विकलांग होकर भी हिम्मत की मिसाल बना सीजो जार्ज

सीजो जार्ज एक नवयुवक विकलांग फुटबालर है जो विकलांग होकर भी हिम्मत की मिसाल बना है और आने वाले समय में उससे देश को बड़ी उम्मीदें हैं। सीजो जार्ज का जन्म 20 अक्तूबर 1999 को पिता जार्ज के घर माता फलोरैनसी की कोख से केरल प्रांत के शहर त्रिविंदरमपुर में हुआ। सीजो जार्ज बचपन से ही पोलियो का शिकार हो गया जिससे उसकी बाईं टांग बेकार हो गई जो उसके मां-बाप के लिए सदमे से कम नहीं था। बेटे का इलाज करवाने के लिए माता-पिता ने कोई कसर बाकी न छोड़ी लेकिन आखिर में निराशा ही हासिल हुई। सीजो जार्ज के पिता फुटबाल के प्रसिद्ध खिलाड़ी थे और उनकी तमन्ना थी कि उनका बेटा फुटबाल में उसकी तरह नाम कमाए लेकिन किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया और पिता का सपना बीच में ही टूट गया। इस सबके बावजूद सीजो जार्ज ने हौसला न छोड़ा और उसने धीरे-धीरे चलना शुरू किया। सीजो जार्ज ने सोचना शुरू किया कि ज़िन्दगी की उड़ान शुरू हो गई और वह सुबह शाम कदम दर कदम चलने लगा। एक दिन उसके दादा उसे खेल स्टेडियम में लेकर गए जहां सीजो जार्ज ने देखा कि स्टेडियम पूरा भरा हुआ था और उन सभी में वह अकेला ही विकलांग था। उसने भी खेलने की इच्छा को जाहिर किया तो नौजवान खिलाड़ी कहने लगे कि तू खेल नहीं सकता  क्योंकि तू हैंडीकैप्ट है। जब सीजो जार्ज ने यह बात सुनी तो उसको सदमा लगा सीजो जार्ज जब आठवीं कक्षा में था तो माता-पिता ने उसकी टांग का ऑपरेशन करवाया परंतु वह सफल न हुआ समय बीतता गया और जब सीजो जार्ज कालेज पढ़ रहा था तो उसका एक मित्र बना अथीस जोन जो कि स्पोर्ट्स के साथ संबंधित कोवालम एफ.सी. के टीम का सदस्य था और उसने सीजो जार्ज को उत्साहित किया कि वह एक अच्छा फुटबालर बन सकता है और इस दौरान ही उसकी मुलाकात संतोष ट्राफी विनर ईवन रोज़ के साथ हुई और वह सीजो जार्ज के लिए सोने पर सुहागा वाली बात हुई। भारत की पैरा फुटबाल टीम के चुनाव के लिए ट्रायल रखे गए थे इवनप्त रोज़ ओर अभिलास ने उस का भी होने जा रहे ट्रायल में नाम लिखवा दिया और सीजो जार्ज इसमें कामयाब हो गया और उसका चुनाव भारत की इम्पियूड यानी पैरा फुटबाल टीम में हो गया और आज वह केरला फिजीकल चैंलेज स्टोर्ट्स एसोसिएशन के साथ केरला की टीम का ही एक अहम हिस्सा है और अभी-अभी वह मलेशिया में भारतीय टीम के साथ खेलने जा रहा है। फुटबालर पिता का बेटा सीजो जार्ज अब पिता के सपने की पूर्ति ही नहीं करेगा बल्कि देश के लिए खेलता हुआ देश का सम्मान भी बनेगा। 

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