खेल जगत का चमकता सितारा

खेल जगत में जिन कुछ शख्सियतों ने भारत को अंतर्राष्ट्रीय पहचान दी, सरदार बलबीर सिंह उनमें से एक हैं। ओलम्पिक खेलों में हाकी के मैदान पर उतर कर जिस प्रकार की चुस्ती एवं फुर्ती वह दिखाते थे, दशकों बीत जाने के बाद आज भी खेल जगत में उसकी चर्चा होती है। इन अंतर्राष्ट्रीय खेलों में तीन बार स्वर्ण मैडल जीतने में इस उत्तम खिलाड़ी का नाम इसलिए दर्ज है क्योंकि वह अपनी विजेता टीम का प्रभावशाली ढंग से प्रतिनिधित्व करते रहे हैं। इतना ही नहीं, उसके बाद भी उनकी देखरेख में भारतीय हाकी टीम ने स्वर्ण मैडल जीता था। इसके लिए भी शाबाश बलबीर सिंह को ही दी गई थी। अपने खेल जीवन में उन्होंने बहुत मेहनत की एवं अपने-आप को पूरे अनुशासन में बांधे रखा तथा अपने भीतर यह निरंतर धुन बनाए रखी कि वह दुनिया के मंच पर भारत का नाम रौशन करने में सहायक हो सकें। 
अपनी इस धुन के पक्के इस खिलाड़ी ने ऐसा करके भी दिखाया था। मेजर ध्यानचंद ने देश की आज़ादी से पहले हाकी के खेल में शानदार उपलब्धियां हासिल की थीं। सरदार बलबीर सिंह भी देश की झोली में स्वर्ण मैडल डालने में बड़े सहायक बने। अपनी जिन्दगी के सफर में उन्हें मान एवं अनेक सम्मानों से नवाज़ा जाता रहा परंतु इसके बावजूद उन्होंने अपने व्यक्तित्व में सदैव विनम्रता बनाए रखी। अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक कमेटी ने अनेक बार उनकी प्रशंसा की। वर्ष 2012 में उन्हें ‘ढ्ढष्शठ्ठद्बष् हृद्य4द्वश्चद्बड्डठ्ठ’ चुना गया था। भारतीय उपमहाद्वीप में यह मान बलबीर सिंह के हिस्से में ही आया था। इस सम्मान की घोषणा करते हुए लंदन के 2012 ओलम्पिक खेलों में विश्व के 16 उत्तम खिलाड़ियों में चुना जाना इसलिए गर्व की बात थी क्योंकि यह चुनाव मानवीय शक्ति, सहनशीलता, दृढ़ता, कड़ी मेहनत एवं खेलों के प्रति गहरी भावना के दृष्टिगत किया गया था तथा यह भी कि यह चुनाव ओलम्पिक खेलों के प्रतिनिधि खिलाड़ियों का था। बलबीर सिंह ने 1942-43 में विश्वविद्यालय के समय से ही अपना यह गौरवमय सफर शुरू किया था। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़ कर नहीं देखा। 1948 में लंदन ओलम्पिक खेलों में उन्होंने अर्जन्टीना के विरुद्ध शानदार खेल दिखा कर तथा निरंतर गोल करके सभी को हौरान कर दिया था। बाद में निरंतर किए गये गोलों ने उन्हें गोल्डन स्टार बना दिया। उन्होंने 8 ओलम्पिक मैच खेले तथा अपने देश की झोली में 22 गोल डाले।
उन्होंने अपने अनुभवों के आधार पर दो पुस्तकें भी लिखीं जिन्हें बड़ी दिलचस्पी के साथ पढ़ा जाता रहा है परंतु उन्होंने कभी भी इनामों एवं सम्मानों को प्राथमिकता नहीं दी परंतु अपने जीवन में इन सम्मानों से उनकी झोली अवश्य भरती रही। अब तक के अंतर्राष्ट्रीय रिकार्ड के अनुसार किसी भी व्यक्ति की ओर से इस खेल में इतने गोल नहीं किए गये। सरदार बलबीर सिंह ने लम्बी आयु भोगी। इस काल के दौरान वह सदैव खिलाड़ियों का केन्द्र बिन्दु बने रहे। खास तौर पर हाकी जगत में प्रत्येक पीढ़ी के खिलाड़ियों ने उनसे उत्साह हासिल किया। नि:संदेह वह खेल जगत का ऐसा चमकता हुआ सितारा हैं जिसकी रौशनी कभी धुंधली नहीं पड़ेगी तथा खेल जगत में सरदार बलबीर सिंह का नाम एक उदाहरण के तौर पर लिया जाता रहेगा। 
                           -बरजिन्दर सिंह हमदर्द