इंडस्ट्री में जगह बनाना बहुत मुश्किल सोनू  सूद

सोनू  सूद सिल्वर स्क्रीन पर जिस तरह का किरदार निभाते हैं, असल जिंदगी में उन्होंने खुद को उसके एकदम उलट साबित कर दिखाया है।   मुंबई में सोनू को किसी ने घास नहीं डाली लेकिन साउथ की एक फिल्म के लिए कॉल आ गया। ऑडिशन हुआ और पहली तमिल फिल्म ’काल्हाजागार’ (1999) के लिए सिलेक्ट हो गये। उसके बाद कुछ तमिल और तेलुगु फिल्में कीं।  बॉलीवुड में सोनू की पहली फिल्म ’शहीदे आजम भगत सिंह’ (2002) थी। इसमें उन्होंने भगत सिंह का रोल निभाया था। फिल्म कब आई कब चली गई, पता नहीं चल सका लेकिन इस फिल्म ने बॉलीवुड में उनके लिए रास्ता खोल दिया।  सलमान खान की ’दबंग’(2010) में छेदी सिंह के किरदार से सोनू को जबर्दस्त पहचान मिली लेकिन वह बॉलीवुड से ज्यादा साउथ की फिल्मों में विलेन के किरदार में लोकप्रियता हासिल करते रहे।  सोनू सूद आज अपने काम की वजह से सोशल मीडिया पर हीरो बन चुके हैं।   मीडिया से लेकर फिल्म इंडस्ट्री तक नेपोटिज्म पर बहस तेज हो गई है। कई मशहूर हस्तियों ने इस मुद्दे पर खुलकर बात की है। अब अभिनेता सोनू सूद में भी सुशांत की मौत और नेपोटिज्म पर अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की है। उन्होंने सुशांत सिंह राजपूत के स्ट्रगल को लेकर कहा कि उनके टैलेंट से किसी को भी फर्क नहीं पड़ा। लेकिन यहां अपने लिए जगह बनाना और उसे बरकरार रख पाना बेहद मुश्किल है। सोनू ने कहा कि इंडस्ट्री में कम ही आउटसाइडर्स ऐसे हैं जिन्होंने एक ऊंचा मुकाम हासिल किया है।