विश्व का सबसे बड़ा व्यापारिक शहर न्यूयार्क खामोश और उदास क्यों ?

विश्व के गरीब और साधारण देश अधिकतर भीतर से तो टूटते जा रहे हैं अगर कोरोना वायरस से सबसे शक्तिशाली देश अमरीका का बुरा है तो हमारा क्या बनेगा? बात सही भी है, क्योंकि लगभग सवा 200 देशों में से इस वायरस से पीड़ित कुल मरीज़ों का एक तिहाई हिस्सा अमरीका में है। परन्तु अमरीका के एक तिहाई मरीज़ अकेले न्यूयार्क में हैं। दुनिया के इस खूबसूरत, रंगीले न्यूयार्क की आंखों में टपकते आंसू बहुत बड़े दर्द को ज़ाहिर कर रहे हैं। इस समय विश्व का सबसे बड़ा यह व्यापारिक देश जहां डॉलर की बादशाहत का सिद्धांत बनाया जाता है, जहां बैंकिंग, वित्तीय और संचार का शुरुआती केन्द्र है उस न्यूयार्क की आर्थिकता अमरीका में सबसे अधिक म्यूनिसिपल और क्षेत्रीय आर्थिक ढांचे को दर्शाती है, क्योंकि न्यूयार्क एक स्टेट भी है और इसके शहर मनहाटन की मनहाटन स्ट्रीट को विश्व की प्रमुख वित्तीय केन्द्र को स्वीकृति प्रदान हुई है। यहां मार्किट, पूंजीकरण और व्यापारिक गतिविधियों के लिए सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है और यहां पर एन.ए.एस.डी.ए. कियू (नैशनल एसोसिएशन ऑफ सिक्योरिटीज़ डीलज़र् ऑटोमेटिड कुटेशनज़) का घर है। न्यूयार्क की जी.डी.पी. दक्षिण कोरिया की आधी जनसंख्या के बराबर है। विश्व के सबसे बड़े कार्पोरेशनों के कार्यालय भी मनहाटन में ही है। इसको विश्व का सबसे बड़ा केन्द्रीय व्यापारिक डिस्ट्रिक्ट भी कहा जाता है। न्यूयार्क विज्ञापन उद्योग के लिए ग्लोबल केन्द्र के तौर पर गिना जाता है। विश्व में मास मीडिया और पत्रकारिता, प्रदर्शनों का सबसे बड़ा केन्द्र भी यही शहर है। अमरीका का प्रमुख कला केन्द्र भी, डिज़ीटल मीडिया, विज्ञापन, फैशन डिज़ाइन भी यहां पर ही प्रमुख हैं। लगभग 8.3 मिलियन की जनसंख्या वाले न्यूयार्क राज्य में विश्व के पर्यटकों की भीड़ पूरा वर्ष रहती है। संयुक्त राष्ट्र का मुख्य कार्यालय यहीं पर है, स्टैचू ऑफ लिबर्टी, वॉल स्ट्रीट टूर, ब्रैकलिन ब्रिज, टाइम्स स्कवेयर न्यूयार्क के ही प्रमुख आकर्षण केन्द्र हैं। जब यह शहर मौत के साये तले सांस ले रहा है तब इसके आंसुओं को हाकिम भी अभी तक साफ करने योग्य नहीं हुआ। यहां पर चहल-पहल खामोश है, क्योंकि यहां मौत का तांडव हो रहा है। चेहरे चुप हैं, लेकिन बहुत कुछ बयां करते हैं। हवाई अड्डे, रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड पर्यटकों का इंतजार कर रहे हैं और विश्व का एक महत्त्वपूर्ण कारोबारी शहर अपने ही गले लग कर रो रहा है। कोई दिलासा भी नहीं दे रहा कि ‘हौसला रख चहल-पहल लौट आएगी’। नीले और लाल झंडों की राजनीति का शिकार भी आज कल न्यूयार्क शहर ही है।  वास्तव में न्यूयार्क को न्यूयार्क होने की ही सज़ा मिल रही है और कोरोना वायरस से मौत के पंजे में फंसे इस स्टेट की यह हालत क्यों है? फिलहाल न्यूयार्क कोरोना वायरस का अमरीका में प्रकोप का केन्द्र है। कोविड-19 इनसे काबू नहीं आ रहा। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है घनत्व और जनसंख्या ने इस शहर को अपने हाथों में ले लिया है। यह राज्य अमरीका का सबसे बड़ा और घनी जनसंख्या वाला है। वर्ष 2010 की जनगणना के अनुसार यहां प्रति वर्ग मील में 27 हज़ार लोग रहते हैं। यह घनत्व शिकागों और फिलाडालफिया से दोगुनी और लॉस एंजेल्स से तीन गुणा अधिक है। दिन के समय यहां सब-वे (भूमिगत मार्ग) पर लोग एक-दूसरे के साथ फंस कर निकलते हैं। फुटपाथों पर कंधे से कंधा जोड़ कर निकलते हैं और बार-रैस्टोरैंट में काफी भीड़ होती है। इस नामुराद कोरोना वायरस के लिए यह सबसे उचित माहौल था। बड़ी इमारतों में तीन-चार हज़ार लोगों का रहना। सीढ़ियों और लिफ्टों में तंग होकर उतरना, ट्रेनों और बसों में भीड़, पार्कों की समस्या के कारण कारों का कम प्रयोग करना ने न्यूयार्क की किस्मत में ही इस खतरनाक वायरस की तबाही मचाना लिखा था। बिल्कुल उचित है कि इस समय न्यूयार्क कोरोना वायरस में अमरीका का नेतृत्व कर रहा है। इस देश की सड़कें (फरीवेय) और दौड़ती गाड़ियां, हवा से तेज़ ट्रेनों में तेज़ रफ्तार ज़िन्दगी, हवाई रास्तों में जहाज़ों की भीड़ में अमरीका की तेज़ रफ्तार ज़िन्दगी को बहुत ही धीमा कर दिया है। यह महामारी बर्बादी बांट रही है और विकास के रास्ते को रोक रही है। हालांकि न्यूयार्क पहले ऐसा राज्य था, जहां 13 मार्च से 28 मार्च तक सामाजिक और प्राइवेट लैबों को कोरोना वायरस टैस्टिंग शुरू करने का अधिकार दिया गया था। दूसरी ओर स्वास्थ्य अधिकारी यह कह रहे हैं कि टैस्टिंग से सामने आने वाले बदलाव डराते हैं, लेकिन इस वायरस के फैलाव को कम करने के लिए यह जारी रखना ज़रूरी है। न्यूयार्क के दुख का एक राज यह भी है कि जब जागने का समय था तब वह सोया रहा। 11 मार्च तक 216 केस थे, 14 मार्च को 613 हो गए, न्यूयार्क में पहले 18 मार्च तक स्कूल बंद किए गए तब संख्या 2300 थी। गवर्नर एंड्रयू कियोमो ने जब 22 मार्च को ़गैर-ज़रूरी काम करने वाले कर्मचारियों को घर में रहने का आदेश दिया था तो इस कोरोना वायरस के साथ मरीज़ों की संख्या बढ़ कर 15 हज़ार हो गई थी। इस राज्य को घनी जनसंख्या की यह पहली सज़ा मिली थी। न्यूयार्क गवर्नर ने प्रत्यक्ष रूप में डोनाल्ड ट्रम्प का नाम लिये बिना दोष लगाते हुए कहा कि न्यूयार्क दुनिया का सबसे अधिक देखा जाने वाला शहर है। यहां उन देश के यात्रियों के आगमन पर अमरीका मेहरबान होता रहा, जो कोरोना वायरस को सिर पर उठाये फिरते थे। इसी बीच चीन, इटली और कोरिया शामिल थे। राष्ट्रपति ट्रम्प ने पहली शृंखला में  2 फरवरी को चीन की फ्लाइटें रद्द कीं और लगभग सवा महीने बाद इटली और अन्य यूरोपीय देशों की फ्लाइटों को भी रद्द करने का फैसला लिया। हालात यह है कि न्यूयार्क में लाशों के ढेर हैं और दफनाने की आखिरी रस्मों को पूरा किए बगैर ही उन्हें विशाल कब्रिस्तान के लिए विशेष स्थानों पर ढूंढना पड़ रहा है। मृतकों के शरीर को सिर्फ मिट्टी के ढेर में छिपाने का यत्न किया जा रहा है। फ्रंट लाइन पर डाक्टर और नर्सों के बुलंद हौसले न्यूयार्क को बचा रहे हैं और कोरोना वायरस की महामारी के साथ दिन-रात जंग लड़ने वाले डाक्टरों की रिहायशों पर जाकर पुलिस और लोगों की ओर से धन्यवाद किया जा रहा है। हालांकि हालात ने कई डाक्टरों को आत्महत्या करने के लिए भी मजबूर किया है। इस समय अमरीका जब कोरोना वायरस से पीड़ित लोगों के आंकड़ों को लेकर चिंतित है, वहीं वे मानवीय शवों को गिन रहा है। वहीं राजनीति का भी शिकार है। नवम्बर में होने वाले राष्ट्रपति के चुनाव का ज्यादा नहीं तो काफी खमियाज़ा न्यूयार्क और अमरीकी भी भुगत रहे हैं। क्योंकि कैलिफोर्निया और न्यूयार्क में डैमोक्रेटिक गवर्नर हैं और दोनों के नाम आगे जाकर राष्ट्रपति के पद के लिए सामने आने की उम्मीद है। इसीलिए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और इनके बीच एक राजनीतिक रेखा है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प में स्थिति में अगली ट्रम के चुनाव जीतना चाहते हैं, लेकिन न्यूयार्क कोरोना वायरस के कारण मौत के मुंह से बाहर निकलने का प्रयास कर रहा है और फिलहाल विश्व की इस आर्थिक राजधानी की आंखों में रुका हुआ आंसू अमरीका के लिए और भी खतरनाक साबित हो सकता है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प इस महामारी से अमरीका में कितना नुकसान कर गये हैं या कितना इस महा-शक्ति को बचाएगा इसका हिसाब-किताब आने वाले समय में पता चलेगा।