ज़रा सोचें और जवाब दें

ज़रा सोचें और जवाब दें। यदि कभी किसी यूरोप, अमरीका, आस्ट्रेलिया या अफ्रीका के किसी देश के रहने वाले ने हमें या कभी भारत और पाकिस्तान के किसी पुरुष या स्त्री से पूछ लिया कि, ‘आपके भीतर इतनी नफरत क्यों है भई?’ तो हम क्या जवाद देंगे? या हमारे पास कोई जवाब नहीं होगा। यदि हमने यह कहा कि हमारे बीच कोई ऩफरत नहीं तो फिर कोई यह प्रश्न पूछ सकता है कि ‘मोहब्बत दिखाओ’ तो फिर हम क्या जवाब देंगे? स्पष्ट और सीधी बात है कि हमारे पास कोई जवाब नहीं। हम ऩफरत से इन्कार नहीं कर सकते और मोहब्बत करने का इकरार नहीं कर सकते। भारत और पाकिस्तान में बसने वाले करोड़ों इन्सानों के हाथ इस मामले पर खड़े हैं, खाली नहीं काट दिए गए हैं। आप कुछ भी कह सकते हैं परन्तु आप यह नहीं कह सकते हैं कि हमारा दिल या दिमाग भी खाली है।  इस प्रश्न का उत्तर है कि हमारा दिल या दिमाग भरे हुए हैं बहुत सी चीज़ों से। हमारे दिल में मोहब्बत कैद हुई पड़ी है, जिसकी हम खुल कर घोषणा नहीं कर सकते। हम अपनी मोहब्बत के साथ जी नहीं सकते। हां, मर अवश्य सकते हैं (चाहे यह मोहब्बत किसी लड़की के साथ हो या किसी देश के साथ)। हम किसी के पास अपनी मोहब्बत खुल कर बयान नहीं करते, यदि कर दी तो समझो हो गई लड़ाई। इस कारण चुपचाप अंदर ही अंदर मोहब्बत करते रहें, किसी को बताएं न।हां, हम मानते हैं कि हमारे भीतर गुस्सा बहुत भरा हुआ है। कहने को गुस्सा बहुत बुरी चीज़ है परन्तु हम बड़े फख्र से बताते हैं कि हमारे अंदर बहुत गुस्सा है और हम गुस्सा दिखाने का कोई मौका हाथ से नहीं जाने देते। हम नहीं देखते कि गुस्से का कितना और किसे नुक्सान होगा।  गुस्से को छोड़ कर आगे बात बढ़ाएं और हमारे दिल दिम़ाग में आशा भी है और निराशा भी। हम आशा का इज़हार तो खुल कर करते हैं परन्तु निराशा बारे कुछ भी खुल कर नहीं कहा जा सकता। यदि किसी ने हिम्मत दिखाई निराशा के बारे आवाज़ बुलंद की तो कई इस आवाज़ को खामोश करने के लिए खड़े हो जाएंगे। हम जंग पर जब भी चाहें, खुल कर बात कर सकते हैं परन्तु जब यह कहना हो कि जंग न हो तो इसके बजाय हम जंग की धमकी देने वाले को ही हीरो बना लेते हैं और उसकी प्रशंसा करना शुरू कर देते हैं यदि कोई यह कहे कि जंग हर मसले का समाधान नहीं, बातचीत से भी मसलों का समाधान हो सकता है तो हम यह कहने वालों को बुज़दिल, डरपोक और थका हुआ समझते हैं।  हमारे नज़र में ऐसे व्यक्ति में कोई ‘करंट’ नहीं होता। ऐसा व्यक्ति ‘ठंडा’ होता है और हमारा ठंडे माहौल के साथ क्या संबंध? हमारी पूरी राजनीति और पूरा कारोबार ही ‘करंट’, जंग और ‘योद्धओं’ से चलता है। यदि यह सब ‘ठंडा’ पड़ गया तो हम क्या करेंगे? इस लिए सीमा के अंदर और बाहर ‘मौसीकी’ चलती रहनी चाहिए। यह सब जानने के बाद यदि किसी ने यह प्रश्न कर दिया कि ‘आपके दोनों देशों के पास खाने को रोटी नहीं, पहनने को अच्छे कपड़े नहीं, रहने को पक्का घर नहीं तो हमारा जवाब क्या होगा?सुनने वाला ज़रूर परेशान होगा, क्योंकि हमारे पास इस का भी बड़ा आसान और स्पष्ट जवाब है वह है कि हमारे पास भला खाने को रोटी हो या न हो, पहनने को अच्छे कपड़े हों या न हों, रहने को पक्का घर हो, न हो परन्तु हमारे पास लड़ने के लिए परमाणु बम अवश्य हैं। हम भूखे मर जाएंगे, अपनी नई पीढ़ी अच्छे स्कूल, कालेज, यूनिवर्सिटियां तथा नौकरियां चाहे दें या न दें, परन्तु लड़ने के लिए परमाणु बम ज़रूर देकर जाएंगे। यह ही हमारी सबसे बड़ी कामयाबी है। यह जवाब सुनने के बाद शायद ही कोई और प्रश्न पूछने की हिम्मत करे, क्योंकि पूछने वाला ‘समझ तो गया ही होगा’ कि हमारा भविष्य क्या है और यहां कौन सा सामान बेचा जा सकता है, क्योंकि यहां पर तो सभी लड़ने और मरने के लिए पैदा हुए हैं, रहने के लिए दुनिया में और बहुत से देश हैं। वहां जाना चाहते हैं तो अपना प्यार, देश, दोस्त, मित्र, संस्कृति, रीति-रिवाज़, आज़ादी सब कुछ छोड़ कर चले जाएं, किस ने रोका है? कोई रोकेगा भी नहीं, बल्कि  खुश होंगे और कहेंगे कि बाहर ही रह, खूब पैसा कमाएं और भेंजे ताकि देश मज़बूत हो। कुछ बयान करने की, कुछ कहने की कोशिश इंस्टाग्राम पर  ‘बिग बी’ अभिताभ बच्चन ने भी की है। उन्होंने लिखा है कि ‘यदि आपकी आंखें सकारात्मक हैं तो आप दुनिया से मोहब्बत करेंगे और यदि आप की ज़ुबान सकारात्मक है तो पूरी दुनिया आपसे मोहब्बत करेगी।’ ‘बिग बी’ ने यह बात  अपनी पत्नी और पौत्र-पौत्रियों की तस्वीर के साथ साझी की हैं और इस तस्वीर को 20 घंटों में 9 लाख लोगों ने पसंद किया है। बड़ी जबरदस्त बात की है ‘बिग बी’ ने और इसे अवश्य पसंद एवं साझा करना चाहिए परन्तु जो दक्षिण एशिया का राजनीतिक इतिहास है या आजकल जो स्थिति है, कश्मीर, नेपाल, चीन, अफगानिस्तान, पाकिस्तान और स्वयं भारत में क्या कोई ‘सकारात्मक’ देख रहा है या बोल रहा है? हर तरफ खौफ ही खौफ है। जंग है और हथियार हैं, शांति कहां है? कोरोना के खौफ के बावजूद यदि पाकिस्तान एक कदम आगे बढ़ कर करतारपुर गलियारा एक बार फिर पूरे सिख भाईचारे के लिए खोलना चाहता है, एक बार फिर प्यार का रास्ता खोलना चाहता है तो क्यों जवाब में इन्कार और ऩफरत मिलती है? क्योंकि नियंत्रण रेखा हो या वास्तविक नियंत्रण   रेखा हो हर समय गोली और बारूद में सुलगती रहती है। क्योंकि शासकों या सरकारों की ज़ुबान तथा नज़र ‘सकारात्मक’ नहीं? हो सका तो जवाब दें परन्तु प्यार से।