कुछ सकारात्मक प्रभाव भी हैं कोरोना के

कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप को देख कर सरकार ने देश को लॉकडाउन कर दिया। स्कूल, कॉलेज, दफ्तर सभी बंद हो गए जिसकी वजह से देश की जनसंख्या का काफी हिस्सा घरों में कैद हो गया। इससे लोगों की जीवन शैली में भी बहुत परिवर्तन हुआ। सामाजिक मेलजोल बंद हो गया, सड़कों पर सन्नाटा पसर गया व देश की आर्थिक परेशानियां बढ़ने लगीं। लोगों को रोज़ी रोटी की चिंता सताने लगी। लोगों में कोरोना के प्रति खौफ  इस तरह हावी होने लगा कि सामान्य ज़ुकाम और बदन दर्द को भी कोरोना से जोड़कर देखा जाने लगा। 
इतना सब होने के बावजूद कोरोना के सकारात्मक परिणाम भी सामने आए हैं। असली आज़ादी के मायने क्या होते हैं और जीवन से बढ़ कर कुछ नहीं होता, यह इस कोरोना ने अच्छी तरह से समझा दिया है। इसके साथ ही लम्बे समय से जारी लॉकडाउन ने भी हमें बहुत कुछ सिखाया है। सबसे अहम है परिवार का महत्व और एक दूसरे की परवाह। इसने पारिवारिक संबंधों को मजबूत भी किया है। परिवारों में समय के कारण आई दूरियां लगभग खत्म हो गईं। कोरोना ने रामायण, महाभारत के पुराने दौर को फिर से जीने का मौका दिया और साथ बैठना भी सिखाया। सब मिलकर एक दूसरे के काम में सहायता करते हैं और एक साथ बैठ कर खाते हैं। समय की कमी के कारण दूर बैठे दोस्त पीछे छूटते जा रहे थे। अब उन दोस्तों से ऑनलाइन बातें हो रही हैं। ज्यादातर दफ्तर का काम और पढ़ाई भी ऑनलाइन हो रही है। कोरोना ने पूरी दुनिया का माहौल बदल कर रख दिया है जिस कारण आम लोगों की जिन्दगी में बहुत बड़ा परिवर्तन आया है।           
लॉकडाउन में लोगों की किताबें पढ़ने में रुचि बढ़ रही है। अब लोग स्वच्छता के प्रति भी अधिक जागरूक हो रहे हैं। कुछ लोग साफ -सफाई का बिलकुल ध्यान नहीं रखते थे। वे भी आज साफ -सफाई के साथ-साथ सैनेटाइजर का प्रयोग करने लगे हैं। लोग अपनी सेहत को लेकर आगे से ज्यादा सावधान और जागरूक हो गए हैं। लोग बाहर निकलते समय मास्क पहन रहे हैं और सामाजिक दूरी का भी ध्यान रखने लगे हैं। कोरोना ने लोगों की जिंदगी को बहुत ही सादगीपूर्ण व्यतीत करना सिखाया है। लोग अब घर का बना हुआ खाना खाने लगे हैं। 
अब पुरुष भी नए-नए पकवानों पर अपने हाथ आजमा रहे हैं। इससे महिलाओं को भी मदद मिल रही है। कोरोना का एक सुखद पहलू यह भी है कि शादियां बहुत ही सादगी से होने लगी हैं। सड़क दुर्घटनाओं और दुष्कर्म जैसी घटनाओं में में काफी कमी आई है। कारखाने बंद होने से प्रदूषण का स्तर काफी कम हुआ है। कोरोना ने हमें प्रकृति के नज़दीक कर दिया है। दादी, नानी की कहानियां फिर से सुनी जा रही हैं। एक तरह से कहा जाए तो बच्चों के लिए यह समय एक आशीर्वाद जैसा है। इतना कुछ सकारात्मक होने पर भी हमें जिन्दगी को रफ़्तार देने के लिए कोरोना को हराना है। हमें कोरोना से डरना नहीं है बल्कि मिलजुल कर इसको दूर भगाना है।