पंजाब में एक बार फिर हुई गेहूं की रिकार्ड पैदावार 

गेंहूं उत्पादन में भारत में 107.20 मिलीयन टन गेहूं पैदा करके विश्व में अपना दूसरा दर्जा कायम रखा है। अनाज उत्पादन में गेहूं का योगदान 35 प्रतिशत तक है यह रबी के मौसम की मुख्य फसल है। भारत गेहूं उत्पदन में अमरीका, रूस, कनाडा, आस्ट्रेलिया और अर्जनटाइना जैसे देशों से आगे है। आई.सी.ए.आर.-इंडियन इंस्टीच्यूनट आफ व्हीट एंड बार्ले रिसर्च (आई.आई. डब्ल्यू.बी.आर.) के डायरैक्टर डा. ज्ञान इंद्र प्रताप सिंह के अनुसार पिछले चार वर्ष के दौरान गेहूं का यह रिकार्ड उत्पादन है। पिछले वर्ष 103.6 मिलीयन टन गेहूं पैदा हुआ था सं: 2017-18 में 99.7 मिलीयन टन और सं: 2016-17 में 98.5 मिलीयन टन का उत्पादन हुआ था। गेहूं की सरकारी खरीद के द्वारा केन्द्र के गेहूं भंडार में योगदान डालने वाला पंजाब पहला राज्य है जहां केन्द्र गेहूं भंडार के लिए गेहूं सरकारी एजैंसियां खरीद कर चुका हैं। दूसरे नम्बर पर हरियाणा का स्थान इस वर्ष मध्य प्रदेश ने ले लिया है। जिसका योगदान 113.38 लाख टन को छू चुका है। हरियाणा का योगदान 72 लाख टन रह गया है जो तीसरे नम्बर पर आता है। उत्तर प्रदेश 20.39 लाख टन और राजस्थान 10.95 लाख टन का योगदान डाल कर चौथे और पांचवें नम्बर पर खड़ा है। केन्द्रीय अन्न भंडार में योगदान डालने वाले अन्य दूसरे गेहूं पैदा करने वाले राज्यों में बिहार, उत्तराखंड, गुजरात और हिमाचल प्रदेश आदि शामिल हैं। पिछले वर्ष पंजाब का केन्द्रीय गेहूं भंडार में योगदान 129.12 लाख टन था और हरियाणा का 93.20 लाख टन। कृषि और किसान विभाग के सचिव स. काहन सिंह पन्नू के अनुसार पंजाब में गेहूं का रिकार्ड उत्पादन 185 लाख टन होने का अनुमान है। कृषि और किसान कल्याण विभाग के डायरैक्टर  स्वतंत्र कुमार एरी के अनुसार कुछ किसानों ने अभी गेहूं भंडार कर रखा है क्योंकि इस बार किसानों को कटाई के तुरंत बाद मंडी में गेहूं लाने की छूट नहीं थी। वह अपनी बारी के अुनसार पंजाब मंडी बोर्ड से जारी किए गये निमंत्रण कूपनों के आधार पर गेहूं मंडी में ला सकते थे इसीलिए उनको गेहूं का भंडार करना पड़ गया क्योंकि भंडार करने के खर्चे हो चुके थे। उसके बाद कुछ किसानों ने मन बना लिया कि वे गेहूं अब आफ सीज़न में बेचेंगे जब उनको मूल्य अधिक मिलेगा। एरी ने बताया कि बार्डर  के गांवों के थोड़े से किसानों ने अपनी गेहूं हरियाणा की मंडियों में भी लाकर बेची है यही कारण है कि मंडियों में 135 लाख टन के अनुमान से कम आई है। डायरैक्टर एरी के अनुसार उत्पादन का अनुमान 185 लाख टन का ही है जबकि पिछला रिकार्ड 182 लाख टन का है।डायरैक्टर आई.सी.ए.आर.-आई.आई.डब्ल्यू.बी. आर. डा. ज्ञान इन्द्र प्रताप सिंह के अनुसार अधिक उत्पादन देने वाली एच.डी-2997, एच.डी.-3086 और डी.बी. डब्ल्यू-187 किस्में गेहूं पैदा करने वाले 60 प्रतिशत से अधिक रकबे पर काश्त की गई है और इन तीनों किस्मों की उत्पादकता संतोषजनक रही है। चार एच.डी-2967 किस्म कई स्थानों पर पीली पुंगी का शिकार भी हो गई। डा. सिंह ने कहा कि भारत की गेहूं की उत्पादकता 36 क्ंिवटल हैक्टेयर को छू गई जबकि पंजाब की उत्पादकता 52 क्ंिवटल प्रति हैक्टेयर है जो सभी राज्यों से अधिक है। पंजाब और हरियाणा में अधिक उन्नत पी.बी.डब्ल्यू.-343, एच.डी.-3086, एच.डी.-2967, डी.बी. डब्ल्यू.-डब्ल्यू.एच.-1105 और एच.डी.-3226 आदि की काश्त की गई है नयी किस्में आई.सी.ए.आर.-भारत कृषि गेहूं और जौ के शोध संस्थान की ओर से जारी की गई किस्म डी.बी.डब्ल्यू.-187 और आई.सी.ए.आर.-भारतीय कृषि शोध संस्थान की नोटिफाईड एच.आई.-1620 (जिनको चुनिंदा किसानों के खेतों में बीजा गया) जैसी किस्मों की प्रभावशाली उत्पादकता 65 क्ंिवटल प्रति हैक्टेयर से अधिक रही। इस वर्ष (सं: 2020-21) में रिकार्ड उत्पादन होने का श्रेय मेहनती किसानों, कृषि वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं और उनकी शोध को किसानों तक पहुंचाए जाने वाली एजैंसियों के नाम जाता है। गेहूं की काश्त केवल 20 मिलीयन हैक्टेयर रकबे पर 19 राज्यों में की गई है। गेहूं की काश्त करने वाले पंजाब, मध्यप्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश है। विशेषज्ञों और वैज्ञानिको के अनुसार इस वर्ष गेहूं का उत्पादन और उत्पादकता बढ़ने का कारण शीत ऋतु का लम्बा हो जाना है। समय पर बिजाई, अधिक किसानों की ओर से बीज की दर सिफारिशों के अनुसार पड़ा, रासायनिक खादों का प्रयोग, सिंचाई और नदीन नाशकों और बीमारियों पर प्रभावशाली कीटनाशकों के छिड़काव का किसानों की ओर से प्रभावशाली ढंग से किया जाना भी गेहूं की उत्पादकता बढ़ाने में सहायक हुआ है विशेष तौर पर उत्तर पश्चिमी जोन जिसमें पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और तराई के क्षेत्र शामिल हैं, अधिक उत्पादन और उत्पादकता के लिए सहायक हुए हैं। कृषि सचिव काहन सिंह पन्नू कहते हैं कि कोरोना वायरस और गेहूं पकने वाले खेत मज़दूरों की कमी होने के बावजूद किसानों ने गेहूं की देखभाल और समय पर कटाई करने में हौंसला दिखाया है। मंडीकरण में भी उन्होंने सरकार की ओर से किए गए प्रबंधों के कारण प्रोक्यूरमैंट का अपना चिन्ह पूरा करने में पूरा सहयोग दिया। सबसे अधिक किसानों में मंडियों में सामाजिक दूरी का पूरा ध्यान रखते हुए गेहूं का मंडीकरण किया। मंडियों में आढ़तियों ने पूरा सहयोग देकर अपने कार्यकताओं को गेहूं के मंडीकरण में ला दिया और किसानों को सामाजिक दूरी रखने के पक्ष में अपने शैलरों में गेहूं का भंडार करने के लिए स्थान उपलब्ध करवाया जिससे सरकारी खरीद का काम सफलता से हो सका।