कुर्दिश और बलोच स्वतंत्रता सेनानियों को मदद ज़रूरी

गत दिनों जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों ने पुलवामा में विस्फोटक से लदी एक कार का समय रहते पता लगा कर आतंकवादियों की भारत के सुरक्षा बलों के एक काफिले पर हमले की योजना को विफल कर दिया।  इस मुस्तैदी के लिए सुरक्षा बल बधाई के पात्र हैं। लेकिन इस घटना में एक चौंकाने वाली बात ये सामने आई कि इस वारदात में तुर्की के एक आतंक विशेषज्ञ का भी हाथ रहा। स्पष्ट है कि तुर्की अपने महान शासक हसन कमाल अता तुर्क के धर्मनिर्पेश सिद्धांत को तिलांजलि देकर अपने स्वरूप को एक धर्म विशेष के हितैशी के रूप में सामने ला रहा है और अब तो वह आतंकवाद को भी समर्थन देने लगा है। तुर्की और पाकिस्तान की भारत विरोधी हरकतों को हम भविष्य पर नहीं टाल सकते और ‘जैसे को तैसा’ की नीति का अनुसरण कर हमें भी ब्लूचिस्तान की आज़ादी के लिए स्वतंत्रता सेनानियों की और अलग कुर्द देश के लिए तुर्की से लड़ने वाले कुर्दिश स्वतंत्रता सेनानियों की मदद करनी चाहिए।

-अक्षित आदित्य तिलक राज गुप्ता