भ्रष्टाचार में सरकार बनाम भाजपा : सच सामने लाने की ज़रूरत

शिमला : कोरोना आपदा के समय सरकार में भ्रष्टाचार के मामले सामने आना बहुत ही गंभीरता का विषय है। आपदा के समय स्वास्थ्य विभाग के द्वारा की गई करोड़ों रुपए की खरीददारी शक के दायरे में है। इससे भी गंभीर मामला तब हो जाता है जब भ्रष्टाचार के पीछे भाजपा के बड़े नेता का नाम आ रहा हो। अब भ्रष्टाचार के मामले को लेकर सरकार बनाम भाजपा के बीच संबंधों पर सवाल खड़ा हो रहा है। भ्रष्टाचार का मामला गत दिनों एक आडियो वायरल होने के समय से सामने आया, जिसमें दो व्यक्तियों के बीच 5 लाख का लेन-देन होने की बात थी। आडियो सरकार के संज्ञान में आया तो इसकी विजीलेंस जांच का निर्णय लिया गया। विजीलेंस ने मामला दर्ज कर स्वास्थ्य विभाग के निदेशक को हिरासत में लिया और बाद में अरेस्ट कर लिया। निदेशक के गिरफ्तार होने के बाद ऑडियो में बातचीत करते हुए दूसरे व्यक्ति की तलाश की गई और विजीलेंस ने उसे भी हिरासत में लेकर पूछताछ की। दूसरा व्यक्ति सोलन की एक कंपनी का कर्मचारी निकला। 
मीडिया में आई खबरों के अनुसार स्वास्थ्य विभाग ने इसी कंपनी से लाखों रुपए की खरीददारी की है और कंपनी का यह कर्मचारी भाजपा के एक बड़े नेता का करीबी माना जाता है। इसके साथ ही विजिलेंस के द्वारा गिरफ्तार किए गए स्वास्थ्य विभाग के निदेशक के भी भाजपा के बड़े नेता और सरकार के पूर्व मंत्री के साथ भी करीबी संबंध बताए जा रहे हैं। 
खबरें तो यहां तक प्रकाशित हुईं कि भाजपा के दो बड़े नेताओं ने स्वास्थ्य निदेशक के सेवा विस्तार के लिए सरकार से सिफारिश भी की थी। विजिलेंस की जांच में स्वास्थ्य निदेशक के कई बैंकों में खाते, लाखों रुपए की नकदी और सम्पत्ति के कागज़ात भी बरामद हुए हैं, जिससे लगता है कि यह मामला बहुत आगे तक जा सकता है और सरकार के कई बड़े अधिकारी और भाजपा के बड़े नेता तक जांच की आंच पहुंच सकती है। स्वास्थ्य विभाग में भ्रष्टाचार का मामला सामने आने पर सरकार का रुख अभी तक तो साफ नज़र आ रहा है। 
अब यह तो सरकार को ही पता होगा कि स्वास्थ्य निदेशक के सेवा विस्तार के लिए भाजपा के कौन नेता सिफारिश कर रहे थे और भाजपा के किस नेता की सिफारिश पर निदेशक इस पद पर विराजमान रहे। इसके साथ ही विजिलेंस की गिरफ्त में आने के बाद निदेशक को बचाने के लिए कौन सरकार के दरबार में पहुंचा। स्वास्थ्य निदेशक के मोबाइल कॉल की डिटेल से भी पता चला है कि वह भाजपा के एक बड़े नेता के निरंतर सम्पर्क में रहे हैं। अब सरकार के समक्ष स्वास्थ्य विभाग में हुए भ्रष्टाचार की सच्चाई सामने लाना बड़ी चुनौती है। जनता को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से उम्मीद है कि वह निष्पक्ष जांच करवा कर सच्चाई जनता के सामने लाएंगे और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगे।
विधानसभा के विशेष सत्र की ज़रूरत नहीं
कोरोना संकट के बीच कांग्रेस विधायकों के संग भाजपा के कुछ विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष से मिलकर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग की। इस मामले में भले ही सियासत तेज हो गई हो लेकिन सत्ता पक्ष ने साफ कर दिया कि विशेष सत्र बुलाने की कोई आवश्यकता नहीं है। संसदीय कार्य मंत्री सुरेश भारद्वाज ने स्पष्ट किया कि सरकार ने कोरोना से निपटने के लिए सभी उचित प्रबंध किए हैं। विशेष सत्र बुलाने के मामले में कांग्रेस विधायकों के साथ कुछ भाजपा विधायकों के साथ आने से सियासत तेज हो गई है। कांग्रेसी मांग को समर्थन करने वाले भाजपा विधायकों में रमेश ध्वाला, राकेश पठानिया, विशाल नैहरिया सहित कई अन्य विधायक शामिल थे। वहीं कांग्रेस के विधायक विधानसभा में विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री के नेतृत्व में विधानसभा अध्यक्ष से मिलने गए थे।  
औपचारिकता नहीं, नुकसान की वसूली हो
शिमला जिले के रोहड़ू में पब्बर नदी पर करोड़ों की लागत से निर्माणाधीन पुल ढह गया। इससे लोकनिर्माण विभाग की लापरवाही उजागर हुई। सरकार ने जांच करने के बाद विभाग के तीन इंजीनियरों को सस्पेंड कर दिया। इतने गंभीर मसले में सस्पेंड करने की औपचारिकता निभाकर मामले को ठंडा करना जनता को हज़्म नहीं हो रहा। लोक निर्माण विभाग के मुखिया मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर स्वयं हैं, जिससे सवाल उन पर भी उठ रहा है। सरकार को चाहिए कि वह सस्पेंड करने की औपचारिकता से आगे जनता के टैक्स के पैसों से जो करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ है, उसे ठेकेदार और लापरवाह अधिकारियों से वसूला जाए। इसके साथ ही अधिकारियों के खिलाफ लापरवाही करने के लिए आपराधिक मामला दर्ज हो और सभी इंजीनियर की सम्पत्ति की जांच भी कराई जाए क्योंकि निर्माणाधीन पुल का ढह जाना सिर्फ  लापरवाही नहीं, इसमें भ्रष्टाचार भी होता है। सरकार को इस मामले में सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। राज्य सरकार ने वर्तमान में ठियोग में तैनात तत्कालीन अधिशाषी अभियंता, लोक निर्माण विभाग मण्डल रोहड़ू, रवि भट्टी विभाग के सहायक अभियंता, रोहड़ू नरेंद्र सिंह नाइक और कनिष्ठ अभियंता, सिविल, रोहड़ू सेक्शन विजय कुमार को  उचित पर्यवेक्षण और निगरानी में कोताही के लिए निलंबित किया गया है। पब्बर नदी पर बना यह पुल इस माह की 13 तारीख को क्षतिग्रस्त हो गया था। सरकार को भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति अपनानी है तो उसे ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई अमल में लानी चाहिए जिससे आगे कोई अधिकारी लापरवाही न कर सके।