निशाने पर सरकार

पंजाब में नकली शराब पीने से अब तक 111 व्यक्तियों की मृत्यु हो जाने से सरकार का निशाने पर आना स्वाभाविक बात थी। इतनी बड़ी त्रासदी के घटित होने के पीछे मौजूद रहे वास्तविक कारणों की जांच होना आवश्यक है। मुख्यमंत्री ने अब तक कड़े कदम उठाते हुये 7 आबकारी अधिकारियों एवं 6 पुलिस अधिकारियों को निलम्बित करने की घोषणा की है। इसके अतिरिक्त 30 लोगों के विरुद्ध मुकद्दमे भी दर्ज किये गए हैं परन्तु इन प्रशासनिक कदमों से विरोधी गुट संतुष्ट नहीं हुए। प्रदेश के मुख्य विपक्षी दल आम आदमी पार्टी ने स्थान-स्थान पर धरने दिये तथा इस भयावह घटनाक्रम की सी.बी.आई. तथा एन्फोर्समैंट विभाग से जांच करवाये जाने की मांग की है। 
शिरोमणि अकाली दल ने भी हाईकोर्ट के किसी जज से इस कांड की जांच करवाने की बात कही है। इसके साथ ही सुखदेव सिंह ढींडसा तथा अन्य प्रमुख नेताओं ने मुख्यमंत्री से त्याग-पत्र देने की भी मांग की है। बसपा ने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने की घोषणा की है। मुख्यमंत्री से त्याग-पत्र की मांग इसलिए उठी है क्योंकि गृह विभाग तथा आबकारी विभाग उनके पास हैं। इस त्रासदी ने एक बार तो प्रदेश के पूरे राजनीतिक माहौल को गर्म कर दिया है, परन्तु इस बात को अधिक हवा उस समय मिली जब प्रताप सिंह बाजवा एवं शमशेर सिंह दूलो ने राज्यपाल को अपना ज्ञापन सौंपा। ये दोनों राजनीतिक नेता प्रदेश कांग्रेस इकाई के प्रधान रह चुके हैं तथा अब ये दोनों ही राज्यसभा के सदस्य हैं। इन दोनों ने भी इस दुखद कांड की केन्द्रीय एजेंसियों से निष्पक्ष जांच की मांग करते हुये अपनी ही सरकार पर शराब माफिया पर अंकुश लगाने में विफल रहने का आरोप लगाया है। उन्होंने इसकी प्रत्यक्ष ज़िम्मेदारी मुख्यमंत्री पर डाली है तथा यह भी कहा है कि कमिश्नर स्तर का कोई अधिकारी इस मामले की निष्पक्ष जांच नहीं कर सकता। उन्होंने तालाबन्दी के समय में भी बड़े स्तर पर शराब की तस्करी होने का ज़िक्र करते हुये कहा है कि इससे प्रदेश को 2700 करोड़ रुपये का घाटा उठाना पड़ा है। उन्होंने प्रदेश में चलने वाली अवैध शराब फैक्टरियों का भी ज़िक्र किया, जो निरन्तर अवैध शराब बना रही हैं। राजपुरा एवं खन्ना के निकटवर्ती गांवों में ऐसी फैक्टरियां पकड़ी भी गई हैं। इसके अतिरिक्त रसायनों से तैयार की जाने वाली शराब का धंधा जो विगत लगभग दो दशकों से चल रहा है, के संबंध में भी प्रशासन पर अंगुली उठी है। दूलो ने तो यहां तक आरोप लगाया है कि आज 70 प्रतिशत विधायक अवैध एवं नाजायज़ कारोबारों में शामिल हैं। कांग्रेस के ही सांसद रवनीत सिंह बिट्टू ने भी शराब के धंधे के संबंध में कहा है कि यह कुछ अधिकारियों तक ही सीमित नहीं, अपितु इसमें कुछ राजनीतिक नेता भी जुड़े हुये हैं। 
ऐसी ही भावनाएं कांग्रेसी विधायक अमरेन्द्र सिंह राजा वड़िंग ने भी प्रकट की हैं तथा कहा है कि इस कांड के दोषियों के विरुद्ध हत्या की धाराओं के अन्तर्गत मुकद्दमा चलना चाहिए। हालांकि प्रदेश कांग्रेस के प्रधान सुनील जाखड़ ने इन दोनों नेताओं के विरुद्ध कार्रवाई करने की बात कही है। इसके साथ ही कुछ मंत्रियों ने भी सरकार का पक्ष-पोषण किया है, परन्तु उत्पन्न हुई इस स्थिति में सरकार निशाने पर अवश्य आ गई है जिसके दृष्टिगत प्रदेश का राजनीतिक वातावरण और भी तल़्ख हो गया प्रतीत होता है। उत्पन्न हुई इस स्थिति को सम्भालने के लिए सरकार को तुरंत ऐसे कठोर एवं स्पष्ट कदम उठाने होंगे जो माहौल को ठीक करने में सहायक हों। ऐसा किसी निष्पक्ष एजेंसी से जांच करवाने तथा दोषियों को कानून के कटघरे में खड़ा करने से ही सम्भव हो सकेगा।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द