क्या चीन के इशारे पर नेपाल बनेगा दूसरा पाकिस्तान...?

अब तक हम चीन के कारण पाकिस्तान से ही जूझ रहे थे लेकिन अब हमें इसी चीन के कारण नेपाल से भी जूझना पड़ेगा। वर्तमान समय में जिस प्रकार की रूप रेखा दिखाई दे रही है वह बहुत ही साफ एवं स्पष्ट है। अभी हमारी सेनाएं पाकिस्तान के सीमावर्ती क्षेत्रों में पूरी तत्परता के साथ मुस्तैद रहती हैं लेकिन आगे निकट भविष्य में यही स्थिति नेपाल की सीमा के साथ होने की प्रबल संभावना है। अब निकट भविष्य में नेपाल की सीमा पर भी वैसे ही चौकसी बरतनी पड़ेगी जैसे कि हम पाकिस्तान के सीमा पर चौकन्ना रहते हैं। इसका मुख्य कारण है नेपाल का चीन की गोद में बैठ जाना। आश्चर्य की बात यह है कि जो विवाद है, वह बहुत ही चिंताजनक है क्योंकि नेपाल ने भारत पर जिस प्रकार का आरोप लगाया है, वह दुर्भाग्यपूर्ण है। नेपाल की संसद ने एक नया नक्शा पास किया है जिसमें यह दर्शाया गया है कि नेपाल के भूभाग पर भारत का कब्जा है जबकि यह पूरी तरह से बेबुनियाद है लेकिन ठीक इसी के इतर चीन ने नेपाल की भूमि पर वास्तव में कब्जा कर लिया है। चीन ने नेपाल की नदियों पर बाँध भी बनाया हुआ है।  चीन ने नेपाल की जमीन पर सड़कें चेक पोस्ट व पुल जैसे बड़े कार्य कर रखे हैं परन्तु यह नेपाल की के.पी. शर्मा ओली सरकार को खुली आँखों से भी नहीं दिखायी देता। बता दें कि नेपाल के कृषि मंत्रलय ने सीमावर्ती इलाकों का एक सर्वे कराया है जिस पर रिपोर्ट में यह कहा गया है कि यदि नेपाल ने इस पर तुरंत कार्रवाई नहीं की तो ड्रैगन उसकी और अधिक भूमि पर कब्जा कर लेगा। इस सर्वेक्षण की रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन जमीन को हथियाने के लिए नेपाल की नदियों का रुख मोड़ रहा है। स्पष्ट कर दें कि चीन ने नेपाल के जिस इलाके के सीमावर्ती क्षेत्रों पर कब्जा किया है, उनमें नेपाल के उत्तर-पश्चिम का हुमला जिला भी आता है। इस जिले से करनाली नदी बहती है और यह नदी पहाड़ों से होते हुए तिब्बत की ओर जाती है। यह नदी नेपाल के एक बड़े हिस्से से बहती है। यदि सूत्रों की मानें तो इन क्षेत्रों में चीन के द्वारा कंस्ट्रक्शन कार्य भी किया जा रहा है। यहां पर तिब्बत के इलाके में सीमा से सटी एक सड़क भी है। यह सड़क नेपाल के लिमी के करीब से तिब्बत के बुरांग काउंटी से होते हुए मानसरोवर झील के करीब चीन के नेशनल हाईवे नंबर 219 से मिल जाती है। खास बात यह है कि यह वही सड़क है जहाँ मानसरोवर झील है, और जहां से होते हुए हजारों श्रद्धालु भगवान शिव के धाम कैलाश पर्वत का दर्शन करने जाते हैं। इसके अलावा रासुवा जिले के सीमावर्ती इलाकों में भी चीन ने कब्जा किया हुआ है। यहां से होकर गुजरने वाली सिंजान, भुरजक और जांबु खोला नदी के बहाव को बदलकर चीन ने यहां की करीब छह हैक्टेयर भूमि को अपनी सीमा में मिला लिया है। इसी जिले से सटा हुआ है सिंधुपालचौक जिला। यहां की करीब 11 हेक्टेयर भूमि पर चीन पहले से ही अपना दावा करता आया है। यहां पर भी उसने दो नदियों के मार्ग में परिवर्तन कर जमीन हथियाकर तिब्बत में मिला ली है। इसके संखुवासभा जिले से बहने वाली तीन नदियों,सुमजुंग,काम खोला और अरुण नदी के मार्ग में परिवर्तन कर नेपाल की भूमि को तिब्बत में मिलाया है। चीन लगातार इस काम को अंजाम दे रहा है और नदियों का रुख बदल रहा है।अब इस बात को समझने की जरूरत है कि जो सत्य है, नेपाल पूरी तरह से दबा रहा है और जो सत्य नहीं है, उसे नेपाल उठा रहा है। इस पूरे खेल को बहुत ही गम्भीरता के साथ समझने की आवश्यकता है ।  चीन के विरुद्ध नेपाल की सरकार मुँह भी नहीं खोलती लेकिन भारत के विरूद्ध नेपाल की सरकार गहरी साजिशों कर रही है। इसलिए भारत को अब नेपाल से सावधान हो जाना चाहिए। अब नेपाल वह नेपाल नहीं रहा।  अब नेपाल भारत का दोस्त नहीं रहा क्योंकि अब नेपाल चीन की गोद में बैठ चुका है। अब हमें नेपाल से पूरी तरह से सावधान रहना चाहिए। साथ ही बुद्धि का प्रयोग करके नेपाल में एक नया राजनीतिक समीकरण खड़ा करना चाहिए जिससे की के.पी. शर्मा ओली की सरकार सत्ता से दूर हो ताकि नयी सरकार के साथ नई नीति स्थापित हो सके। ओली सरकार भारत के विरुद्ध पूरी तरह से लामबंद दिखाई दे रही है। अगर समय रहते इस छोटे से मर्ज का इलाज नहीं किया गया तो आने वाले कल के लिए यह एक बड़ा नासूर बन जाएगा। इसका इलाज होना चाहिए अन्यथा निकट भविष्य में नेपाल एक और नया पाकिस्तान बन जाएगा। यह नया पाकिस्तान न बने, इसलिए हमें  कदम उठाने की सख्त जरूरत है।  (अदिति)