सब्ज़ियों के गिरे भाव ने किसानों को उजाड़ा

जालन्धर, 6 जून (मेजर सिंह): वायरस की आपदा ने सब्ज़ी उत्पादक उजाड़े कर रास्ते डाल दिये हैं। महंगे बीज, खादों-दवाइयों के छिड़काव व सिंचाई से तैयार की सब्ज़ियां बाज़ारों में कौड़ियों के भाव बिक रही हैं। यहां तक के टमाटर, खीरे आदि की बिक्री से तो लिफ्ंिटग का खर्चा बहुत कम पूरा होता है। लाकडाऊन के कारण पहले 2 महीने से ग्रामीण क्षेत्रों में शहरों में सब्ज़ियां लाने में बड़ी समस्या रही, परन्तु अब लाकडाऊन खुलने के बाद भी होटल, रैस्टोरैंट, ढाबे, मैरिज पैलेस आदि बंद होने के कारण व धार्मिक अस्थानों में समारोह न होने पर समाज स्तर पर भी कोई समाधान नहीं हो रहा, जिस कारण इस समय सब्ज़ियों की मांग भी बड़े स्तर पर कम है। मांग कम होने के कारण सब्ज़ियों के बेहद कम हैं। खासकर टमाटर, खीरे आदि का तो खरीददार ही बहुत कम मिलता है। पूरे पंजाब में सब्ज़ी उत्पादक बड़े संकट में फंसे हुए हैं। इस वर्ष टमाटर की भरपूर फसल होती है, परन्तु मांग बेहद कम है। परिणाम यह है कि शहरी मंडियों में अच्छे टमाटर का 20-22 किलो का रेट 55 से 60 रुपए मध्य बिक रहा है। इस तरह खीरा भी अढ़ाई-तीन रुपए किलो के भाव बिकता है। सुल्तानपुर लोधी से जालन्धर मंडी में सब्ज़ी लेकर आने वाले किसान ने बताया कि इस भाव टमाटर व खीरे बेच कर तो लिफ्ंिटग का खर्चा भी पूरा नहीं होता। उनका कहना है कि टमाटर परचून में अभी भी 15 से 20 रुपए किलो लोगों को मिल रहे हैं। टमाटर की चटनी बनाने वाली फैक्ट्रियों ने भी किसानों की मजबूरी का फायदा उठाना शुरू कर दिया है और यह फैक्ट्रियां 300 रुपए क्ंिवटल ले रही हैं। इस तरह करेला 6 रुपए किलो, गोभी 8 रुपए किलो, शिमला मिर्च 7-8 रुपए, भिंडी 7-8 रुपए, हरी मिर्च 3 रुपए किलो, हलवा 2 रुपए किलो व रामा तोरी 8-9 रुपए किलो बिक रहे हैं। सब्ज़ी उत्पादकों का कहना है कि इस संकट मौके सरकार को उनकी सहायता करनी चाहिए थी, परन्तु सरकार ने कोई सार नहीं ली।