कोरोना हमले के बाद अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट की वापसी

8 जुलाई को क्रिकेट के इतिहास में यह एक अलग किस्म का ही रोमांच था, जब 117 दिनों के बाद इंटरनेशनल क्रिकेट की वापसी हुई। इंग्लैंड और वेस्टंइडीज की टीमें आमने सामने थीं। हालांकि बारिश के कारण मैच की शुरुआत में थोड़ी देरी हुई, लेकिन इस दौरान पूरी दुनिया के क्रिकेट प्रेमियों की नजरें टीवी स्क्रीन पर लगी रहीं, क्योंकि मैदान में तो दर्शक थे नहीं, मगर टीवी स्क्रीन में दुनियाभर के दर्शक एक क्षण को भी मिस नहीं करना चाहते। ऐसा हो भी क्यों न आखिरकार इस साल मार्च के बाद खेला जाने वाला यह पहला टैस्ट मैच जो है। अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट की वापसी तो हो गई लेकिन इतिहास बदल गया है। मार्च 2020 तक दुनिया जिस क्रिकेट को जानती थी, जुलाई 2020 में वह क्रिकेट कहानी बन चुका है। मैदान में अब नयी धज और नयी शैली का क्रिकेट है। शायद इसीलिए क्रिकेट की इतिहास पुस्तिका में 8 जुलाई 2020 को कई महीनों बाद शुरु हुए इस टैस्ट मैच की विशिष्ट ऐतिहासिक महत्ता है। यह पहला ऐसा टैस्ट क्रिकेट मैच है जो बिना दर्शकों के खेला जाना शुरु हुआ है। यह बड़े साहस का काम इसलिए भी है, क्योंकि हाल के दिनों में कोरोना संक्रमण को लेकर सोशल डिस्टेंसिंग के पैमाने बार बार बदले हैं। लेकिन अब देखना यह है कि मैदान में हार जीत की उत्तेजनाओं के बीच भी क्या सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान बना रहता है?वास्तव में 8 जुलाई 2020 से लौटा अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट टैस्ट मैच महज एक टैस्ट मैच नहीं है बल्कि जांच परख का यह नया और साहसी टैस्ट है। इस टेस्ट मैच के बाद ही कोरोना के दौर में खेले जाने वाले टैस्ट मैचों के लिए ब्लू प्रिंट तैयार होगा। इंग्लैंड के कार्यवाहक कप्तान ने सही ही कहा है, ‘हम इतिहास तो बना रहे हैं, लेकिन बहुत डर भी लग रहा है, जरा सी चूक खेल का बड़ा नुकसान कर सकती है।’ बेन स्टोक्स का कहना बिल्कुल सही है अगर इस मैच में दो तीन खिलाड़ी भी कोरोना से संक्रमित हो गये तो फिर शायद लंबे समय तक अंतर्राष्ट्रीय फलक में क्रिकेट की वापसी नहीं होगी। 117 दिनों बाद शुरु हुआ अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट का यह टैस्ट मैच महज इसलिए नहीं याद रखा जायेगा कि यह इतने दिनों बाद फिर से शुरु हुआ बल्कि इसलिए भी याद रखा जायेगा कि यह वापसी बहुत सारे नियमों में बदलाव के साथ हुई है। मसलन अब क्रिकेटरों की जर्सी पर 10 की बजाय 32 स्क्वायर इंच का स्पोंसर लोगो लगेगा। लोगो के इस आकार को बढ़ाने के पीछे आर्थिक नुकसान की भरपायी करने का प्रयास है। ये नियम तो हो सकता है आगे चलकर बदल जाएं, लेकिन करीब चार महीनों बाद अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट की जो वापसी हुई है, उसमें कई नियम नहीं बदलने वाले। कम से कम अगले एक दो साल तो ये जारी रहेंगे। इनमें पहला है-अब गेंदबाज बॉल पर अपनी लार नहीं लगा सकेंगे। अगर किसी गेंदबाज ने ऐसा किया तो दो बार तो उसे वॉर्निंग मिलेगी, तीसरी बार बैटिंग टीम को 5 अतिरिक्त रन दे दिये जाएंगे। इस टैस्ट मैच के बाद शायद अगले काफी महीनों या सालों तक बॉल लगातार सैनेटाइज होगी और इसकी जिम्मेदारी खिलाड़ी पर नहीं अम्पायर पर होगी। मैदान पर जो चौके-छक्के लगेंगे, उसके बाद गेंद को बाऊंड्री से बाहर उठाने रिज़र्व खिलाड़ी ग्लब्स पहनकर जाएंगे। इस मैच के साथ ही एक यह बात हो रही है कि अब खिलाड़ी एक साथ मिलकर जश्न नहीं मना पाएंगे। चाहे गेंदबाज द्वारा विकेट लेने का मौका हो या क्रीज में मौजूद दो खिलाड़ियों में से एक द्वारा शानदार चौका, छक्का लगाने पर दूसरे का उसे बधाई देने के लिए, उसके पास जाने की बात हो। अब खिलाड़ी बॉलिंग से पहले अपना स्वैटर, कैप या चश्मा अम्पायर को नहीं दे सकेंगे। अगर उन्हें अपने इन सामान के साथ बॉलिंग करने में दिक्कत हो रही है तो खुद मैदान के बाहर जाकर इन्हें रखकर आना होगा।इस तरह देखा जाए तो इस मैच के दौरान जो क्रिकेट दुनिया को देखने को मिलेगी, वह वही क्रिकेट नहीं होगी जो 8 जुलाई 2020 के पहले तक थी। अब किसी घायल खिलाड़ी के सब्सिट्यूट के रूप में कोई एक्स्ट्रा खिलाड़ी नहीं मिलेगा। किसी एक खिलाड़ी का सामान कोई दूसरा खिलाड़ी नहीं इस्तेमाल कर सकेगा। क्रिकेट स्टेडियम के पैवेलियन के सारे दरवाजे खिलाड़ियों के पास पहुंचते ही खुल जाएंगे यानी ये टचलेस होंगे और ग्राऊंड में हर तरफ  थोड़ी थोड़ी दूर में करीब 50 से 60 जगहों में ऑटोमेटिक सेंसर सैनेटाइजर मशीनें लगी होंगी।

 -इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर