शराब कारोबार के लिए फायदेमंद साबित नहीं हो रही रीन्यू नीति

जालन्धर, 24 मई (शिव शर्मा): पंजाब में पहली बार शराब कारोबार में लागू की गई रीन्यू नीति एक्साईज़ विभाग के लिए फायदेमंद साबित नहीं हुई है, क्योंकि इस नीति के तहत तो फायदे वाले ग्रुप तो पहले ही काबिज़ कारोबारियों से 15 फीसदी के लगभग फीस लेकर उनके लाइसैंसों को रीन्यू कर दिया गया था, जबकि जिन जगहों पर अवैध शराब की बिक्री होने की चर्चा या फिर लाइसैंस फीस पक्षों काफी कमज़ोर ग्रुप समझे जाते थे, उनमें कई ग्रुपों को अब बेचने के लिए एक्साईज़ विभाग का पसीना निकल रहा है। एक्साईज़ विभाग द्वारा अज़र्ियां मांगने पर, टैंडर मांगने के बावजूद भी अब कई कारोबारी रह गए ग्रुपों को लेने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। एक्साईज़ विभाग ने इस वर्ष मार्च के महीने वर्ष 2020-21 के लिए रीन्यू नीति के तहत शराब कारोबार अलाट करने का फैसला किया था। विभाग को यह आशा थी कि इस नये तुजुर्बे के तहत राज्य के कारोबार को अलाट करने के लिए अज़र्ियां लेने की लम्बी प्रक्रिया नहीं अपनानी पड़ेगी, बल्कि जो लोग अब कारोबार पर काबिज़ हैं, उनसे अतिरिक्त फीस लेकर उनके लाइसैंसों को रीन्यू कर दिया जाएगा। राज्य में इस नीति के तहत सिर्फ 65 से 70 फीसदी तक ही काम अलाट हो सका है। एक चर्चा तो यह भी है कि जो अच्छे ग्रुप हैं, वह तो रीन्यू हो गए, परन्तु दूसरे ग्रुपों को लेने में कारोबारियों ने दिलचस्पी नहीं दिखाई। कई विभागीय सूत्र भी मानते हैं कि अब बार-बार बेचने पर लगाने पर कई रह गए शराब ग्रुप नहीं बिक रहे हैं, उसका एक कारण यह भी है कि कारोबारी ने तो बढ़िया ग्रुपों को रीन्यू करवा लिया है, परन्तु कई इस तरह के ग्रुप भी बिकने से रह गए हैं जहां कि अवैध शराब का काम चलता है व कारोबारी यह सोचते हैं कि यदि इन ग्रुपों को लेते हैं तो अवैध शराब से उनका नुक्सान होगा व अब लाइसैंस फीस की किश्तों की अदायगी नहीं कर सकेंगे। यदि रीन्यू नीति लागू न होती तो कारोबारियों ने कोई न कोई ग्रुप का काम लेने के लिए पर्चियां डालनी थी, परन्तु अब घाटे के डर से कई कारोबारी डर रहे हैं। चाहे अब फीस घटा कर कई रह गए ग्रुप बिक जाएंगे, परन्तु एक्साईज़ विभाग को इसलिए काफी पसीना वहाना पड़ेगा।