ब़ागबानी का मॉडल बनेगा मुख्यमंत्री का पटियाला ज़िला

मु ख्यमंत्री के पटियाला ज़िले का भूगोलिक रकबा 3,22,290 हैक्टेयर है, जिसमें लगभग 2.57,000 हैक्टेयर रकबा कृषि योग्य है। खऱीफ के मौसम में मुख्य फसल धान है, जिसकी काश्त लगभग 2.30 लाख हैक्टेयर रकबे पर की जाती है। बासमती की काश्त के नीचे लगभग 20 हज़ार हैक्टेयर रकबा है। धरती के गिरते जल स्तर को रोकने के लिए फसली विभिन्नता लाने की ज़रूरत है। इसीलिए ब़ागबानी और सब्ज़ियों की काश्तों हेतु अधिक से अधिक रकबा लाने योग्य होगा। कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के ज़िले को इस पक्ष से मॉडल ज़िला बनाने की योजना है। इस समय 2400 हैक्टेयर रकबे पर सब्ज़ियों की काश्त हो रही है। फूलों की काश्त के लिए 212 हैक्टेयर रकबा है और 640 हैक्टेयर रकबे पर मसालेदार फसलों की काश्त की जाती है।
 फलों में सबसे अधिक 1029 हैक्टेयर रकबे पर अमरूदों के ब़ाग लगे हुए हैं। सब्ज़ियों की काश्त में अकेले आलुओं की काश्त हेतु 4560 हैक्टेयर रकबा है। इसके अलावा 2238 मीट्रिक टन तथा बटन खुम्भों पर 3.9 टन ढींगरी खुम्भों की पैदावार की जाती है। शहद की मक्खियों का काम 400 किसान कर रहे हैं, जो 30000 बक्सों में 749000 किलो शहद पैदा करते हैं। डिप्टी डायरैक्टर ब़ागबानी डा. स्वर्ण सिंह मान ने बताया कि विभाग के पास तीन फलदार पौधों की नर्सरियां हैं। एक फल सुरक्षा लैबोरेटरी जो अलग-अलग तरह के शरबत तैयार करती है, वह स्थापित है। इस लैबोरेटरी में बेरोज़गारों को ट्रेनिंग दे कर भी कमाई करने के योग्य बनाया जाता है।
डिप्टी डायरैक्टर मान ने बताया कि पंजाब सरकार द्वारा प्रत्येक सीज़न में फलों की काश्त को उत्साहित करने के लिए फलों की एस्टेट्स बनाई जा रही हैं। पटियाला ज़िले में पटियाला-संगरूर मार्ग पर वजीदपुर में अमरूदों की एस्टेट बनाई जाएगी। अमरूदों की कृषि ब़ागबानों के लिए सबसे लाभदायक है। इस एस्टेट का निर्माण हो चुका है और शीघ्र ही कार्य शुरू किया जाएगा। इस एस्टेट के बनने से पटियाला ज़िले में अमरूदों की कृषि का विकास होगा और फसली-विभिन्नता में उपलब्धि प्राप्त होगी। यहां से किसानों को अच्छी क्वालिटी के पौधे मुहैया किए जाएंगे। उचित किराये पर बागबानी के औज़ार दिए जाएंगे और कम दरों पर कीड़ेमार दवाइयों की उपलब्धता की जाएगी। इस एस्टेट के बनने से ज़िले के किसानों का आर्थिक स्तर ऊंचा होने की सम्भावना है। राष्ट्रीय ब़ागबानी मिशन के तहत इस ज़िले में स्थापित 2 फूलों के बीज़ों को ग्रेडिंग करके स्टोर करने हेतु गांव धबलान में स्थापित यूनिटों को अपग्रेड किया जाएगा। यह यूनिट ज़िले के किसानों से ठेके पर फूलों का बीज पैदा करवाते हैं। यह यूनिट बीज यूरोपियन, अमरीका और अन्य देशों को निर्यात करते हैं। 
डा. मान ने बताया कि इसी वर्ष हेतु राष्ट्रीय ब़ागबानी मिशन के तहत बनाए गए एक्शन प्लान में नये ब़ाग लगाने और पुराने ब़ागों को पुन: जीवित करने के लिए उत्पादन मुहैया करने का प्रबन्ध किया गया है। इसी एक्शन प्लान के तहत खुम्भों की कृषि करना, फूलों की कृषि और नैट हाऊस कृषि के लिए भी सहायता दी जाएगी। योजना के तहत छोटे किसानों को 20 हार्स पॉवर तक के ट्रैक्टर और पावर टिल्लर भी 40 प्रतिशत तक की सबसिडी पर दिए जाएंगे। इसी तरह ब़ागबानी के काम से जुड़े किसानों को ‘नैपसैक स्प्रे पम्प’ (पीठ वाले छिड़काव पम्प) और पॉवर स्प्रे पम्प 40 प्रतिशत तक की सबसिडी पर दिए जाएंगे।
मुख्यमंत्री के इसी ज़िले में राष्ट्रीय ब़ागबानी मिशन के तहत 3 राइपनिंग चैम्बर केले पकाने के लिए बने हुए हैं, जिनको मज़बूत किया जाएगा। यहां ‘इथीलीन’ गैस से केले पकाए जाते हैं। इसका मानवीय स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव नहीं पड़ता। पंजाब सरकार द्वारा केले, आम, चीकू और पपीता कैल्शियम कार्बाइट से पकाने पर पाबंदी लगाई गई है। क्योंकि इससे घातक बीमारियां लगती हैं, ज़िले में कैल्शियम कार्बाइट का इस्तेमाल पूर्ण तौर पर बंद किया जाएगा। पोस्ट हारवैस्ट, वैल्यू एडीशन, एंट्रप्रोनियुरशिप डिवैल्पमैंट और फार्म मशीनरी को पूरा महत्त्व दिया जाएगा। 
ब़ागबानी द्वारा फसली-विभिन्नता लाने, ़गरीबी दूर करने और ज़िले में ब़ागबानी के विकास का लक्ष्य रखा गया है। डा. मान ने कहा कि नई तकनीकें अपनाने के लिए टैक्नालोजी किसानों तक पहुंचाने की योजना तैयार की गई है। फलों-सब्ज़ियों की उत्पादकता और इनसे प्राप्त लाभ को बढ़ाने हेतु किसानों तक योग्य टैक्नालोजी पहुंचाई जाएगी। पटियाला ज़िले में अपनाया गया यह मॉडल दूसरे ज़िलों के लिए लाइट-हाऊस का काम करेगा।