गुरु की सीख

गुरु की सीख आश्रम में राजकुमार की शिक्षा पूरी हुई तो महाराज उसे लेने स्वयं आए। गुरु ने कहा- राजन। इसकी शिक्षा तोपूरी हो गई अब सिर्फ एक सबक देना बाकी है। वह अभी पूरा हो जाता है। यह कह कर गुरु ने एक कोड़ा लिया औरराजकुमार की पीठ पर सड़ाक-सड़ाक दो कोड़े जड़ दिए। फिर उन्होंने राजकुमार को आशीर्वाद दिया, जाओ वत्स, तुम्हाराकल्याण हो। राजा ने आश्चर्य से पूछा अपराध क्षमा हो, मगर राजकुमार का यह ताड़न मेरी समझ में नहीं आया  गुरुदेव।गुरु बोले- इसे शासक बनाना है। दूसरों को दंड भी देगा। इसे मालूम होना चाहिए कि मार की तकलीफ कैसी होती है। राजाबुद्धिमान और नेक व्यक्ति था। उसे गुरु की सीख का अर्थ समझ आ गया था।

-मुकेश शर्मा