खेती बीज़ों में किसानों से हो रही ठगी

जालन्धर, 24 मई (मेजर सिंह) : पंजाब में गैर-मंजूरशुदा  खेती बीज बेचकर किसानों के साथ ठगी का बड़ा धंधा चल रहा है। बादल सरकार समय पीआर. 201 धान की किस्म अधिक ‘टोटा’ आने पर बदरंग होने के कारण बंद कर दी थी, परंतु कृषि विश्वविद्यालय ने अब इसका संशोधन कर धान की नई किस्म 128 व 129 जारी कर दिया है। इन नई किस्मों का मंजूरशुदा बीज केवल विश्वविद्यालय द्वारा ही बेचा जा रहा है परंतु इन नई किस्मों का गैर-मंजूरशुदा बीज पूरे धड़ल्ले से राज्य के कई ज़िलों में अधिक दामों पर बेचा जा रहा है। कृषि विश्वविद्यालय के बिल्कुल सामने एक बीज केन्द्र यह गैर-मंजूरशुदा बीज ऊंचे दामों पर बेचता पकड़ा गया है। इस मामले के सामने आने के बाद कृषि विभाग को कई और स्थानों पर भी यह धंधा चलता होने का पता चला है और उनकी जांच चल रही है। पता चला है कि जगराओं के दुर्गा स्टोर, बरनाला की फर्म अर्जुन हाइब्रो, लुधियाना में लाडोवाली सीड, अमृतसर के दर्शन सीड आदि फर्मों की भी कृषि विभाग द्वारा जांच की जा रही है और प्राथमिक तौर पर गैर-मंजूरशुदा बीज महंगे दामों पर बेचे जाने की पुष्टि हो रही है। लुधियाना में जिस बीज स्टोर से गैर-मंजूरशुदा बीज पकड़ा गया है, उसने यह बीज गुरदासपुर के वैरोवाल गांव में चलते बीज फार्म से लाया है परंतु यहां सवाल तो यह उठता है कि धान की नई किस्म 128-129 का बीज तैयार करने का तो इस फर्म के पास अधिकार ही नहीं, फिर बड़ी मात्रा में उसके पास यह बीज कहां से आ गया और फिर यह गैर-मंजूरशुदा बीज धड़ल्ले से कैसे बिक रहा है। मुख्य कृषि अधिकारी लुधियाना डा. नरिंदर सिंह बैनीपाल का कहना है कि विश्वविद्यालय ने यह बीज पहली बार जारी किया है और वह बेच भी खुद ही रहा है। फिर यह बीज निजी फर्मों व स्टोरों पर कहां से आ गया? उन्होंने बताया कि हमने बीज की प्रमाणिकता हासिल करने के लिए पकड़े गए बीज के सैम्पल विश्वविद्यालय को भेजे हैं। डा. बैनीपाल कह रहे थे कि विश्वविद्यालय द्वारा किसानों को तजुर्बे के लिए थोड़ा-थोड़ा दिया जाने वाला बीज, बीज  उत्पादक फर्मों के पास कैसे चला गया? इसकी जांच होनी चाहिए।