आई.पी.एल. करवाने में जल्दबाज़ी न हो

कोरोना वायरस के कारण लगे लॉकडाउन को धीरे-धीरे छूट के साथ कम किया जा रहा है और देश में इस समय आर्थिक गतिविधियां चलाने की बात भी की जा रही है। ताकि आर्थिक ढांचे के पहिये को फिर से चलाया जा सके। जब बात भारत देश के खेल आर्थिक ढांचे की होगी तो सबसे पहला नाम आई.पी.एल. का ही आएगा। क्योंकि देश में यह सबसे बड़ी लीग है। भारत देश में क्रिकेट एक जुनून है और  भारतीय क्रिकेट के मैचों की तरह देश के लोग आई.पी.एल. के हर सीज़न का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। इस बार यह इंतज़ार सबसे अधिक लम्बा हुआ है, क्योंकि कोरोना वायरस के कहर के कारण आई.पी.एल. आगे ही बढ़ता गया और यह हो सकेगा या नहीं इसके बारे में कहा नहीं जा सकता। इसी दौरान यह चर्चा भी चल रही है कि अगर कोरोना वायरस का ़खतरा आने वाले महीनों में कम होता है तो आई.पी.एल. 2020 का 13वां सीज़न फिर इसी वर्ष और आगे पड़ते हुए जुलाई-सितम्बर के दौरान आयोजित हो सकता है। सरकार की नीति और आस-पास के माहौल को देखते हुए अब तक यह तो स्पष्ट नज़र आ रहा है कि बी.सी.सी.आई. अब आई.पी.एल. का प्रबन्ध जुलाई या सितम्बर बीच के खाली समय में कर सकता है। आम तौर पर दो महीनों तक चलने वाले 60 मैचों के इस टूर्नामैंट का आकार छोटा किया जा सकता है। चाहे मैच की संख्या कम कर दी जाएगी। यहां तक कि बोर्ड भारत के बाहर कम खिलाड़ियों के साथ भी करवाने के लिए भी तैयार है। अगर जुलाई-सितम्बर के अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट कैलेंडर पर देखा जाए तो ऐसा नहीं लगता है। इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड जून-जुलाई में अपनी नई लीग ‘दी हंड्रेड’ करवाने वाला है। वहां भी सितम्बर में यू.ए.ई. में एशिया कप टी-20 करवाया जाना है। इन दोनों के  अलावा इसके बीच कोई बड़ी सीरीज नहीं है। हालांकि भारतीय टीम ने जून-जुलाई में पहले आस्ट्रेलिया में तीन एक दिवसीय मैच और फिर श्रीलंका में तीन टी-20 मैच की शृंखला खेली थी। बी.सी.सी.आई. विरोधी देशों के क्रिकेट बोर्ड के चर्चा कर इन शृंखलाओं को आगे बढ़ा सकता है, लेकिन फिलहाल ब भारतीय बोर्ड को हालात में सुधार होने का इंतज़ार है और एक बात स्पष्ट है कि भारतीय बोर्ड आई.पी.एल. को करवाना ज़रूर चाहता है। इसके पीछे कारण भी स्पष्ट है कि आई.पी.एल. भारतीय क्रिकेट बोर्ड संबंधित कम्पनियों के लिए कमाई का एक बड़ा स्रोत है और यह पहलू ही इसके आयोजन की सोच   पीछे का बड़ा कारण है। आई.पी.एल. करवाने के लिए उत्साहित लगते भारतीय क्रिकेट बोर्ड को पड़ोसी देश पाकिस्तान की स्थगित की गई पाकिस्तानी सुप्रीम लीग (पी.एस.एल.) की उदाहरण देख लेनी चाहिए, जिसमें एक विदेशी खिलाड़ी मेें कोविड-19 के लक्षण पाये जाने के बाद इस पी.एस.एल. को सैमीफाइनल मैच वाले दिन ही रद्द करना पड़ा था। आम समझदारी यही होगी कि आई.पी.एल. तब ही होंगे अगर हालात ठीक होते हैं। नहीं तो इस वर्ष आई.पी.एल. नहीं भी होते तो यह कोई बड़ी बात नहीं है, क्योंकि लोगों और खिलाड़ियों की सुरक्षा सबसे पहले है।