इन्सान की गलती

अश्वनी सुबह-सुबह जल्दी जगाकर पलंग पर खड़े होकर खिड़की से बाहर झांकते हुए बोला-‘दादी जी देखो-देखो शेर!’ दादी जी जल्दी-जल्दी हड़बड़ी में पलंग से खड़ी होकर मन में यह सोचते हुए कि बच्चे मन के सच्चे होते हैं वे कभी झूठ नहीं बोलते हैं देखूं तो सही। जब दादी ने देखा तो उनकी आंखें देखती रह गई कि शहर के बीचों-बीच सड़क पर बाघ अपना मुंह खोले शिकार के लिए घूम रहा है। जल्दी-जल्दी उन्होंने अपने बेटों और बहुओं को जगाते हुए कहा-‘कोई दरवाजे नहीं खोलना अभी बंद ही रखना। बाहर शेर आ गया है।दादा जी ने सोते हुए धीरे-धीरे शोरगुल की आवाज सुनी तो वह सामने वाश वेसन के पास लगे शीशे में आकर अपना मुंह देखने लगे और सोचने लगे कि कहीं ऐसा तो नहीं दादी और पोते ने मेरे खर्राटे सुनकर मुझे डराने के लिए ऐसा कहा हो। तभी उन्हें वहां खड़े देखकर दादी जी जोर से बोल पड़ी-‘अरे वहां क्या खड़े-खड़े देख रहे हो ? यहां देखो, खिड़की से बाहर वहां बाघ घूम रहा है।’‘अरे! बाप रे!! शहर में बाघ!!! बताइये अब क्या समय आ गया है जंगली जानवर अब शहर की ओर भाग रहे हैं।’ दादाजी बोले।‘दादाजी! दादाजी!! क्या यह शेर नहीं है ?’ पोता आशु बोला।‘हां बेटा यह बाघ है। यह तेज दौड़ने वाला बिल्ली प्रजाति का शिकारी जानवर है। शेर इससे बड़ा होता है। उसका मुंह लम्बा-चौड़ा होता है। उसके सिर पर बड़े-बड़े घने बाल होते हैं। उसकी पूंछ लम्बी घुमावदार होती है। वह जंगल का राजा होता है। जब वह जोर से दहाड़ता है तो सारा जंगल गूंज उठता है। जंगल के सभी जानवर थर-थर कापंने लगते हैं। वह लम्बी कूद लगाकर अपने शिकार पर हमला करता है और फिर वह शिकार लेकर जंगल में दूर चला जाता है।’‘दादाजी-दादाजी! अब ये जंगल छोड़कर शहर में क्यों आ जाते हैं ? आशु बोला।‘सुनो बेटा! ब्हुत पहले घने जंगल होते थे। बड़ी-बड़ी गुफाएं होती थीं। नदियों, तालाबों, झरनों का शीतल स्वच्छ जल कल-कल ध्वनि करता हुआ बहता था। हजारों की संख्या में हिरण, नीलगाय, जंगल भैंसे, सूअर आदि अनेक प्रकार के जानवर उनके शिकार के लिए जंगल में चरते हुए पाये जाते थे। उनके खाने-पीने व रहने की पूर्ण व्यवस्था थी। इसलिए उन्हें जंगल छोड़कर नहीं जाना पड़ता था। अब मनुष्यों ने जंगलों को काट-काटकर साफ कर दिया है। उनको छिपने के लिए कहीं कोई जगह नहीं बची है। लोगों ने नदियों, पहाड़ों की खुदाई कर-करके बड़े-बड़े कारखाने और मकान बना लिये हैं। जब पेड़-पौधे नहीं रहे तो वर्षा भी कम होने लगी फिर पशुओं को चरने के लिए चारा भी नहीं रहा इसलिए उनकी संख्या अपने आप कम हो गई। नदियां नालों का गंदा पानी हो गया। छोटे-मोटे नाले सूख गये। अब जो बचे हैं वे अपनी भूख-प्यास मिटाने के लिए इधर-उधर गांव, शहर की ओर भागने लगे, इसलिए बेटा यह बाघ भी शिकार की तलाश में भटक कर यहां घूम रहा है। जो भी इसके सामने आ जायेगा उसे यह पकड़ कर तुरंत लेकर भाग जायेगा।‘अरे! कहानी ही कहते रहोगे कि उसे पकड़वाने के लिए वन-विभाग को फोन भी लगाओगे।’ दादी बोली।तभी बड़ा लड़का बोला-‘मां मैंने फोन लगाकर वन विभाग और पुलिस को इस संबंध में बोल दिया है देखो वह उसे पकड़ने के लिए वन विभाग की टीम भी आ गई है।’ तभी दादी ने टीम देखकर राहत की सांस ली और पोता को गोद में लेकर चूमते हुए कहा-‘देखो तो मेरे राजा बेटा ने सुबह-सुबह कितना अच्छा काम किया है कि उसने शेर देखकर मुझे जगा दिया और उसे शहर में शिकार करने से पहले पकड़वा दिया। और बेटा प्रण लो कि आज से अध्कि से अध्कि पेड़ लगाकर जंगलों को बचाना ताकि सभी प्राणी सुरक्षित रह सकें।’ 

(सुमन सागर)