आ गया व्यक्तिगत खेलों का ज़माना  

कोविड-19 महामारी ने मानवीय जीवन की प्रत्येक गतिविधि का स्वरूप बदल दिया है। इसके तहत ही खेल गतिविथियां भी लगभग ठप्प हो गईं हैं। एक बार तो तालाबंदी के कारण बिल्कुल ही खेल मैदान सुनसान हो गए हैं परन्तु सोशल डिस्टैंस को ध्यान में रख कर कुछ खेल गतिविधियां धीरे-धीरे शुरू हो रही हैं। टीम वाली खेलों के अलावा शारीरिक सम्पर्क वाले खेलों से सम्बधित गतिविधियां तो बिल्कुल ही बंद हो गई हैं। हमारे देश में चाहे कुछ व्यक्तिगत खेलें नेता जी सुभाष नैशनल इंस्टीच्यूट आफ स्पोर्ट्स (एन.आई.एस.) पटियाला में राष्ट्रीय प्रशिक्षण कैंप पिछले महीने शुरू हो गए थे परन्तु अधिकतर खेल गतिविधियां अभी बंद ही हैं। देखा जाए तो कुछ व्यक्तिगत खेल गतिविधियां जल्द ही शुरू होने के आसार बनते नज़र आ रहे हैं जिनमें बैडमिंटन, टेबल टैनिस, टैनिस, भारोतोलन, तीरंदाज़ी, योगा, निशानेबाजी, एथलैटिक्स (गोला, डिस्कस, हैमर फेंकना, ऊंची, लम्बी और तीहरी छलांग) जैसे मुकाबले शामिल हैं। इनके अलावा टीम मुकाबले वाली या शारीरिक सम्पर्क वाली खेलें (कुश्ती, कबड्डी, जूडो, मुक्केबाजी और ताईक्वांडो आदि) की गतिविधियां शुरू होने बारे अभी भविष्यवाणी करनी कठिन है। वर्तमान हालातों में अधिकतर खिलाड़ी मुकाबलेबाजी से दूर हैं और अपने घरों में ही कसरत कर रहे हैं। इस संकटमय दौर ने जहां बहुत सी खेलों से संबंधित खिलाड़ियों के भविष्य पर प्रश्नचिन्ह लगा दिए हैं, वहीं इन खेलों के साथ जुड़े कोचों और संस्थाओं पर भी आर्थिक संकट के बादल मंडरा रहे हैं। वर्तमान दौर ने बहुत से निजी खेल प्रशिक्षण केन्द्रों के संचालक बेकार कर दिए हैं। विशेष तौर पर व्यक्तिगत खेलें अधिकतर कोचों के लिए रोज़ी-रोटी का साधन बनी हुई हैं। आजकल सोशल डिस्टैंस के मद्देनज़र अधिकतर लोग अपने-अपने घरों या नज़दीकी खुले स्थानों पर व्यक्तिगत खेल खेलते नज़र आ रहे हैं। अब देखने वाली बात यह है कि सरकार व्यक्तिगत खेलों के खेल मैदानों में खेलने की अनुमति कब देगी। दूसरी समस्या यह है कि सरकार ने यदि उक्त खेलों के मुकाबलों की अनुमति दे दी तो उनको देखने के लिए दर्शकों की कमी खटकेगी या दर्शकों को भी सोशल डिस्टैंस नियमों के तहत ही खेल स्टेडियमों में जाने की अनुमति भी मिल जाएगी। सभी को इंतज़ार है कि पुन: कब खेल मैदान भरे नज़र आएंगे। 

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