पंजाब में नशे की बढ़ती चुनौती

पंजाब के पुलिस महा-निदेशक दिनकर गुप्ता की ओर से नशे और नशीले पदार्थों की तस्करी को लेकर की गई टिप्पणी से प्रदेश में नशे का जिन्न एक बार फिर बोतल से बाहर हुआ है। दिनकर गुप्ता ने ‘अजीत प्रकाशन समूह’ के साथ एक विशेष भेंट-वार्ता के दौरान प्रदेश में नशे के प्रचलन और इसके भूमिगत कारोबार को मौजूदा समय की एक बड़ी चुनौती करार दिया है। यह टिप्पणी इसलिए भी महत्त्वपूर्ण हो जाती है कि पंजाब में वर्ष 2017 के विधानसभा चुनावों के दौरान नशा एक प्रमुख चुनावी मुद्दा बना रहा था। प्राय: सभी राजनीतिक दलों ने नशीले पदार्थों की तस्करी  रोकने और पंजाब की युवा शक्ति के नशे की दलदल में धंसते जाने संबंधी मुद्दों को अपने-अपने चुनाव घोषणापत्रों में शामिल भी किया था। उस काल के दौरान प्रदेश के कई  राजनीतिक दलों के कई बड़ों के नाम भी नशे की तस्करी के लिए उभरे थे। मौजूदा सरकार के मुख्यमंत्री और उस समय चुनाव लड़ रहे कांग्रेसी नेताओं ने बार-बार घोषणाएं की थीं कि  एक वर्ष के भीतर पंजाब को नशे के अभिशाप से मुक्त कर दिया जाएगा।आज इस सरकार को बने लगभग साढ़े तीन वर्ष का समय व्यतीत हो गया है, और आगामी चुनाव की आहट भी प्रदेश की चौखट के पार सुनाई देने लगी है, परन्तु नशे  का सेवन और इसका कारोबार पूर्ववत् जारी है। अन्तर केवल इतना पड़ा है कि नशे के व्यापारी बदल गये। नशे के सेवन से होने वाली मौतों का आंकड़ा पहले से बढ़ा है। नशीले पदार्थों की सीमा-पार से तस्करी पर विगत साढ़े तीन वर्षों में रत्ती भर अंकुश नहीं लगा है। इसका बड़ा प्रमाण प्रदेश के पुलिस प्रमुख द्वारा स्वयं सीमा पार से होने वाली नशीले पदार्थों की तस्करी को भी एक बड़ी चुनौती करार देने  से मिल जाता है। नशे के इस कारोबार को सीमा-पार से मिल रहे समर्थन और संरक्षण से नि:सन्देह यह प्रदेश में एक नये नारको आतंकवाद के रूप में उभरा है। नशे ने प्रदेश की युवा शक्ति का क्षरण  किया है। शहरों के साथ गांवों में भी नशे के सेवन ने व्यापक रूप से प्रसार हासिल किया है। इससे एक ओर जहां अपराध की घटनाएं बढ़ी हैं, वहीं प्रदेश का कृषि एवं औद्योगिक उत्पादन भी प्रभावित हुआ है। प्रदेश का युवा कृषि से विमुख होने लगा है तो इसके पीछे एक बड़ा कारण भी नशा ही है। नशे ने प्रदेश के कई गांवों के अधिकतर युवाओं को अपनी चपेट में लिया है। पिछले दिनों एक नशा तस्कर परिवार द्वारा अपने गांव के अनेक युवाओं को नशीली मृत्यु का शिकार बनाने और फिर इस परिवार के अपने चार बेटों के नशेड़ी बन जाने और इस क्रम में परिवार के चार सदस्यों की सामूहिक हत्या का समाचार भी पूरे प्रदेश को हतप्रभ कर देने के लिए काफी है। पुलिस प्रमुख द्वारा पिछले कुछ समय में नशे के अनेक बड़े एवं कुख्यात तस्करों की गिरफ्तारी का दावा भी प्रदेश में नशे के कारोबार की गम्भीरता को दर्शाता है। हम समझते हैं कि पंजाब में आज नशे का कारोबार और नशे का सेवन करने वालों की संख्या का आंकड़ा जिस धरातल को छू चुका है, वहां से आगे का रास्ता रसातल की ओर जाता है और यहां से पीछे मुड़ने की भी मार्ग नहीं बचा है। प्रदेश में सरकारी आंकड़ों के अनुसार 12 लाख से अधिक लोग नशे का सेवन करते हैं। इनमें से लगभग 5 लाख ही सरकार के नशा-उन्मूलन दस्तावेज़ों में दर्ज हैं। इस सन्दर्भ में एक बड़ी समस्या यह भी है कि नशे का सेवन करने वालों में से अधिकतर युवा बड़ी आसानी से नशे की तस्करी करने वालों के कारिंदे बन जाते हैं। इस कड़ी को तोड़ने अथवा प्रदेश में सचमुच नशे की तस्करी को रोकने के लिए बड़ी आवश्यकता पुख्ता राजनीतिक इच्छा-शक्ति की है। इस बात में कोई दो राय नहीं कि राजनीतिक मिली-भुगत अथवा सत्ता-संरक्षण के बिना इतना ़खतरनाक व्यापार इतने व्यापक दायरे में नहीं फैल सकता। नशा-तस्करों को हर सरकार और सत्तारूढ़ दल की ओर से सत्ता-संरक्षण मिलता रहा है, चाहे वह पिछली सरकार थी, या मौजूदा सरकार है।मौजूदा दौर में तो प्रदेश में शराब के कारोबार ने भी युवाओं के भविष्य को दांव पर लगा रखा है। कोरोना महामारी के दृष्टिगत लॉकडाऊन के बाद की स्थिति में शराब के अवैध कारोबार का एक नया ही जिन्न सामने आया है। इस जिन्न को राजस्व-आय बढ़ाने के लिए सरकार का भी उतना ही बड़ा समर्थन हासिल है जितना कि तस्करों और राजनीतिक दबंगों का है। आज  प्रदेश में नशे की तस्करी और नशे के प्रसार पर अंकुश लगाने के लिए राजनीतिक एवं सत्ता-व्यवस्था की इच्छा-शक्ति की आवश्यकता और बढ़ी है। एक ओर जहां सरकार को चुनावों के दौरान किये गये वायदों के अनुरूप प्रदेश को सचमुच नशा-मुक्त बनाने के दायित्व को पूरा करना है, वहीं राजनीतिक धरातल पर सभी दलों को इस मोर्चे पर अपने-अपने कर्त्तव्य का निर्वहन करना है। हम समझते हैं कि इस अहम मामले को चुनावी मुद्दा न समझ सभी वर्गों की ओर से राजनीतिक धरातल पर जितनी शीघ्र इस इच्छा-शक्ति को जागृत किया जाएगा, उतना ही प्रदेश की जनता और खास तौर पर युवाओं के हित में होगा।