युवा क्रिकेटरों का यह कैसा हिंसक खेल?

कपिल देव आमतौर पर किसी भी मामले में क्रिकेटरों का पक्ष लेना पसंद करते हैं। कुछ-कुछ यही आदत मोहम्मद अज़हरूद्दीन की भी है। लेकिन विश्व क्रिकेट में भारत के ये दो सम्मानित पूर्व टैस्ट प्लेयर इन दिनों युवा भारतीय क्रिकेटरों से ही जबरदस्त गुस्से में हैं। इनके गुस्से का शिकार ये युवा खिलाड़ी भारत की मौजूदा अंडर-19 वर्ल्ड कप क्रिकेट टीम के खिलाड़ी हैं, जो टीम 9 फरवरी 2020 को दक्षिण अफ्रीका के शैक्षणिक शहर पोचेफ्सट्रूम में उपविजेता रही है।दरअसल कपिल देव और अज़हरूद्दीन को आये गुस्से का कारण इन युवा क्रिकेटरों का मैदान में प्रतिद्वंद्वी बांग्लादेश की टीम के साथ हिंसक बर्ताव है। हालांकि भारतीय टीम का कहना है कि बांग्लादेश की टीम फाइनल में उससे जीतने के बाद बेहद आक्रामक हो गई और बांग्लादेशी खिलाड़ी बिना किसी वजह के ही भारतीय खिलाड़ियों को अपमानित करने लगे जिस कारण भारतीय खिलाड़ियों को भी गुस्सा आया और उन्होंने अपने बचाव में उनसे हाथापाई की। लेकिन यह बात गले इसलिए पूरी तरह से नहीं उतरती क्योंकि ठीक इसी तरह के आरोप बांग्लादेश के खिलाड़ियों ने भी लगाया है। अगर इस मामले में आईसीसी द्वारा दोषी खिलाड़ियों को सुनाई गई सज़ा को देखें तो भी यही लग रहा है क्योंकि आईसीसी ने तीन बांग्लादेशी खिलाड़ियों और दो भारतीय खिलाड़ियों को क्रिकेट जैसे जेंटलमैन गेम की छवि खराब करने तथा खेल के नियमों का उल्लंघन करने के कारण कड़ी सज़ा सुनाई है। गौरतलब है कि 9 फरवरी 2020 को पोचेफ्सट्रूम में खेले गये भारत और बांग्लादेश के बीच फाइनल मैच में भारत की टीम ने 50 ओवरों में 177 रन बनाये, जवाब में बांग्लादेश की टीम भारत द्वारा खेले गये ओवरों के मुकाबले डेढ़ ओवर कम खेलकर ही ज़रूरी रन बना लिए। इस तरह बांग्लादेश ने पहली बार वर्ल्ड कप उठाया। शायद इस पहली जीत के जोश की बात रही हो या कुछ और कि जूनियर विश्व कप जीतते ही बांग्लादेश के खिलाड़ी बेहद आक्रामक हो गये और वह मैदान में ही भारतीय खिलाड़ियों के साथ धक्का-मुक्की करने लगे। इस पर भारतीय खिलाड़ियों ने भी पलटकर सेर का जवाब सवा सेर से दिया। लेकिन कपिल देव और अजहरूद्दीन क्रिकेट जैसे खूबसूरत और शिष्ट खेल के साथ आक्रामकता का रवैय्या कतई बर्दाश्त करने को तैयार नहीं हैं। शायद यही वजह है कि दोनों ही खिलाड़ियों ने बीसीसीआई से पोचेफ्सट्रूम में हिंसक रुख अख्तियार करने वाले खिलाड़ियों के खिलाफ  सख्त से सख्त कार्रवाई की मांग की है। कपिल देव कहते हैं, ‘क्रिकेट में जोश की हमेशा जगह रही है। लेकिन जोश में होश खोने की छूट क्रिकेट में कभी नहीं दी जा सकती क्योंकि दुनिया का एक यही ऐसा खेल है जिसको बकायदा जेंटलमैन गेम के तौर पर माना जाता है।’ उन्हीं की बातों को दोहराते हुए अजहरूद्दीन ने कहा है कि अंतर्राष्ट्रीय प्रारूप के बेहद जूनियर खिलाड़ी ही जब इस महान खेल का सम्मान नहीं करेंगे तो क्रिकेट का कोई मतलब नहीं रह जाएगा। ज्ञात हो कि इस मामले में सबसे पहले भारतीय खिलाड़ी बिशन सिंह बेदी ने भारतीय खिलाड़ियों को फटकार लगाई थी और बीसीसीआई से इन खिलाड़ियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की मांग की थी। बीसीसीआई खिलाड़ियों को क्या सज़ा देगा यह तो आने वाले दिनों में पता चलेगा। लेकिन आईसीसी ने जिन पांच खिलाड़ियों को अंडर-19 विश्व कप 2020 के बाद मैदान में एक दूसरे के साथ हिंसक अंदाज में उलझते हुए पाया है, उनके खिलाफ  उसने सख्त कार्रवाई कर दी है। इन पांच खिलाड़ियों में से तीन बांग्लादेश के हैं ये हैं मोहम्मद तौहीद, शमीम हुसैन और रकीबुल हसन और दो भारत के हैं रवि विश्नोई और आकाश सिंह। मालूम हो कि भारतीय स्पिनर रवि विश्नोई ने इस विश्व कप में सबसे ज्यादा 17 विकेट लिए थे और अपनी शानदार गेंदबाजी की चमक बिखेरी थी। लेकिन अपने हिंसक व्यवहार के कारण न सिर्फ अपनी लोकप्रियता पर धब्बा लगाया है बल्कि आने वाले दिनों में कई महत्वपूर्ण मैचों में भाग न ले सकने की सज़ा भी उन्हें भुगतनी होगी। आईसीसी ने इन पांचों खिलाड़ियों को आईसीसी की आचार संहिता के लेबल तीन के उल्लंघन का दोषी पाया है। इन पर धारा 2.1 के उल्लंघन का आरोप है। रवि विश्नोई पर धारा 2.5 के उल्लंघन का भी आरोप है। गौरतलब है कि आईसीसी की आचार संहिता धारा 2.1 खेल की साख को ठेस पहुंचाने के संबंध में है। इसमें साथी खिलाड़ियों के साथ बदसलूकी तथा सार्वजनिक तौर पर अभद्र व्यवहार व अनुचित बयानबाजी आदि शामिल हैं। जबकि धारा 2.5 का मतलब मैदान में गैरजरूरी उत्तेजना का प्रदर्शन है।