बिहार चुनाव-विपक्ष में नहीं बन रही मुख्यमंत्री संबंधी आम सहमति

बिहार की विधानसभा के लिए 243 सीटों पर इस वर्ष अक्तूबर-नवम्बर में चुनाव होने हैं। विपक्षी गठबंधन मुख्यमंत्री के चेहरे के प्रश्न पर आपस में उलझा हुआ है। राष्ट्रीय जनता दल ने 10 दिसम्बर, 2019 की अपनी एक बैठक में एक प्रस्ताव पारित किया था परन्तु अधिकतर पार्टियों ने उसके उम्मीदवार के प्रति सहमति प्रकट नहीं की। इस मामले में कांग्रेस  भी सक्रिय लगती है और कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने बिहार कांग्रेस के नेताओं के साथ एक वर्चुअल बैठक की  थी जिसमें प्रौढ़ नेता निखिल कुमार, लैजिस्लेटिव पार्टी नेता सदानंद सिंह तथा प्रदेश पार्टी अध्यक्ष भी मौजूद थे, जिस में निखिल कुमार तथा सदानंद सिंह ने तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर पेश करने के मुद्द पर अपना विरोध दर्ज करवाया था। सूत्रों के अनुसार निखिल तथा सदानंद की दलील है कि यदि तेजस्वी को मुख्यमंत्री पद के  उम्मीदवार के रूप में पेश किया जाता है तो इससे ऊपर वाली जातियों के लोग अलग पड़ जाएंगे क्योंकि वे तेजस्वी के विरोध में हैं। बिहार पार्टी इंचार्ज शक्ति सिंह गोयल की सलाह है कि मुख्यमंत्री के चेहरे का फैसला करने के लिए प्रदेश स्तरीय सर्वेक्षण करवाना चाहिए। इसके साथ ही हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के नेता जतिन राम मांझी, आर.एल. एस.पी. प्रमुख उपेन्द्र कुशवाहा तथा विकासशील इन्सान पार्टी के अध्यक्ष मुकेश साहनी ने भी तेजस्वी के नाम का विरोध किया है। 
अहमद पटेल से दूरी
संदेसारा ग्रुप से संबंधित मामले में जांच एजैंसियों द्वारा राज्य सभा सदस्य अहमद पटेल से की जा रही पूछताछ के मामले में कांग्रेस उनका साथ नहीं दे रही है। यह कहा जा रहा है कि सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाडरा  उस समय भी चुप थे जब इन्फोर्समैंट डायरैक्टोरेट  (ई.डी.) द्वारा अहमद पटेल से तीन बार कड़ी पूछताछ की गई थी। अहमद पटेल कांग्रेस हाईकमान का अहम हिस्सा हैं और पूरी पार्टी उनके साथ खड़ी होती है। वह कांग्रेस के कोषाध्यक्ष है, जिन्हें सोनिया गांधी का पूरा समर्थन मिलता है। पार्टी इस मुद्दे को उठाने से परहेज़ कर रही है, क्योंकि इस तरह करने से भाजपा के जाल में फंसने का खतरा है। पटेल   के घर ई.डी. भेजने का पहला उद्देश्य सीमा पर चीनी संकट  से ध्यान हटाना है। वैसे प्रश्नों के जवाब देते हुए वक्ताओं ने सरकार की बदले की भावना की निंदा की है। प्रियंका ने भी एक ट्वीट के द्वारा सरकार पर निशाना साधा है। 
राशन के बदले वोटें?
पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस तथा भाजपा आपस में  टकराने का कोई मौका नहीं छोड़तीं। अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को कोरोना वायरस संकट के कारण नवम्बर तक बढ़ाने की घोषणा की है। इस योजना के तहत 80 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज मिलेगा। सरकार इन पांच महीनों के दौरान परिवार के प्रत्येक सदस्य को 5 किलो चावल या अनाज मुफ्त देगी। इसके अलावा प्रत्येक परिवार को हर महीने एक किलो चने भी मिलेंगे। इस पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी ने प्रतिक्रम देते हुए कहा है कि इस योजना को नवम्बर तक इस लिए बढ़ाया गया है क्योंकि तब तक बिहार में विधानसभा चुनाव हैं। हालांकि उन्होंने स्वयं भी राज्य में मुफ्त राशन योजना को जून 2021 तक बढ़ा दिया है और मई 2021 तक पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होने की उम्मीद है। ममता बैनर्जी की घोषणा के बाद तमिलनाडु, केरल तथा असम के मुख्यमंत्री भी मुफ्त राशन योजना को बढ़ाने बारे विचार कर रहे हैं, क्योंकि इन तीरों राज्यों में अगले वर्ष मई में विधानसभा चनाव होने हैं। 
पासवान की मांग
बिहार विधानसभा चुनाव नज़दीक आते देख कर लोग जनशक्ति पार्टी के प्रमुख चिराग पासवान ने एन.डी.ए. गठबंधन में अधिक सीटें लेने का दबाव डालना शुरू कर दिया है। परन्तु इस बार नीतिश कुमार चिढ़े हुए हैं और एच.जे.पी. को और सीटें नहीं देना चाहते। चिराग का कहना है कि 2014 में पार्टी का गठबंधन भाजपा के साथ था और जे.डी. (यू) के साथ नहीं थी और जे.डी. (यू) पुन: 2017 में एन.डी.ए. का हिस्सा बन गई था जब नीतिश आर.जे.डी.-कांग्रेस गठबंधन से बाहर आ गए थे और भाजपा के साथ हाथ मिला लिया था। चिराग की दलील है कि यह गठबंधन राष्ट्रीय स्तर का है और प्रदेश स्तर की राजनीति अन्य किस्म की है। हालांकि भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव भुपेन्द्र यादव ने चिराग के साथ मुलाकात करके उनको आश्वासन दिया है।