं। इन टोकनों के आस-पास ही घूमती है इस गांव के जीवन की अर्थ-व्यवस्था रूपी गाड़ी। 
इन्सान की आस्था के केन्द्र के तौर पर चर्च और मंदिरों का निर्माण भी इस गांव में बहुत अच्छे ढंग से किया गया है और गांव के लोगों को रोज़गार के तौर पर कृषि या अन्य साधन उपलब्ध करवा कर किसी भी इन्सान को बेकार बैठकर खाने की आदत को नकारने का बड़ा प्रयास किया है वहां के निवासियों ने प्रत्येक इन्सान के स्वास्थ्य हेतु योग को बड़े स्तर पर प्रफुल्लित करने के लिए इस गांव के भीतर एक बड़ा योग घर भी तैयार किया गया है। अगर किसी इन्सान ने इस गांव का पूरा चक्र लगाना हो तो जंगल में से ही जाती पखडंडियां और रास्ते एक जैसे होने के कारण लोग अक्सर रास्ता भूल जाते हैं। भारत और विश्व के अन्य क्षेत्रों से पर्यटकों की आमद दर्शाती है कि यह अन्य स्थानों से कुछ न कुछ अलग ज़रूर है। मेरे साथ गांव एरोविले देखने पहुंचे मित्र का यह कथन था कि इस तरह के गांव की कल्पना बा-कमाल है और नि:सन्देह दुनिया के नक्शे पर बसे इन अनोखे गांव के आकर्षण और विलक्षणता को आंखों के द्वारा परखा नहीं जा सकता। नि:सन्देह इस गांव के भीतर घूमते अधिकतर इन्सानों के जीवन के छुपे अरमान भी सामने आते हैं जिनको अक्सर हम अपने दिल के कोरे कागज़ की स्लेट पर लिखने से डरते हैं। जब भी अवसर मिले इस अनोखे गांव को जाकर ज़रूर देखना चाहिए।

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