योगी का कद बढ़ने से भाजपा में बढ़ रही बेचैनी

अयोध्या में राम मंदिर के भूमिपूजन समारोह में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जैसी भूमिका रही, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उन्हें जितना महत्व दिया, उससे भाजपा में कद बहुत बड़ा हो गया है। वैसे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के नाते उनकी भूमिका महत्वपूर्ण रहनी ही थी, पर प्रधानमंत्री अगर नहीं चाहते तो उन्हें इतना महत्व नहीं मिलता। एक इशारे पर सब कुछ श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के जरिए होने लगता। प्रधानमंत्री के पूर्व प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्र भी इस ट्रस्ट में हैं, सो उनके जरिए सारे काम हो सकते थे। सीधे पीएमओ से या गृह मंत्रालय से मॉनिटरिंग हो सकती थी, मगर सब कुछ योगी आदित्यनाथ के हाथ में रहा। बहरहाल, प्रधानमंत्री ने जिस तरह उनको महत्व देकर उनका कद बढ़ाया है, उससे भाजपा में उनसे वरिष्ठ और उनके समकालीन कई नेताओं में बेचैनी है। उन्हें अपने लिए संभावनाओं के रास्ते बंद होते दिख रहे हैं। 
संविधान की चिंता किसी को नहीं
अयोध्या में राम मंदिर के शिलान्यास को लेकर कांग्रेस पार्टी के लोगों की दो चिंताएं सामने आईं। पहली तो यह कि अभी शुभ तिथि नहीं है, चातुर्मास है और देवता सो रहे हैं। भादों का महीना और पंचक का समय चल रहा है। ऐसे में शिलान्यास क्यों हो रहा है। जो नेता इस मामले में वैज्ञानिक तरीके से सोच रहे थे, उनकी चिंता रही कि कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी से फैल रहा है और ऐसे में अगर धार्मिक कार्यक्रम होता है, जिसमें लोग जुटते हैं तो संक्रमण और फैल सकता है। वैसे भी कोरोना वायरस का संक्रमण रोकने के लिए आईसीएमआर और गृह मंत्रालय ने जो दिशा-निर्देश जारी किए हैं उनमें हर तरह के धार्मिक, सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक कार्यक्रमों पर रोक लगाई गई है। इस प्रकार शुभ तिथि और कोरोना के खतरे की चिंता तो कांग्रेस के नेताओं ने जताई, मगर संविधान के नियमों, सिद्धांतों का उल्लंघन हो रहा है या कम से कम स्वीकार्य राजनीतिक नैतिकता के मानदंडों का पालन नहीं हो रहा है, उसकी चिंता किसी ने नहीं जताई। किसी ने नहीं पूछा कि प्रधानमंत्री क्यों शिलान्यास कर रहे हैं या एक मुख्यमंत्री क्यों इस धार्मिक कार्यक्रम के मुख्य आयोजक के तौर पर काम कर रहे हैं? एक तरह से कांग्रेस के नेताओं ने भी मान लिया कि भारत के लोकतांत्रिक गणतंत्र के लिए एक बिल्कुल नए युग की शुरुआत हो रही है। 
क्रिकेट, राजनीति और चैनल 
क्रिकेट का आईपीएल तमाशा 19 सितम्बर से संयुक्त अरब अमीरात, यूएई मे होने जा रहा है। आमतौर पर इसका आयोजन अप्रैल-मई मे होता है, पर इस साल कोरोना की वजह से आयोजन संभव नहीं था। हालांकि उस समय इस बात पर विचार हुआ था कि दर्शकों के बगैर मैच कराए जाएं, टेलीविजन पर उनका प्रसारण हो। लेकिन तुरंत ही यह इरादा छोड़ दिया गया, क्योंकि सबको समझ में आ गया कि इस समय प्रायोजक नहीं मिलेंगे। प्रायोजक नहीं मिलेंगे तो बीसीसीआई को, खिलाडियों को, फ्रेंचाइजी मालिकों को और सबसे बड़ा नुकसान स्टार ग्रुप को होगा, जिसने इसके प्रसारण का अधिकार 17 हजार करोड़ रुपए में खरीदा है। चूंकि बीसीसीआई दुनिया का सबसे धनी क्रिकेट संगठन है, सो उसने अपनी ताकत का इस्तेमाल करके टी-20 क्रिकेट विश्वकप और एशिया कप टूर्नामेंट रद्द कराया। दो टूर्नामेंट रद्द होने के बाद आईपीएल के आयोजन के लिए भारत के त्योहारी सीजन का समय मिल पाया। अब आईपीएल ऐसे समय में होगा, जब कोरोना का संकट अपने चरम पर होगा, दशहरा का त्योहार चल रहा होगा और देश में दीपावली की तैयारी हो रही होगी। किस तरह कील कांटे दुरुस्त किए गए हैं, इसका अंदाजा इस बात से भी लगता है कि कार्यक्रम की घोषणा के बाद फाइनल मैच दो दिन आगे बढ़ाया गया। पहले आठ नवम्बर को फाइनल होना था पर प्रायोजकों का कहना था कि 14 को दीपावली है तो इसे उस समय तक खींचा जाए। सो, फाइनल को दो दिन आगे बढ़ाया गया। अब दस नवंबर को फाइनल होगा। 
 कोरोना महामारी बनाम दीपावली
दुनिया भर में साल 2020 को कोरोना वायरस की महामारी के साल के तौर पर याद किया जाएगा। भारत में भी इस महामारी ने देश के एक-एक आदमी का जीवन प्रभावित किया है। सो, सब इसे कोरोना वर्ष के तौर पर याद करेंगे, मगर देश का खाया-अघाया एक बड़ा वर्ग सोशल मीडिया पर इस प्रचार में जुटा है कि साल 2020 को अयोध्या मे राम मंदिर के निर्माण के साल के तौर पर याद किया जाए। इसी वर्ग में यह कहने वाले लोग भी हैं कि इस साल को इसलिए भी याद किया जाएगा क्योंकि इस साल तीन बार दीपावली मनेगी। एक बार कोरोना के कारण मनी, दूसरी बार मंदिर निर्माण के कारण और तीसरी बार पारंपरिक दिवाली मनाई जाएगी। ध्यान रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने होली के लॉकडाउन के दौरान देश के लोगों से अपील की थी कि वे पांच अप्रैल को शाम में अपने अपने घरों पर पांच दीये जलाएं। सो, कई लोगों ने दीये जलाए, और अनेक जगह पर पटाखे भी फोड़े गए। इसके बाद दूसरी दीपावली श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने मनवाई। अयोध्या में राम मंदिर के शिलान्यास के एक दिन पहले चार अगस्त को और शिलान्यास के दिन पांच अगस्त को उत्तर भारत में बड़ी संख्या में लोगों ने दीपोत्सव मनाया। इसके बाद 14 नवम्बर को कार्तिक मास की अमावस्या को पारंपरिक दीपावली मनाई जाएगी।
दिल्ली में भाजपा नेताओं का कमाल 
दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी ने कमाल कर दिया! पार्टी के नेताओं का दावा है कि दिल्ली में 11 लाख दीये बांटे गए ताकि वे पांच अगस्त को अपने घरों पर दीये जला जला सकें। राजधानी में लागू आंशिक लॉकडाउन और कोरोना वायरस के संक्रमण के बीच दिल्ली भाजपा ने यह काम कब किया और कैसे किया, यह किसी को पता नहीं।