क्रियात्मक रूप में सही कदम

पहले लॉक-डाउन और अब अन-लॉक इंडिया....लॉक-डाउन को अन-लॉक होना ही था, यह आज होता या कल। लॉक-डाउन चार की आखिरी तारीख 31 मई जैसे-जैसे  निकट आ रही थी, जन-साधारण की उत्सुकता बढ़ती जा रही थी। देश भर में इस दौरान दो विचार हवाओं में तैर रहे थे। पहला यह कि क्या देश में लॉक-डाउन पांच भी घोषित होगा, और दूसरा यह कि लॉक-डाउन यदि खुलता है तो उसका स्वरूप क्या होगा। इस बीच पंजाब सरकार ने प्रदेश में 30 जून तक लॉक-डाउन-5 की घोषणा कर के इस उत्सुकता को और बढ़ाया था। लोगों को यह भी उम्मीद थी कि पहले की ही भांति प्रधानमंत्री शायद ‘मन की बात’ कार्यक्रम में अगले लॉक-डाउन की घोषणा करें, परंतु केन्द्र सरकार ने लॉक-डाउन की बजाय अन-लॉक इंडिया अथवा बे्रक-डाउन की घोषणा करके देश भर में एक नई बयार के सुखद अहसास की अनुभूति कराई है। तीन चरणों में पूर्ण होने वाले इस अन-लॉक इंडिया के दौरान प्राय: अधिकतर जीवनोपयोगी गतिविधियां शुरू किये जाने की घोषणा की गई है। इसका अभिप्राय यह  हुआ कि कोरोना महा-वायरस के खतरे के साये में विगत 24 मार्च से लागू कर्फ्यू एवं चार चरणों वाले लॉक-डाउन की परेशानियों और पीड़ाओं को सहन करते रहने के बाद अन्तत: देश और समाज को पुन: गतिमान करने और इसके विकास एवं उन्नति को पुरानी लीहों पर डालने का फैसला कर लिया गया है। अन-लॉक इंडिया का पहला चरण 8 जून से शुरू होगा जिसके तहत कन्टेनमैंट घोषित क्षेत्रों से बाहरी जगत में धार्मिक स्थल, होटल, रैस्टोरैंट, शापिंग मॉल आदि खोले जा सकेंगे हालांकि इसके लिए स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन करना होगा। धार्मिक स्थलों को खोल कर अरदास-पूजा करने की इजाज़त दिये जाने की मांग समाज के अनेक वर्गों की ओर से पिछले काफी समय से बार-बार की जा रही थी। स्वाभाविक है कि इन वर्गों की ओर से इस फैसले का स्वागत होगा। होटल-रेस्टोरैंटों को खोलने की छूट दिया जाना भी, नि:संदेह  एक अच्छी बात है।  इसके बिना समाज के एक बड़े वर्ग को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था। अन-लॉक के दूसरे चरण में स्कूल-कालेजों सहित सभी प्रकार के शिक्षा संस्थानों को खोलने की बात की गई है, लेकिन इसके लिए अभी जुलाई तक की प्रतीक्षा करनी पड़ेगी। इस के लिए केन्द्र सरकार और राज्यों एवं केन्द्र-शासित क्षेत्रों के प्रशासनिक अधिकारियों के बीच वहां की स्थितियों की गहन जांच-पड़ताल और विचार-विमर्श के बाद ही कोई निर्णय किया जाएगा। इस घोषणा का यह भी एक अहम पक्ष है कि स्कूल-कालेजों को खोलने की घोषणा से पूर्व विद्यार्थियों के अभिभावकों एवं अन्य पक्षकारों की राय भी विस्तार से ली जाएगी। नि:संदेह यह एक बेहद अहम मामला है। स्कूल-कालेज और शिक्षण संस्थान 22 मार्च से ही देश भर में बंद रहने से खास तौर पर विद्यार्थी वर्ग और उनके अभिभावकों के समक्ष एक बड़ी चुनौती एवं बड़ी समस्या उत्पन्न हो गई थी। स्कूली शिक्षा के धरातल पर और वह भी सरकारी स्कूलों के लेकर तो यह समस्या  अधिक गम्भीर हो गई थी। ऑन-लाईन और मोबाइल शिक्षा को लेकर देश की भावी पीढ़ी के नौनिहालों के  अधिक अभ्यस्त न होने के कारण उनके लिए कई प्रकार की शैक्षणिक समस्याओं के अतिरिक्त शारीरिक और मानसिक चिन्ताएं उत्पन्न होने लगी थीं। इसी कारण पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड को पांचवीं, आठवीं और दसवीं की शेष बची परीक्षाएं लिए बिना, सभी विद्यार्थियों को समान रूप से पास करने का फैसला भी लेना पड़ा था। पंजाब में विगत अनेक दशकों के इतिहास में यह एक अभूतपूर्व फैसला था। स्कूलों के खुलने अथवा न खुलने को लेकर जारी असमंजस बाल-मनों पर विपरीत प्रभाव पड़ने का कारण भी बनने लगा था। स्कूलों को धीरे-धीरे खोलने के फैसले से नि:सन्देह रूप से देश में एक सुखद संदेश जाएगा।अनलॉक-इंडिया का तीसरा चरण थोड़ा अधिक अहम भी है, और कठिन भी। इस दौर में अन्तर्राष्ट्रीय हवाई उड़ानों, मैट्रो, रेल सेवा, सिनेमा, जिम, तरण-ताल, बार, आडीटोरियम एवं मनोरंजन पार्क आदि पर फिलहाल लॉक -डाऊन पांच के तहत पाबन्दियां जारी रखने का फैसला कोरोना महामारी का प्रकोप अभी बने रहने की पुष्टि करता है। सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक धरातल पर बड़े समागमों और खेल गतिविधियों पर भी इस दौरान अंकुश रहेगा किन्तु बीच में यदि स्थितियां सुखद करवट लेती हैं, तो इन प्रतिबन्धों में छूट भी दी जा सकती है। तथापि, इसके लिए कोई अंतिम तिथि निर्धारित नहीं की गई है। इसके अतिरिक्त रात्रि कर्फ्यू अभी जारी रखा गया है हालांकि इसकी अवधि पूर्व के सात से सात की बजाय रात्रि 9 से सवेरे पांच बजे तक कर दी गई है। इसके साथ ही कंटेनमैंट इलाकों में लॉक-डाउन का पांचवां चरण भी प्रथम जून से 30 जून तक रहेगा। तथापि कंटेनमैंट से बाहर के क्षेत्रों में कुछ प्रकार की गतिविधियों पर रोक का अधिकार राज्यों के पास ही रहने दिया गया है। इससे भी यह प्रकट होता है कि विश्व को अभी कोरोना महामारी को कुछ और सहन करना होगा।हम समझते हैं कि अन-लॉक और लॉक-डाउन-5 वाली इन दो पटरियों पर मानव ज़िन्दगी को दौड़ाने का केन्द्र सरकार का यह फैसला कई मायनों में सार्थक एवं उपयोगी साबित हो सकता है। यह तो अब तय है कि भविष्य में मनुष्य को कोरोना के साथ उसकी आंखों में आंखें डाल कर जीने का हुनर सीखना होगा। यह भी कि, ज़िन्दा राष्ट्रों की ज़िन्दगी में आर्थिक गतिविधियों को अधिक देर लॉक-डाउन की परिधि में नहीं रखा जा सकता। अत: जन-साधारण को कोरोना को मात देने की तऱकीबें ढूंढना ही होंगी और उन्हें अपनाना भी होगा। व्यक्ति से व्यक्ति के बीच तीन कदम की दूरी रखने, हाथ धोने, मॉस्क पहनने और सैनेटाइज़र का उपयोग करने जैसी क्रियाओं एवं सरकारी निर्देशों का लाज़िमी पालन करना होगा। यह भी कि बेशक इस दौरान जन-साधारण में जागरूकता बढ़ी है, परन्तु इस जागरूकता को बनाये रखना भी उतना ही आवश्यक है। नि:सन्देह यदि हमने इस जागरूकता को बनाये रखा, और कोरोना को हर हाल में परास्त करने का इरादा कर लिया, यह देश देर-सवेर पुन: विकास-पथ की पटरी पर सरपट दौड़ने लगेगा।