देश के हर राज्य में बीबीपुर की दरकार

हरियाणा सरकार ने पिछले दिनों ‘ए विलेज नेम्ड बीबीपुर’ नाम से बीबीपुर गांव को दसवीं कक्षा के पाठ्यक्र म में सम्मिलित किया है। अब वहां बच्चे पढ़ेंगे—ए विलेज नेम्ड बीबीपुर। बदलाव की पहली शर्त है—संकल्प। संकल्प की पूर्ति प्रयासों से संभव होती है। हरियाणा के जींद जिले का बीबीपुर गांव आज गर्व से सिर ताने खड़ा है और बदलाव की कहानी पूरे देश को बतला रहा है। ऐसे गांवों की दरकार आज समूचे देश को है। लगभग एक दशक के प्रयासों में कन्या भ्रूण हत्या को रोकने,बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ,महिला सशक्तिकरण,ग्राम सचिवालय, पंचायत का डिजिटलीकरण, सुंदर पार्क, सुव्यवस्थित सड़कें,कचरा प्रबंधन व पुस्तकालय आदि महत्त्वपूर्ण कार्यों से यह गांव आज अन्यों के लिए माडल बन गया है। शासन-प्रशासन को योजनाएं बनाने में मदद भी कर रहा है। 28 जून 2015 के मन की बात के प्रसारण में प्रधानमंत्री मोदी ने बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान को जन आंदोलन बनाने हेतु इस गांव और यहां के सरपंच सुनील जगलान की चर्चा-प्रशंसा की थी।भारत गांवों का देश है। लिओनेल कार्टिस ने   भारत के गांवों को ‘घूरे के ढेर’ कहा था। गांधी जी ने भी देशभर की अपनी विभिन्न यात्रओं में गांवों को मलिन और अभावग्रस्त पाया था। इसलिए वे कहते थे—हमें उन्हें आदर्श बस्तियों में बदलना है। मेरे सपनों का भारत नामक पुस्तक में गांव के पुनरुद्धार, स्वच्छता,पोषण,स्वास्थ्य, अज्ञानता व जड़ता आदि की चर्चा करते हुए वह ग्राम स्वराज्य की संकल्पना प्रस्तुत करते हैं। ग्राम पंचायत, ग्रामोद्योग आदि उसके महत्त्वपूर्ण आयाम हैं। स्वतंत्रता के बाद कई दशकों तक भी ग्राम स्वराज्य की संकल्पना धरातल पर नहीं आ सकी। गांव विकृतियों व राजनीति में उलझते चले गए। 1990 के दशक में भूमंडलीकरण के प्रभाव से गांव की जड़ता कुछ टूटती सी दिखाई देती है किंतु यह परिवर्तन भी बाहरी ही रहा। कुछ ही गाँवों में सकारात्मक परिवर्तन  हुए।गाँव विकास का इंजन हैं। देश की ताकत  गांव में है। गांव की सेवा,भारत माता की सेवा है और ग्रामोदय से भारतोदय होगा आदि सूत्रों एवं भावना को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री के रूप में मोदी ने गांव से सीधे संवाद किया। गांव तथा सामान्य व्यक्ति को योजनाओं के केंद्र में रखा। उनकी भागीदारी हेतु आह्वान किया।  स्वच्छता, शौचालय, बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ, पर्यावरण, वृक्षारोपण, कौशल विकास, जन धन तथा उज्ज्वला जैसी विभिन्न योजनाओं के केंद्र में प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से गांव ही हैं। विभिन्न अभियानों से जुड़कर व बदलाव की आवश्यकता को समझते हुए देश के हजारों गांव सक्रिय बदलाव की प्रक्रिया में हैं। स्मार्ट गांव की संकल्पना भारत की आवश्यकता है। आत्मनिर्भर भारत का आधार है। शासन-प्रशासन को इस दिशा में तेजी से योजनाएं क्रि यान्वित करनी चाहिएं। वर्ष 2015 में स्मार्ट सिटी की संकल्पना सामने आई जिसके अंतर्गत 100 शहरों का चयन और 2.5 लाख करोड़ के निवेश को मंजूरी दी गई। यह वर्तमान तथा भविष्य को लेकर बनी पहली बड़ी योजना थी। संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक व सामाजिक मामलों के विभाग द्वारा वर्ष 2018 में रिवीजन आफ वर्ल्ड अर्बनाइजेशन प्रास्पेक्टस  के अनुसार भविष्य में बढ़ने वाली शहरी आबादी कुछ खास देशों में जमा होगी। 2018 से 2050 के बीच बढ़ने वाली आबादी में 35 फीसदी हिस्सेदारी भारत, चीन और नाइजीरिया की होगी। अनुमान के अनुसार वर्ष 2050 तक भारत में 41.6 करोड़ शहरी आबादी होगी जिसके लिए स्मार्ट सिटी की संकल्पना को मूर्त्त रूप देना आवश्यक है। गांव के  लिए भी प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, सांसद आदर्श ग्राम योजना आदि आरंभ हुईं। समाचारों के अनुसार सांसद आदर्श ग्राम योजना असफल हो रही है। कारण जनप्रतिनिधियों की अरुचि है। पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी द्वारा हरियाणा, राजस्थान व उत्तराखंड के 126 गांवों को स्मार्ट गाँव  बनाने का अभियान सफलतापूर्वक चल रहा है। फिर सांसद आदर्श ग्राम योजना क्यों नहीं? आज गांव को भी समुचित बिजली, कृषि व ग्रामोद्योग को प्रोत्साहन,स्वास्थ्य सेवाएं, कौशल विकास,स्वच्छ पेयजल,पार्क,समुचित शिक्षा व्यवस्था, खेल परिसर तथा डिजिटल कनेक्टिविटी की आवश्यकता है। इससे गांव तो स्मार्ट होंगे ही, शहरों की ओर पलायन भी रुकेगा और आत्मनिर्भर भारत  के संकल्प को मजबूती मिलेगी। शासन-प्रशासन एवं जनभागीदारी से स्मार्ट गांव की दिशा में तेजी से काम किए जाएं जिससे प्रत्येक प्रदेश में बीबीपुर जैसे लाखों माडल खड़े हो सकें और बच्चे पढ़ सकें—‘ए विलेज नेम।’

(अदिति)