बच्चों के साथ लापरवाही न बरतें

 बच्चे नासमझ होते हैं मगर बड़े तो नासमझ नहीं होते। फिर भी इस तरह की घटनाओं से वे सबक नहीं लेते। हमारी लापरवाही बच्चे के जी का जंजाल बन सकती है। बच्चों के साथ रहने पर किसी भी काम के प्रति लापरवाही नहीं करनी चाहिए। हर चीज को तुरंत ही संभालकर रख देना चाहिए।  छोटे बच्चों को बांधकर नहीं रखा जा सकता। वे घर के हर कोने, हर जगह में ऐसे ही घूमते-फिरते रहते हैं। हर चीज मुंह में डालने की उनकी आदत होती है। इतनी बात वे नहीं जानते कि क्या सही, क्या गलत है? उन्हें इतनी समझ ही नहीं होती कि वे किसी चीज को मुंह में डालने से पहले पूछ लें। उनके लिए हर चीज नई होती है। तभी वे हर चीज मुंह में डालकर देखते हैं। कई बार तो वे जहरीली चीजें मुंह में दे बैठते हैं जिससे वे जान से भी हाथ धो बैठते हैं। ऐसी मुसीबतों से बचने के लिए एहतियात बरतने की ही जरूरत है। घर की सभी चीजों को संभालकर रखें। इधर-उधर बिखरी न रहने दें। जहरीली चीजें और दवाइयां आदि बच्चों की पहुंच से दूर रखें। दवाईयों की खाली शीशियां एवं डिब्बे आदि प्रयोग के बाद डस्टबिन में फेंक दें जिससे बच्चे इन्हें मुंह में न डाल लें।  प्लास्टिक एवं लोहे की टूटी-फूटी चीजें बच्चों से दूर ही रखें। छोटी-मोटी चीजें और रूपये के सिक्के आदि बच्चों से अलग ही रखें। बच्चों को हर चीज छूने की अनुमति न दें। उन्हें प्यार से समझाएं। यदि वे न समझ पाएं तो उन्हें थोड़ा बहुत गलत चीजों से डराकर रखें ताकि वे उन्हें हाथ न लगाएं। जहां तक हो सके, बच्चों पर लगातार निगरानी रखें। यदि बच्चे मुंह में कुछ डाल लेते हैं तो तुरंत उपचार करें। डॉक्टर को तुरंत सूचित करें। उसकी सलाह पर ही आगे कुछ करें। घरेलू तजुर्बों का प्रयोग उसके ऊपर न करें। यदि बच्चा कुछ विषैला पदार्थ खा लेता है तो उसे तुरंत उल्टी करवाने की कोशिश करे।
 बच्चे के मुंह में उंगली देकर या पीठ थपथपाकर भी उल्टी करवाई जा सकती है। ज्यादा छोटे बच्चे को तुरंत डॉक्टर के पास ले जायें। उसकी पीठ थपथपाने के बजाय डॉक्टर का उपचार ही सही रहेगा।  इस उम्र में ही बच्चों को ज्यादा देखभाल की जरूरत होती है। उनके साथ लापरवाही न बरतें।

(उर्वशी)