उत्तर प्रदेश में कांग्रेस हुई सक्रिय

उत्तर प्रदेश में प्रवासी मज़दूरों के संकट पर कांग्रेस ने स्पष्ट तौर पर समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी से अधिक काम किया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के खिलाफ लगातार हमलावर पैंतरा अपनाये जाने से यह राज्य में मुख्य विपक्षी पार्टी के रूप में उभरी है। विशेष तौर पर प्रियंका गांधी वाड्रा ने भारत के बहुत ही महत्त्वपूर्ण राज्य की राजनीति पर गहरा प्रभाव डाला है और अपनी लीडरशिप के गुणों का प्रदर्शन किया है। उत्तर प्रदेश की सीमा पर फंसे और अपने घरों को जाने के इच्छुक लाखों मज़दूरों से प्रियंका की स्पष्ट और सम्मानजनक बातचीत से लाखों लोगों पर प्रभाव पड़ा है। प्रियंका का दावा है कि योगी आदित्यनाथ की सरकार ने उनको उत्तर प्रदेश की सीमाओं पर फंसे मज़दूरों को लाने के लिए एक हज़ार बसें भेजने की इजाज़त दी है। हालांकि राज्य सरकार ने इजाज़त देने की बात से इन्कार किया है। कांग्रेस का कहना है कि प्रियंका के रवैये के कारण भाजपा बौखला गई है इसलिए उन्होंने प्रियंका द्वारा मज़दूरों को वापिस लाने की योजना में रुकावट खड़ी की है। अब जब भाजपा और कांग्रेस इस मुद्दे पर एक-दूसरे से बहस रही हैं तो दोनों क्षेत्रीय पार्टियां बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी इस घटनाक्रम पर चुप्पी धारण कर इसको दूर से ही देख रही हैं।
आश्चर्य में भाजपाई
राजस्थान में खाली तीन राज्य सभा सीटों पर होने वाले चुनाव कोरोना वायरस संकट के कारण चुनाव आयोग द्वारा स्थगित कर दिए गए थे। दरअसल, शुरू-शुरू में कांग्रेस ने इनमें 2 सीटों पर अपने नामांकन पत्र दाखिल किए थे और भाजपा ने सिर्फ एक सीट पर अपना नामांकन पत्र भरा था, जिसमें पूर्व मंत्री और प्रदेश भाजपा के उप-प्रधान राजिन्दर गहलोत का नाम था।  हालांकि, अंतिम पलों में भाजपा ने दूसरा नामांकन पत्र भी भर दिया, जो ओंकार सिंह लखावत के नाम पर था। यह बात ज़रूर ध्यान देने वाली है कि अब जब भाजपा 2 सीटों पर राज्यसभा के चुनाव लड़ने की इच्छुक है तो इसके पास राज्य की विधानसभा में केवल 76 विधायक हैं और राज्य सभा की सिर्फ एक सीट जीतने के लिए 51 विधायकों की ज़रूरत है। दूसरी तरफ कांग्रेस ने दो उम्मीदवारों के नामांकन पत्र भरे हैं जिसमें के.सी. वेणुगोपाल और राजस्थान यूथ कांग्रेस के पूर्व प्रमुख नीरज डंगी के नाम शामिल हैं और कांग्रेस के पास विधानसभा में 107 विधायक हैं और आर.जे.डी. विधायकों का समर्थन भी है। कांग्रेसी उम्मीदवारों के नामांकन पत्रों के दाखिल होने के समय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट भी शामिल थे। दूसरी तरफ, जब ओंकार सिंह लखावत का नामांकन पत्र भरा जा रहा था तो न तो विपक्षी पार्टी के नेता गुलाब चंद कटारिया ही शामिल थे और न ही पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया। प्रत्येक, यहां तक कि भाजपायी भी इस बात से हैरान थे कि जब विधानसभा में हमारे सिर्फ 76 विधायक हैं तो दूसरे उम्मीदवार का नामांकन पत्र भरा ही क्यों?
त़ूफान और राजनीति
पश्चिम बंगाल में चक्रवर्ती त़ूफान ने भारी तबाही मचाई हुई है। परन्तु तृणमूल कांग्रेस और भाजपा कोई भी अवसर गंवाने की इच्छुत नहीं हैं फिर चाहे कोरोना वायरस हो या फिर कोई धार्मिक मुद्दा। भाजपा के अनुसार पश्चिम बंगाल प्रदेश भाजपा प्रधान दिलीप घोष को तूफान प्रभावित इलाके का दौरा करने से रोक दिया गया हालांकि एक दिन पूर्व ही मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी ने अपने पार्टी कार्यकर्ताओं को निर्देश दिए थे कि इस गम्भीर संकट के समय में राजनीति न की जाए। भाजपा के राष्ट्रीय सचिव राहुल सिन्हा का कहना है कि अगर कोई राजनीति नहीं की जा रही तो फिर भाजपा प्रदेश प्रधान को तूफान प्रभावित इलाके में जाने से रोका क्यों गया? सिन्हा ने यह भी कहा कि प्रशासन ने सी.पी.आई. (एम.) के आदू कांती गांगुली को प्रभावित इलाके में जाने से नहीं रोका। तृणमूल कांग्रेस के सूत्रों अनुसार दिलीप घोष को कोरोना वायरस के कारण रखी जा रही शारीरिक दूरी को बरकरार रखने के लिए रोका गया है। दिलीप के वहां जाने से भीड़ पैदा हो जाने का ़खतरा था। दोनों पार्टियों में राजनीतिक जंग इसलिए तेज हो रही है क्योंकि आगामी वर्ष वहां विधानसभा के चुनाव हैं।
मायावती का फैसला
जब से भाजपा उत्तर प्रदेश में सत्ता पर बैठी है तो बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने दलितों के मुद्दों, नागरिकता संशोधन कानून और अब कोरोना तालाबंदी पर भी चुपी धारण हुई है। हालांकि, अब इस नेता ने राजस्थान के कोटा में राज्य के विद्यार्थियों को वापिस लाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रशंसा की है। दरअसल, अब वह प्रवासी मज़दूरों के मुद्दे पर कांग्रेस की आलोचना करने में व्यस्त है और राज्य भाजपा और केन्द्र के पैंतरों का समर्थन कर रही है, बावजूद इसके कि तालाबन्दी के कारण काम-धंधे बंद हो जाने के बाद बेरोज़गार हुए प्रवासी मज़दूरों की स्थिति बेहद खराब है। दिलचस्प बात यह है कि मायावती ने यह भी घोषणा की हुई है कि वह मध्य प्रदेश के सभी 24 उप-चुनावों में अपनी पार्टी के उम्मीदवारों को खड़ा करेगी। राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह करके वह कांग्रेस की वोटों को तोड़ेंगी, जिसका सीधा लाभ भाजपा को होगा। (आई.पी.ए.)