राष्ट्र-कवि सुब्रह्मण्यम भारती

सुब्रह्मण्यम भारती आधुनिक तमिल कवि थे। उन्होंने अपनी कृतियों में राष्ट्रभक्ति के स्वर शिखर पर पहुंचाए  एत्तिमपुर के राजा ने उन्हें मात्र 11 वर्ष की आयु में ‘भारती’ की उपाधि देते हुए अपना ‘राजकवि’ बनाया था। 1905 के बंगभंग आंदोलन में उन्होंने ओजस्वी कविता लिखकर अपना योगदान दिया। वाराणसी कांग्रेस अधिवेशन में उन्होंने भाग लिया। भारती ने ‘इंडिया’ और ‘बालभारती’ नामक पत्रों का संपादन भी किया था। 1907 में उनका काव्य संग्रह ‘स्वदेश गीत’ प्रकाशित हुआ। 1918 में राष्ट्रीय कविताएं लिखने के कारण उन्हें जेल भेजा गया। 1920 में उन्होंने ‘स्वदेश मिलन’ का संपादन किया। वे महान क्रांतिकारी एवं ओजस्वी कवि थे। भारती का जन्म 11 सितंबर 1882 को तिनेबेल्लि (तमिलनाडु) में हुआ था। उन्हें परिवार में ‘सुब्बैया’ कहकर पुकारा जाता था। सात वर्ष की आयु से ही वे कविताएं करने लगे थे। 1908 में मैट्रिक में उन्होंने कई कविताएं लिखीं। ‘कोपल पत्तु’ एवं ‘पांचाली सप्तम’ उनकी प्रसिद्ध कविताएं हैं। 11 सितंबर 1921 को इस महान राष्ट्रकवि की मृत्यु हुई। सुब्रह्मण्यम भारती ने जीवनभर अपने काव्य एवं अन्य साहित्यिक कार्यों से राष्ट्र सेवा की। देश के स्वतंत्रता संग्राम में संलग्न रहने वाले इस क्रांतिकारी कवि को युगों-युगों तक याद किया जाता रहेगा। दक्षिण भारत के इस महान कवि के नाम से आज समूचे भारत का बच्चा-बच्चा परिचित है।

प्रस्तुति-फ्यूचर मीडिया नेटवर्क