सावधान! कोरोना हर 15 सैकेंड में  ले रहा है एक जान

पिछले दो सप्ताह के ग्लोबल डाटा की समीक्षा करने से मालूम होता है कि प्रत्येक 24 घंटे में औसतन लगभग 5,900 व्यक्ति कोविड-19 की वजह से दम तोड़ रहे हैं। इसका अर्थ यह हुआ कि हर घंटे 247 लोग मर रहे हैं यानी हर 15 सैकेंड में एक जान जा रही है। इसलिए यह आश्चर्य नहीं है कि 5 अगस्त को नये कोरोना वायरस से विश्व में मरने वालों की संख्या 7,00,000 को पार कर गई थी और इस समय इस रोग से अमरीका, ब्राजील, भारत व मैक्सिको में संक्रमित होने व मरने वालों की संख्या सबसे ज्यादा है। भारत के केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 6  अगस्त को सुबह 8 बजे जो डाटा अपडेट किया, उसके अनुसार पिछले 24 घंटों में संक्रमितों की संख्या में 54,985  का इजाफा होकर कुल संख्या 19 लाख को पार करते हुए 19,63,239 हो गई और इसी अवधि में 944 अतिरिक्त मौतें हुईं, जिससे कुल मृतकों की संख्या 40,739 हो गई, जिसका अर्थ है कि भारत में हर घंटे लगभग 40 लोग मर रहे हैं यानी हर 90 सैकेंड में एक जान जा रही है। भारत में पिछले आठ दिन से संक्रमितों की संख्या में प्रतिदिन 50,000 से अधिक का इजाफा हो रहा है। अमरीका में नये कोरोना वायरस से इस रिपोर्ट के लिखे जाने तक 1,55,000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी थी, जिससे जन स्वास्थ्य विभाग पर अनेक प्रश्न उठ रहे हैं कि अपनी लचर प्रक्रिया के कारण वह संकट को नियंत्रित करने में असफल रहा है। लेकिन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का कहना है कि आउटब्रेक उतना नियंत्रण में है जितना नियंत्रण में किया जा सकता है। उन्होंने एक न्यूज वेबसाइट को दिए साक्षात्कार में कहा, ‘जो है सो है। लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि हम वह नहीं कर रहे हैं, जो हम कर सकते हैं। वह नियंत्रण में है जितना कि आप नियंत्रित कर सकते हैं। यह बहुत ही वीभत्स प्लेग है।’ लातिन अमरीका में 4 अगस्त को नये कोरोना वायरस से मरने वालों की संख्या यूरोप से अधिक हो गई। इस क्षेत्र ने 2,06,000 मौतें रिकॉर्ड की हैं, जोकि ग्लोबल योग का लगभग 30 प्रतिशत है। ऑस्ट्रेलिया, जापान, बोलीविया, हांगकांग, सूडान, बेल्जियम व इज़रायल से जो खबरें मिल रही हैं, उनसे भी यही बात सामने आ रही है कि संक्रमितों व मृतकों की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है। इसे देखते हुए नई पाबंदियां लगाई जा रही हैं, मसलन ऑस्ट्रेलिया में आवश्यक वर्कर्स को घर छोड़ने से पहले अब परमिट साथ रखना अनिवार्य कर दिया गया है। वुहान (चीन), जहां से यह महामारी फैली, से भी कोई अच्छी खबर नहीं है। जो रोगी नये कोरोना वायरस से ठीक हुए हैं, उनमें से 90 प्रतिशत ने फेफड़ों को गंभीर नुकसान पहुंचना रिपोर्ट किया है और 5 प्रतिशत का टैस्ट फिर से पॉज़िटिव निकला है। इसलिए उन्हें पुन: क्वारंटाइन किया गया है। इसका अर्थ यह है कि जो लोग ठीक हुए हैं, उन्हें दोबारा कोविड-19 हो सकता है यानी शरीर में जो इस रोग के प्रति एंटीबॉडीज या इम्युनिटी विकसित होती है, वह ज्यादा दिन तक नहीं चलती है। भारत में स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार 5 अगस्त को रिकवर होने वालों की संख्या 12,85,215 थी। इन लोगों को अपने स्वास्थ्य को लेकर विशेष सावधानी बरतनी चाहिए, सिर्फ इसलिए नहीं कि उन्हें यह रोग फिर से हो सकता है बल्कि इनमें से अधिकतर एक या दो लक्षण कैरी करने की शिकायत कर रहे हैं और इनसे संक्रमण फैलने की आशंका भी अधिक है। ऊपर जो ग्लोबल स्थिति बयान की गई है, उससे यह अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है कि जल्द इस महामारी पर विराम लगता हुआ नज़र नहीं आ रहा है, विशेषकर इसलिए कि विशेषज्ञों की राय में कोविड-19 की अभी एक और लहर आयेगी।  हालांकि जनरल ऑफ  इंटरनल मेडिसिन में छपे स्वीडिश अध्ययन से मालूम होता है कि आर्थराइटिस में प्रयोग होने वाली दवा टोसिलीजुमाब गंभीर कोविड-19 रोगी का वेंटिलेशन पर व अस्पताल में रहने का समय कम कर सकती है, लेकिन सभी को इंतजार है कोविड-19 वैक्सीन का। नोवावक्स का कहना है कि उसकी वैक्सीन का क्लिनिकल ट्रायल काफी उम्मीद बांध रहा है, लेकिन उसको अनुमति दिसम्बर से पहले नहीं मिल पायेगी यानी उसकी एक से दो बिलियन खुराक 2021 में ही आ पायेंगी।हालांकि भारत में बहुत बड़ी तादाद में लोग कोविड-19 की चपेट में आने से अभी तक बचे हुए हैं, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि अगर सिर्फ बहुत छोटे प्रतिशत में लोग संक्रमित हुए हैं, फिर भी मानसिक रूप से इस वायरस ने 100 प्रतिशत को प्रभावित किया है। इस संदर्भ में नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ  मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंस (निमहांस) ने एक विशेष श्रेणी ‘चिंतित ठीक’ का उल्लेख किया है, जो शारीरिक रूप से तो स्वस्थ हैं, लेकिन उन्हें यह डर लगा रहता है कि वह भी कोविड-19 पॉज़िटिव हो सकते हैं। 

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