स्वास्थ्य सुविधाओं को मिले प्राथमिकता

पिछले दिनों पंजाब मंत्रिमंडल की सम्पन्न हुई एक बैठक में स्वास्थ्य एवं मैडीकल शिक्षा विभागों में 4,245 आसामियों को भरने की जो इजाज़त दी गई है, हम उसे लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करने के लिए उठाया गया एक अच्छा कदम समझते हैं। आज प्रदेश में सरकार की ओर से स्वास्थ्य एवं शिक्षा संबंधी दो प्रमुख प्राथमिकताओं को निश्चित किया जाना ज़रूरी है। एक का संबंध शारीरिक स्वास्थ्य के साथ है तथा दूसरे का मानसिक स्वास्थ्य के साथ। आज़ादी के बाद शुरू-शुरू में प्रदेश सरकारों की प्राथमिकताएं स्वास्थ्य एवं शिक्षा ही बनी रही थीं, परन्तु धीरे-धीरे ये दोनों अहम पक्ष कमज़ोर पड़ते गये। प्रदेश सरकारों की ओर से इन क्षेत्रों को दृष्टिविगत किये जाने के कारण आज ये दोनों ही क्षेत्र कमज़ोर स्थिति में हैं। प्रदेश में सरकारी स्वास्थ्य सेवाएं निराशाजनक स्थिति में पहुंच गई हैं। सरकारी अस्पतालों की दशा अच्छी नहीं है। यहां बड़ी सीमा तक डाक्टरों, अन्य स्वास्थ्य कर्मचारियों तथा दवाइयों की बड़ी कमी खटकती है। सफाई की ओर भी अधिक ध्यान नहीं दिया जाता। जन-साधारण को इन अस्पतालों में आकर संतोष उपलब्ध नहीं होता। इसी कारण छोटे-बड़े निजी अस्पतालों एवं लाखों की संख्या में निजी डाक्टरों ने इस शून्य को भरना शुरू किया हुआ है। आज इस माहौल में सरकारी स्वास्थ्य सुविधाएं बौना होकर रह गई हैं जबकि किसी भी प्रदेश सरकार के लिए अपने लोगों की सबसे बड़ी सेवा उनके लिए अधिकाधिक स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करना होना चाहिए। पंजाब सरकार की ओर से ‘तंदुरुस्त पंजाब मिशन’ की शुरुआत भी की गई है। इसके उद्देश्यों में पंजाब को तंदुरुस्त लोगों का स्वस्थ प्रदेश बनाना, स्वच्छ पेयजल उपलब्ध करवाना, हवा के स्तर में सुधार करना, मिलावट रहित खाद्यान्न वस्तुओं की पैदावार करना, साफ-सुथरा वातावरण बनाना आदि शामिल थे। इसके साथ ही प्रदूषण रहित वातावरण के सृजन का संकल्प भी लिया गया था। इस ओर अधिकाधिक योजनाबंदी किये जाने का उद्देश्य भी तय किया गया था। इसके अतिरिक्त नकली व ़गैर-कानूनी दवाइयों को खत्म करना, छूत की बीमारियों की रोकथाम करना तथा स्कूलों में स्वास्थ्य कार्यक्रम शुरू करना भी इस योजना के अंग थे। अब जबकि कोरोना वायरस की महामारी फैलने के कारण लोगों के इलाज की भारी ज़िम्मेदारी सरकारी अस्पतालों पर आ पड़ी है, तो यह बहुत आवश्यक हो गया है कि ग्रामीण क्षेत्रों से लेकर शहरों तक सरकारी अस्पतालों एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों को बेहतर बनाया जाए। अब केन्द्र सरकार की ओर से प्रदेश में ‘आयुष्मान भारत योजना’ भी लागू की जाने लगी है। इसके शुरू होते ही इसमें वास्तविक लाभार्थियों की बजाय नकली कार्ड बनाने का घोटाला भी सामने आ रहा है। यदि प्रदेश सरकार केन्द्र की इस योजना को अच्छे एवं दोष-रहित ढंग से लागू करवाने में सफल हो जाती है, तो इससे भी लाखों लाभार्थियों को स्वास्थ्य के क्षेत्र में भारी लाभ प्राप्त हो सकता है। पिछले दिनों सहकारिता मंत्री सुखजिन्दर सिंह रंधावा ने भाई कन्हैया स्वास्थ्य सेवा योजना के अन्तर्गत वर्ष 2020-21 के लिए सहकारी सोसायटियों के सदस्यों एवं परिवारों को इलाज के दायरे में लाने का कार्य आरम्भ किया है जिसका सही ढंग से लागू होने पर अच्छा लाभ मिल सकता है। प्रदेश सरकार की ओर से अपने बजट में स्वास्थ्य संबंधी अधिक राशि आरक्षित की जानी चाहिए। इस क्षेत्र की अत्याधिक पुख्ता ढंग से देखभाल एवं निगरानी भी की जानी चाहिए। इस संबंध में सही-सही आंकड़े तैयार किये जाने चाहिएं कि सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं का कितने लोगों को किस सीमा तक लाभ पहुंचाया जा सका है। यह बात अवश्य सन्तोषजनक कही जा सकती है कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में बहुत-सी स्वयं-सेवी संस्थाएं सक्रिय हैं। विभिन्न धार्मिक संस्थान भी अपनी बनाई गई संस्थाओं के माध्यम से निरन्तर ज़रूरतमंदों की सेवा कर रहे हैं। इस बात का भी प्रदेश सरकार को नोटिस लेना चाहिए तथा समुचित ढंग से इन लाखों संस्थाओं की प्रशंसा की जानी चाहिए जो अपने ढंग से समाज में ज़रूरतमंदों की सेवा कर रही हैं। ऐसा तभी सम्भव हो सकता है, यदि प्रदेश सरकार गम्भीरता के साथ इस ओर ध्यान देकर प्रत्येक पक्ष से इसकी योजनाबंदी तैयार करे। इस समय कोरोना वायरस की महामारी एवं अन्य गम्भीर बीमारियों के उपचार के लिए सरकारी क्षेत्र की स्वास्थ्य सुविधाओं को समयानुकूल बनाया बहुत ज़रूरी है। तभी लोगों के बहु-मूल्य जीवन की रक्षा की जा सकती है। 

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द