बरसाती बीमारियों से बचने हेतु घरेलू उपाय

ऋतु परिवर्तन के साथ ही कुछ खास व्याधियां भी पनपने लगती हैं। अगर इनसे बचने का उपाय नहीं किया गया तो रोगग्रस्त होने की संभावनाएं अधिक बढ़ जाया करती हैं। वर्षा ऋतु में होने वाली मुख्य बीमारियां एवं उनसे हिफाजत के किए जाने वाले प्रयासों का विवरण प्रस्तुत है ताकि आप वर्षा ऋतु की इन बीमारियाें से बचकर अपनी सेहत को बनाए रखने में सफल हों।
आई फ्लू 
आंख का लाल-लाल होना, आंख में कीचड़ का जमना, प्रकाश सहन नहीं होना, सिरदर्द, कान के पास सूजन आदि लक्षण आई फ्लू के होते हैं। इसे आंख आना भी कहते हैं। निम्नांकित उपचार फायदेमंद होते हैं।
*  हरड़ को मोटा-मोटा कूटकर पानी में उबालकर काढ़ा बनाकर आंखों को धोने से आराम मिलता है।
* बेल के पत्तों को पीसकर पुलटिस बनाकर नेत्रों पर रखने से आराम होता है। 
*  बरसात में प्रतिदिन आंखों में गुलाब जल डालना लाभकारी होता है। 
फ्लू
वर्षा ऋतु में सर्दी, खांसी एवं जुकाम कभी भी हो सकता है। नाक से पानी निकलना, खांसी होना, सिर में दर्द, आलस्य का आना, बदन में दर्द आदि होना प्रारंभ हो जाता है। फ्लू को मामूली समझकर छोड़ देने से क्षय रोग एवं दमा भी हो सकता है।
* एक छोटी इलायची, एक टुकड़ा अदरक, दो रत्ती कपूर, पांच लौंग तथा छ: तुलसी के पत्ताें को पान के पत्ते में रखकर खाने से सर्दी-जुकाम में लाभ होता है तथा नाक से टपकने वाला पानी बन्द हो जाता है। बदन में चुस्ती आती है। 
* बेर के कोमल पत्तों को गाय के घी के साथ भूनकर उसका चूर्ण बना लें। एक आना भर चूर्ण में दो रत्ती सेंधा नमक पिसा हुआ मिला दें। सुबह दोपहर शाम को प्रतिदिन इसे पानी के साथ लेने पर खांसी जाती रहती है।
त्वचा रोग 
बरसात के दिनों में नमी तथा दूषित पानी की वजह से त्वचा रोग होने की संभावनाएं काफी रहती हैं। खुजली, फुंसी, बालतोड़, पित्ती आदि के रूप में त्वचा के रोग हो जाते हैं जो काफी परेशान करते हैं। 
* आंवला एवं गंधक को पीसकर ग्लिसरीन में मिलाकर लगाने से सूखी खुजली में लाभ पहुंचता है।
* गंधक एक भाग, तिगुना आंवलासार में मिलाकर नारियल तेल के साथ फेंटकर लगाने से गीली खुजली में लाभ पहुंचता है।
 पीलिया 
 इसके होने पर अचानक भूख खत्म हो जाती है। जी मिचलाने लगता है। पेट के दांयें भाग में दर्द होने लगता है। मूत्र, आंख एवं त्वचा के साथ ही नाखून का रंग पीला होने लगता है। बाइलीरूबिन नामक पदार्थ के रक्त में सामान्य से अधिक हो जाने पर यह रोग हो जाता है।
*  दही में थोड़ी भुने जीरे की मात्रा (पीसकर) मिला दें। दही के इस घोल के साथ प्रतिदिन सुबह-दोपहर, शाम एक-एक पुड़िया को लेने से जाण्डिस समाप्त हो जाता है।
*  पिसी हल्दी , काली मिर्च  तथा काला नमक लेकर चूर्ण बनाकर रख लें। भोजन के तुरंत बाद चूर्ण गुनगुने पानी के साथ लें।
मलेरिया 
 यह बुखार कभी ठंड देकर आता है तो कभी उष्णता के साथ। कभी बुखार कम होता है तो कभी अधिक। ज्वर के चढ़ने-उतरने का समय निश्चित नहीं होता है। मच्छरों के काटने से मलेरिया बुखार होता है।
*  तुलसी के पत्ते के रस में शहद बराबर मात्रा में मिलाकर दो ग्राम काली मिर्च के चूर्ण को मिलाकर दिन में तीन बार सेवन कराने से मलेरिया दूर हो जाता है।
डायरिया 
 इस रोग में रोगी को बार-बार पतले दस्त होते हैं एवं नाभि के आस-पास या पेट के निचले भाग में मरोड़ होती है। यह जब संक्र ामक हो जाता है तब खतरनाक साबित होता है। बीमारी होने पर निम्नांकित उपाय करें।
1सोंठ, पीपर, धनिया, बड़ी हरड़ और अजवायन समान मात्रा में लेकर पीसकर रोगी को पिलाने से अत्यन्त लाभ होता है।


(स्वास्थ्य दर्पण)