नवजात बच्च्े के लिए अमृत है मां का दूध 

मां  के दूध की महत्ता के प्रति लोगों को उजागर करने के लिए दुनिया भर में अंतर्राष्ट्रीय ‘मां का दूध’ सप्ताह पहली अगस्त से 7 अगस्त तक हर साल मनाया जाता है। बच्चे को स्वास्थ्य रखने के लिए मां का दूध बहुत पौष्टिक होता है। मां का दूध बच्चे के लिए ताज़ा और प्राकृतिक भोजन है जो बच्चे को जन्म से एक घंटे में पिलाना बहुत ज़रूरी है। मां के गर्भ में पल रहा बच्चा अपनी खुराक के लिए पूर्णत मां की खुराक पर ही निर्भर करता है। आम हालात में एक महिला  को रोज़ाना 1900 कैलोरी और 50 ग्राम प्रोटीन चाहिए लेकिन एक गर्भवती महिला के बच्चे के विकास के लिए 300 कैलोरी और 15 ग्राम प्रोटीन की अधिक आवश्वकता होती है। इसके अलावा विटामिन, कैल्शियम, लौह, फोलिक एसिड और खनिज पदार्थों की भी अधिक आवश्यकता होती है। 
मां का पहला दूध बच्चे के लिए अमृत समान है और बीमारियों से लड़ने की प्रतिरोध शक्ति को बढ़ाता है। इस दूध में विशेष किस्म के एंटी-बाइटिक्स होते हैं। जो बच्चे को बीमारियों से बचाते हैं। मां का दूध बच्चे के लिए सबसे उत्तम आहार है। इसमें बच्चे के लिए शारीरिक और मानसिक विकास के लिए सारे ज़रूरी तत्व होते हैं। 6 महीने तक बच्चे को मां का दूध ही पिलाना चाहिए। साथ ही एक मां को अपने भोजन पर भी विशेष ध्यान रखना चाहिए। अगर मां संतुलित भोजन नहीं लेती तो उसका शरीर कमज़ोर पड़ जाता है जिसके कारण उसका बच्चा भी भूखा रह जाता है। इसीलिए बच्चे को दूध पिलाने तक मां को पौष्टिक आहार ही लेना चाहिए।
6 महीने के बाद बच्चे को दूध के साथ-साथ नरम खुराक जैसे चावल, खिचड़ी, दलिया और दाल का पानी भी देना चाहिए। ऐसा करने से बच्चा तो स्वास्थ्य रहता है साथ ही मां भी स्वास्थ्य रहती है। आधुनिक माताओं में बच्चों के दूध पिलाने की कम होती जाती प्रवृत्ति एक चिन्ताजनक बात है। इसीलिए मां के दूध की महत्ता के देखते हुए डाक्टरों, अध्यापकों, समाजसेवी संस्थाओं और धार्मिक संगठनों ने लोगों के समझाने के लिए विशेष कर गर्भवती महिलाओं के लिए सैमीनार लगा कर इस संबंधी अधिक से अधिक जागरूक पैदा की है ताकि स्वास्थ्य समाज का सृजन हो सके।