स्वास्थ्य का चिन्ह है शरीर से पसीना निकलना 

शरीर से पसीना बाहर निकलना आवश्यक एवं स्वास्थ्यवर्धक प्रक्रिया है जो अच्छी सेहत का निर्णायक होने के साथ-साथ चुस्त दुरूस्त शरीर का परिचायक है। पसीना हमारे शरीर के तापमान को नियंत्रित कर शरीर से टाक्सिन व अन्य अवशेषों को बाहर निकाल त्वचा को आभायुक्त बना मानव शरीर को साफ-सुथरा रखने का कार्य करता है। किसी कारणवश जब मानव शरीर का तापमान सामान्य से अधिक होने लग जाता है तो स्वाभाविक है कि यह प्रक्रिया मानव शरीर को अच्छी नहीं लगती अर्थात शरीर ग्रहण नहीं कर पाता । परिणामस्वरूप पसीना निकलने से तापमान नियंत्रित हो मानव शरीर ठंडा होने लग जाता है।मानव शरीर में लगभग तीन लाख पसीना निकालने की ग्रंथियां अथवा ग्लैण्ड्स स्थापित रहती हैं जो मौसम, प्रकृति अथवा शरीर की रचना और रहन सहन के अनुसार प्रतिदिन 15 लिटर तक पसीना शरीर से निकालने में सक्षम हैं। मानव शरीर में पसीने की ग्रंथियां दो प्रकार की रहती हैं। 1. एक्राइन ग्लैण्ड  जो शरीर में प्रमुख भूमिका निभाती हैं और इनकी संख्या भी बहुत अधिक रहती है जिनके द्वारा गर्मी की स्थिति में शरीर से निरंतर पसीना निकलता रहता है। 2. एपोक्राइन ग्लैण्ड जिनसे भावनात्मक स्थिति में पसीना निकलता है। जब मानव शरीर गर्म होता है तो उससे पसीना निकलना स्वाभाविक प्रक्रिया है और शरीर से निकला पसीना बहती वायु में मिलकर वाष्पीकरण के साथ ही मानव शरीर भी ठंडा होने की प्रक्रिया से गुजरने लग जाता है क्योंकि मानव शरीर से पसीने का बहना ईश्वरीय प्रकृति प्रदत्त वातानुकूलन का कार्य ही है। चिकित्सकीय पद्धति के अनुसार मानव शरीर पसीना बहाने की प्रक्रिया में जितना अधिक सक्षम और सक्रिय होगा, उतना ही मानव शरीर का तापमान भी नियंत्रित रह पाएगा और यही प्रक्रिया अच्छे स्वास्थ्य और सामान्य तंदुरूस्ती की निर्णायक है।एक घंटा निरंतर दौड़ते रहने से अथवा एक घंटा निरंतर साईकिल चलाते रहने से अथवा एक घंटा निरंतर हाकी-फुटबाल खेलते रहने से सामान्यत: प्रकृति अनुसार मानव शरीर से एक से डेढ़ लिटर तक पसीना बाहर निकल जाना स्वाभाविक प्रक्रिया है जो स्वास्थ्य की लाभदायक स्थिति दर्शाता है।

 (स्वास्थ्य दर्पण)