बरसात का मौसम

विगत वर्ष जब भाखड़ा से बड़ी मात्रा में पानी छोड़ा गया था गांवों के गांव प्रभावित हुए थे। फसलें खराब हो गईं, पशु मर गए, किसान बर्बाद हो गए थे। चाहे प्रशासन, सरकार और समाज सेवी संस्थाओं ने किसानों की सहायता की थी परन्तु वह अभी तक सम्भल नहीं सके। अब बरसात का मौसम आ चुका है और संबंधित विभाग भी दरियाओं पर बांध मज़बूत करने में लगा हुआ है, जबकि यह काम बहुत समय पूर्व पूर्ण किया जाना चाहिए था। कई स्थानों से सतलुज और ब्यास दरिया में बढ़ते पानी के बहाव के कारण किसानों की सांसे रुकी हुई हैं और उनको बाढ़ की मार की भी चिंता अभी से सताने लगी है। संबंधित विभाग को चाहिए कि जहां-जहां भी दरियाओं के बांध कमज़ोर हैं, उनको पक्का करने का कार्य युद्ध स्तर पर किया जाए, ताकि किसानों की और साथ लगते शहरों, कस्बों की फिर तबाही न हो।

-अमरीक सिंह चीमा
शाहबादिया, रमनीक नगर, जालन्धर।