‘आ दिला कुझ गल्लां करिये उदासी दी इस रुत्त तों पार दीयां...’

जालन्धर, 25 मई (जसपाल सिंह): आज जब कोरोना महामारी के कारण लगातार हो रही मौतों के कारण जहां विश्व के विभिन्न देशों में मातम छाया हुआ है और भारत में भी चारों ओर उदासी का आलम है तो ऐसे संकट के समय भी कुछ संवेदनशील शख्सियतें, बुद्धिजीवी, चिंतक, साहित्यकार व गायक अपने-अपने स्तर पर आशाओं और उम्मीदों वाला दीया जलाए बैठे हैं। कोरोना महामारी के कारण पैदा हुए हालात पर अपने दिल के ऐसे जज़्बात सहज ही कागज़ पर अंकित होने वाले वरिष्ठ पत्रकार सतनाम सिंह माणक की सूफियाना रचना को जब युवा गायक अनादी मिश्रा ने तरुनम में पेश किया तो किसी ने सोचा भी नहीं था कि यह गीत संगीत प्रेमियों के ही नहीं बल्कि हर संवेदनशील पंजाबी के दिल को झंझोड़ देगा। यह गीत इतना लोकप्रिय हो रहा है कि कुछ दिनों में ही सोशल मीडिया पर इस गीत को बड़ी संख्या में लोगाें द्वारा पंसद किया गया है। दूरियों के इस मौसम में सतनाम सिंह माणक के संजीदा लेखन ‘आ दिला कुझ गल्लां करिए उदासी दी इस रुत्त तों पार दीयां’ को अनादी मिश्रा ने अपनी मधुर आवाज़ में पेश कर एक तरह से अपने परिपक्व गायक होने का भी सबूत दिया है।