ओलम्पिक की तैयारियों में कहां खड़ा है भारत ?

टोक्यो ओलम्पिक की एक वर्ष की उलटी गिनती शुरू हो गई है लेकिन कोरोना के कारण खेल प्रेमी इसका जश्न मानने के मूड में नहीं हैं। गत वर्ष 24 जुलाई को टोक्यो ओलम्पिक की उलटी गिनती शुरू हुई थी और महामारी के  कारण इसे एक वर्ष के लिए स्थगित करके 23 जुलाई, 2021 कर दिया गया है। गत वर्ष इस अवसर पर आतिशबाजी भी की गई थी और रंगारंग समागम भी हुए थे परन्तु इस बार ऐसा कुछ नहीं हुआ। ओलम्पिक गेम्स कमेटी के प्रबंधकों ने नये बने राष्ट्रीय स्टेडियम में सिर्फ 15 मिनट का समागम किया और सिर्फ अगले वर्ष के लिए ओलम्पिक का रस्मी प्रचार किया तथा ओलम्पिक मशाल भी गत वर्ष मार्च में जापान पहुंच गई थी  उसे भी अब तक छिपा कर रखा गया है। टोक्यो ओलम्पिक संबंधी जापान की एक एजैंसी ने सर्वेक्षण किया है और इससे पता चलता है कि जापान की जनता का मूड ओलम्पिक को लेकर ठीक नहीं है। 23.9 प्रतिशत लोगों ने इसका समर्थन किया और 36.4 फीसदी लोगों ने इसे स्थगित करने की बात मानी है। 33.7 फीसदी लोगों ने कहा कि टोक्यो ओलम्पिक को रद्द कर दिया जाए परन्तु फिर भी टोक्यो ओलम्पिक गेम्स कमेटी ने 2021 के ओलम्पिक का कार्यक्रम जारी करके विश्व को इसके लिए तैयार होने का आह्वान अवश्य किया है। यदि भारत की बात करें तो पता चलता है कि भारत में इस समय खेलों की कोई भी वारिस नहीं है। ओलम्पिक खेलों के साथ सीधा नाता रखने वाली संस्था भारतीय ओलम्पिक एसोसिएशन इस समय दोफाड़ हुई पड़ी है और इसके दो खेमों में बंट जाने से भारतीय खेलों को बहुत ही बड़ा धक्का लगा है। अध्यक्ष तथा सचिव के दो खेमे इसकी तैयारियों में बड़ी रुकावट बन रहे हैं।  विगत में अध्यक्ष ने कहा था कि भारतीय खिलाड़ी इस बार अधिक पदक जीतेंगे और अब उनका बयान है कि भारत को शायद ही कोई पदक मिले, से यह संकेत मिलता है कि भारतीय ओलम्पिक एसोसिएशन के पदाधिकारियों की आपसी हैंकड़बाजी से भारतीय खिलाड़ियों का बहुत बड़ा नुक्सान हो सकता है। इसके बाद यदि देश में भिन्न-भिन्न खेलों को चलाने वाली खेल फैडरेशनों की बात करें तो देश में हाईकोर्ट के आदेश से सभी खेल फैडरेशनें भंग हैं, जिस कारण न तो कोई कोचिंग कैंप लग रहा है और न ही खिलाड़ियों को आर्थिक सहायता दी जा रही है। दूसरी तरफ आई.ओ.ए. द्वारा कई फैडरेशों के साथ पंगा लिया जा रहा है और उनको मान्यता न देने की बात कही जा रही है। इस समय फैडरेशनों के पदाधिकारी भी दोफाड़ हो रहे हैं। आई.ओ.ए. के बैनर तले इकट्ठे होकर चलने में असमर्थ हैं। इसके बाद देश की खेल गतिविधियां चलाने वाली बड़ी संस्था स्पोर्ट्स अथारिटी ऑफ इंडिया की ओर से नि:सन्देह अपने कोचों द्वारा ऑनलाइन कोचिंग अवश्य दी जा रही है और कोचों को सैंटर में रह कर ऑनलाइन पर पाठशाला चालू रखने के निर्देश दिए हैं परन्तु यह संस्था भी देश के खिलाड़ियों के लिए खेलों को चालू करने वाले दिशा-निर्देश बनाने में इस समय तक असफल सिद्ध हुई है और इसी कारण देश में सभी खेल गतिविधियां ठप्प पड़ी हैं। कोई भी खेल सैंटर इस समय चालू नहीं हो सका है और जब खिलाड़ियों के लिए एस.ओ.पी. ही नहीं बने तो देश के स्कूलों, कालेजों, यूनिवर्सिटियों एवं खेल अकादमियों में खिलाड़ी कैसे अभ्यास करेंगे। नि:सन्देह कोरोना महामारी ने विश्व का जहां अन्य क्षेत्रों में नुक्सान किया है, वहीं उससे भी अधिक नुक्सान खेल क्षेत्र में हुआ है। इस समय यह लग रहा है कि एक वर्ष तक शायद ही खेलें शुरू हो सकें और खेल मैदान पुन: भर सकें परन्तु जिस तरह देश में खेलों के रक्षक सो रहे हैं और अपनी-अपनी लड़ाई लड़ कर देश की खेल गाड़ी को पटरी से उतार रहे हैं, यदि अभी भी भारत सरकार के केन्द्रीय खेल मंत्रालय ने इन्हें इकट्ठा करके देश के खिलाड़ियों के लिए कोई ठोस नीति न बनाई तो टोक्यो ओलम्पिक में भारत के खिलाड़ी अवश्य खाली हाथ लौटेंगे और फिर इन खेलों के चौधरियों को देश के खेल प्रेमी कभी भी माफ नहीं करेंगे। 

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