जब बच्चा ज़िद्दी हो

आजकल अधिकांश मां-बाप की यही शिकायत रहती है कि उनके बच्चे जिद्दी हैं, उनका कहना नहीं मानते, उनका सम्मान नहीं करते व कहीं बच्चों के साथ जाएं तो वे वहां तोड़फोड़ करने से भी बाज नहीं आते। उन्हें समझ नहीं आता कि वे ऐसे बच्चों से किस प्रकार व्यवहार करें। बाल विशेषज्ञों का मानना है कि बच्चे के गलत व्यवहार के लिए मां-बाप की अत्यधिक व्यस्तता काफी हद तक जिम्मेदार है। आज के मशीनी युग में अभिभावक इतने व्यस्त रहते हैं कि वे अपने बच्चे पर पर्याप्त रूप से ध्यान नहीं दे पाते। 
बाल मनोवैज्ञानिकों के मुताबिक जब अभिभावक बच्चे को लगातार अनदेखा करते हैं तो बच्चे को लगता है कि वे उससे प्यार नहीं करते। वह स्वयं को अकेला, असहाय व असुरक्षित समझने लगता है। अत: अगर अभिभावक चाहते हैं कि उनका बच्चा जिद्दी, बहुत ज्यादा शरारती व उनके लिए शार्मिंदगी का कारण न बने तो इसके लिए कुछ बातों पर अमल करना अति आवश्यक है।
द्भ सर्वप्रथम अपने बच्चे के स्वभाव को समझें। वह जैसा है, उसे वैसा ही स्वीकार करें। उसकी तुलना अन्य बच्चों, यहां तक कि उसके बहन-भाइयों से भी न करें।
द्भ बच्चे को पर्याप्त समय दें। उसके साथ हंसे खेलें। उसके छोटे-छोटे काम उसे स्वयं करने दें। शुरू से बच्चों में आत्मनिर्भर होने की आदत डालें।
द्भ जब बच्चा स्कूल जाने लगे तो उसे स्कूल बैग संभालना, कपड़े बदलना, अपनी चीजों को नियत स्थान पर रखना सिखाएं। ऐसा करने से आपको भी आसानी होगी और आत्मनिर्भरता आते ही उसका आत्मविश्वास भी बढ़ता है।
द्भ उसकी जिज्ञासा को शांत करने का प्रयास करें। उसे डांटकर चुप कराने की बजाय उसके प्रश्नों का सही उत्तर उसे दें।
द्भ उससे ऐसा कोई वादा न करें जो आप पूरा न कर सकें।
द्भ उसे पौष्टिक व संतुलित आहार दें। ध्यान रहे बच्चा भूखा न रहे क्योंकि भूख के चलते वह उग्र रूप धारण कर सकता है।
द्भ बच्चे से समय-समय पर उसकी समस्याओं के बारे में पूछें व उनका जितनी जल्दी हो सके, उचित समाधान करें।
द्भ उसे फास्टफूड की बजाय प्राकृतिक खाद्य पदार्थों का अधिक से अधिक सेवन कराएं। सुबह-शाम दूध अवश्य दें। इसके अलावा उसके टिफिन में भी घर का बना भोजन ही पैक करें। 
द्भ उसे बाहर घुमाएं। विभिन्न गतिविधियों में भाग लेना सिखाएं।
द्भ  उसके कार्यों की प्रशंसा करें। (उर्वशी)